भारत में एकल उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगने के करीब तीन हफ्ते बाद भी जालंधर की मकसूदां सब्जी मंडी को अभी तक इसकी जानकारी ही नहीं थी।
बाजार के एक दुकानदार सुरेश कहते हैं, ‘प्रतिबंध को लेकर ग्राहकों का रवैया बड़ा ही लापरवाही भरा है। कुछ लोग प्रतिबंध का समर्थन कर रहे हैं जबकि कुछ लोग अभी भी हमसे प्लास्टिक मांग रहे हैं। हम ग्राहकों को प्लास्टिक के लिए मना नहीं कर सकते क्योंकि इससे हमारा व्यापार प्रभावित होता है।’
सुरेश बताते हैं, ‘प्लास्टिक प्रतिबंध को लेकर तीन मुख्य चुनौतियां है। पहला बहुत सारे दुकानदारों को (खासतौर पर छोटे शहरों में) प्रतिबंध की जानकारी ही नहीं है। दूसरा अगर उनको जानकारी भी हैं तो उनके पास ज्यादा विकल्प नहीं हैं। तीसरा प्राधिकरणों द्वारा जांच-पड़ताल में कमी के कारण भी दुकानदार धड़ल्ले से प्लास्टिक का इस्तेमाल कर रहे है।’
देश में1 जुलाई से प्रदूषण से निपटने के लिए प्लास्टिक स्ट्रॉ से लेकर सिगरेट के डिब्बों में इस्तेमाल होने वाली एकल उपयोग वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया गया। किसी भी तरह के व्यवधान से बचने के लिए सरकार ने खाद्य, पेय पदार्थ और उपभोक्ता वस्तुओं का निर्माण करने वाली कंपनियों से प्रतिबंध का पालन करने के लिए कहा है। बिज़नेस स्टैंडर्ड ने एकल उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध के बाद देश भर के दुकानदारों से बात कर उनकी समस्याओं को जानने का प्रयास किया हैं।
लखनऊ के मुख्य बाजार हजरतगंज के एक दुकानदार राकेश केशवानी सुरेश के सुर में सुर मिला उसकी बात दोहराते हुए कहते हैं, ‘एक दुकानदार के लिए यह बहुत बड़ा नुकसान है। सरकार को एकल उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने की शुरुआत इसके उत्पादन पर रोक लगाकर करनी चाहिए थी। लोगों के पास एकल उपयोग प्लास्टिक के सीमित विकल्प हैं, इसलिए प्रतिबंध से हमारी बिक्री प्रभावित होगी। इन सब से इतर, सभी तरह के विकल्प महंगे हैं। इससे हमारा लाभ 10 से 15 फीसदी तक प्रभावित होगा।’
नागपुर में एक गहने की दुकान के मालिक किशोर निनावे का मानना है कि सरकार को एकल उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने से पहले उद्योगों को समय देना चाहिए था। वह कहते हैं, ‘प्लास्टिक के विकल्प के रूप में कुछ नया खरीदने से पहले दुकानदारों को प्लास्टिक के पुराने स्टॉक को समाप्त करने की अधिक जरूरत है। यह एक धीमी प्रक्रिया है और इसमें समय लगता है।’
उपहार लपेटने वाले कागज और थैलों की लागत की तरफ इशारा करते हुए निनावे कहते हैं, ‘लोग उपहार देने के लिए आभूषण खरीदते हैं। प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगने के कारण हमें उपहार लपेटने वाले कागज का प्रयोग करना होगा। प्लास्टिक की तुलना में उपहार लपेटने वाले कागज की कीमत अधिक है। अगर इससे ग्राहक की जेब पर अधिक भार नहीं भी पड़ता है, तब भी हमारी लागत बढ़ जाएगी क्योंकि हम थोक में इसको खरीदते हैं।’
मथुरा में एक मंदिर के पास फूलों की एक दुकान के मालिक तमल किशोर कहते हैं कि यदि वह ग्राहकों को कागज या कपड़े के थैले देते है तो उनकी लागत दोगुना हो जाएगी। वह कहते हैं, ‘ग्राहकों संग व्यापार करने में हमें बहुत दिक्कत हो रही है। प्लास्टिक के थैले सस्ते थे। यदि हम कागज के थैलों का इस्तेमाल करते है तो कीमतें बढ़ जाएंगी। लोग दोगुनी कीमत चुकाने के इच्छुक नहीं है। अधिकतर ग्राहकों को तो प्रतिबंध की जानकारी भी नहीं है। ऐसे में हमें ग्राहक को खोना पड़ता है या फिर पैसे को।’
उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर में नगर निगम एकल उपयोग प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम कर रहा है लेकिन छोटे शहरों में प्राधिकरणों ने अभी तक कोई कदम नहीं उठाया है। बालासोर (भुवनेश्वर से 200 किलोमीटर दक्षिण) में एक किराना दुकान के मालिक रतिकांत बिस्वाल कहते हैं कि उन्होंने किसी को भी एकल उपयोग प्लास्टिक का प्रयोग करने पर शिकायत करते हुए नहीं देखा है। वह कहते हैं, ‘मेरे पास अभी भी अच्छी-खासी मात्रा में इसका स्टॉक पड़ा है। हालांकि घरेलू फैक्टरियों ने नए ऑर्डर लेना बंद कर दिया है। स्टॉक खत्म हो जाने के बाद में भी प्लास्टिक के अन्य विकल्पों की तरफ रुख करुंगा।’
केशवानी की तरह लखनऊ के अन्य व्यापारियों का कहना हैं कि प्रतिबंध को और अच्छे से लागू किया जा सकता था। वह कहते हैं, ‘विश्व आज पर्यावरण अनुकूल व्यवहार की तरफ बढ़ रहा है। एक जिम्मेदार नागरिक के तौर पर हम भी इसमें अपना सहयोग देना चाहते है लेकिन इन चीजों में समय लगता है। सही दिशा में परिवर्तन के लिए योजना और प्रक्रिया दोनों को एक साथ मिलकर लागू करने की जरूरत है। उदाहरण के लिए प्लास्टिक पर प्रतिबंध की शुरुआत का पहला कदम इसका उत्पादन करने वाली कंपनियों पर रोक लगाना है। इसके बाद सरकार को प्लास्टिक का स्टॉक खत्म करने के लिए व्यापारियों को तीन महीने का समय देना चाहिए था। एकल उपयोग प्लास्टिक के स्टॉक को खत्म करना किशोर और निनावे जैसे दुकानदारों के लिए एक चुनौती है। कई दुकानदारों ने बताया कि कुछ प्लास्टिक उन्होंने कबाड़ीवालों को और कुछ ग्राहकों को दे दिया। निनावे कहते हैं, ‘किताब और खाने के डिब्बे जैसे सामान प्लास्टिक में लिपटे हुए हमारे पास आते हैं। इस प्रक्रिया में हम बिचौलिये हैं। प्लास्टिक में लिपटा हुआ सामान हमें मिलता है और हम उसे ग्राहकों तक पहुंचाते है। खरीदारी करते समय ग्राहक प्लास्टिक का इस्तेमाल करते हैं और नहीं करते तो घूम फिर कर प्लास्टिक वापस हमारे पास आ जाता है। यदि सभी के लिए प्लास्टिक का निपटारा करने की आसान व्यवस्था हो तो प्रतिबंध अच्छे से लागू होगा।’
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने एकल उपयोग प्लास्टिक के विकल्प का उत्पादन करने के लिए कच्चे माल पर जीएसटी में छूट देने की सलाह दी है। व्यापारियों का मानना है कि इससे थोड़ी मदद मिलेगी। कपड़े के थैला विक्रेता प्लास्टिक प्रतिबंध को लेकर पहले से सचेत थे और उन्होंने कपड़े के थैलों पर पहले की तुलना में दोगुनी कीमत वसूलना भी शुरू कर दिया।