केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने ध्रुवाक्ष साहा और निवेदिता मुखर्जी से खास बातचीत में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि लक्ष्य निर्धारित करते समय चुनाव मायने नहीं रखना चाहिए। उन्होंने खुद को भविष्य के प्रधानमंत्री के रूप में देखे जाने के बारे में भी अपनी राय दी। मुख्य अंश:
प्रति दिन 100 किलोमीटर सड़क निर्माण की महत्त्वाकांक्षी योजना कितनी क्रियान्वित हो पाई है?
यह एक बड़ा लक्ष्य है और कब पूरा होगा इस बारे में कुछ ठोस नहीं कहा जा सकता। मुझे भी लगता है कि यह बहुत मुश्किल या लगभग असंभव है। अब तक मैंने जो भी लक्ष्य तय किए हैं उन्हें हासिल कर लिया है, इसलिए इस पर भी काम करूंगा। हम नीतियों को बेहतर बनाने और उन समस्याएं सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं जो हमारी क्रियान्वयन गति धीमी करते हैं।
आपने यह भी दावा किया था कि भारत की सड़कें अमेरिका की सड़कों से बेहतर होंगी। क्या ऐसा हो गया है या जल्द ही हो जाएगा?
लोगों ने यह कहना शुरू भी कर दिया है। हमारे पास लगभग 50 एक्सप्रेस हाइवे ऐसे हैं जिन पर अभी काम चल रहा है। अंततः, पूरा देश ग्रीन एक्सप्रेसवे से जुड़ जाएगा और राष्ट्रीय राजमार्ग तंत्र कश्मीर से कन्याकुमारी तक विश्वस्तरीय होगा।
पिछले 11 वर्षों में आपकी शीर्ष तीन उपलब्धियां क्या रही हैं?
सड़क, पुल और सुरंगों के निर्माण में कई उपलब्धियां हैं और गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में सात विश्व कीर्तिमान भी हैं। लेकिन व्यक्तिगत स्तर पर मुझे लगता है कि मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि कुछ और है। हमारे देश में 1 करोड़ लोग अन्य लोगों को ढोने और उन्हें लाने-ले जाने के कार्य में लगे हुए थे। झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में लोग यात्रियों को अपने कंधों पर बैठा कर एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाते थे। 2014 में मैंने ई-रिक्शा पेश किया। यह एक क्रांति थी जिससे लोगों और सामान के परिवहन में लगे 1.5 करोड़ लोग शोषण से मुक्त हो गए। यह मेरे जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है।
आपके एजेंडे में अन्य कौन सी प्रमुख परियोजनाएं हैं?
परिवहन क्षेत्र से उत्सर्जन में कमी लाने के लिए मैंने वैकल्पिक ईंधन के इस्तेमाल को प्रोत्साहित किया है। वायु प्रदूषण फैलाने में जीवाश्म ईंधन काफी हद तक (40 फीसदी) जिम्मेदार है। वैकल्पिक ईंधनों का इस्तेमाल अब बढ़ रहा है। सड़क परिवहन मंत्रालय ने ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया को पत्र लिखकर पेट्रोल में 25-27 फीसदी एथनॉल मिश्रण का परीक्षण करने का निर्देश दिया है। हम डीजल में आइसोब्यूटेनॉल मिलाने की भी कोशिश कर रहे हैं। एथनॉल उत्पादन में तेजी से ग्रामीण भारत के किसान सबसे बड़े लाभार्थी रहे हैं। इस तरह, ग्रामीण भारत आत्मनिर्भर बनेगा।
भारतमाला कार्यक्रम के तहत अधूरे कार्यों को आपका मंत्रालय कैसे निपटा रहा है?
भारतमाला के तहत सभी परियोजनाओं को तेजी से निपटाया जा रहा है। इस साल 1.5 लाख करोड़ रुपये मूल्य की परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। हरेक साल 2.6-2.8 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाएं मंजूर हो रही हैं। हम इस वित्त वर्ष इसे दोगुना कर लगभग 5 लाख करोड़ रुपये करने की कोशिश कर रहे हैं।
चीन से दुर्लभ खनिज मैग्नेट की आपूर्ति रुकने के बाद उत्पन्न चुनौती से कैसे निपटा जा रहा है?
हमारे स्टार्टअप, अनुसंधान संस्थान और इंजीनियरिंग कॉलेज कई समस्याओं के समाधान खोजने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। उदाहरण के लिए सेमीकंडक्टर की कमी की समस्या थी। हमने इसके लिए पीएलआई योजना बनाई और अब हम सेमीकंडक्टर पर बड़े पैमाने पर काम कर रहे हैं। हम दुर्लभ खनिज मैग्नेट के विकल्प खोजने के लिए काम कर रहे हैं और जल्द ही समस्या का समाधान निकल आएगा।
शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने में मंत्रालय किस तरह योगदान दे रहा है?
जहां तक मेरे मंत्रालय की बात है तो हाइड्रोजन ईंधन सेल से संबंधित 10 प्रमुख परियोजनाओं पर काम चल रहा है। इनके तहत टाटा, अशोक लीलैंड जैसी कंपनियां हाइड्रोजन आधारित ट्रक और बसें चलाएंगी। यह एक उच्च प्राथमिकता वाली परियोजना है।
कुछ राष्ट्रीय राजमार्गों में गुणवत्ता संबंधी समस्याएं होने और इससे दुर्घटनाएं होने की खबरें आ रही है। इनसे कैसे बचा जा सकता है?
हमारा मंत्रालय केवल राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए उत्तरदायी है। कुछ परियोजनाओं में समस्याएं रही हैं। हमने इन परियोजनाओं से जुड़े ठेकेदारों पर कार्रवाई की है। हम उन्हें छोड़ेंगे नहीं। ये देश की संपत्तियां हैं और हम इन्हें नुकसान पहुंचने नहीं दे सकते। जहां तक सड़क सुरक्षा का सवाल है तो सभी सड़कों के साथ कुछ न कुछ समस्याएं हैं। मैं केवल एनएच के लिए जिम्मेदार हूं। मैं दिल्ली में भीड़भाड़ कम करने के लिए 1 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाओं पर काम कर रहा हूं।
2029 के आम चुनाव के लिए क्या लक्ष्य तय किए हैं?
मैं चुनावों को ध्यान में रखते हुए लक्ष्य नहीं रखता। मैं तीसरी बार संसद सदस्य हूं। मैं अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों से यह भी कहता हूं कि यदि वे मेरे काम से खुश हैं तो उन्हें मुझे वोट देना चाहिए। वे अगर मुझे वोट नहीं देंगे तब भी मैं उनके लिए काम करूंगा। मेरे सिद्धांत मुझे चुनावों को ध्यान में रखकर काम करने या सोचने की इजाजत नहीं देते।
इस वर्ष राजमार्ग निर्माण का लक्ष्य क्या है?
हम लक्ष्य बड़ा करने और क्रियान्वयन बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन अब तक ऐसा नहीं कर पाए हैं। हम 40 किलोमीटर प्रति दिन तक पहुंच गए थे। हम इसमें सुधार करने की कोशिश कर रहे हैं। हमारे लिए आदर्श लक्ष्य 100 किमी प्रति दिन है, जो बेहद मुश्किल है।
बहुत से लोग सोचते हैं कि आप भविष्य के प्रधानमंत्री हैं। इस पर क्या कहना है?
मुझे नहीं पता। मेरी ऐसी कोई इच्छा नहीं है। भगवान ने मुझे मेरी जरूरत से बहुत अधिक दिया है और मैं इससे खुश हूं। हमारे पास मोदी जी हैं जिनके नेतृत्व में देश तेजी से प्रगति कर रहा है। न तो मेरी ऐसी कोई इच्छा है और न ही कोई अपेक्षा। जब तक सक्रिय हूं मैं तब तक काम करता रहूंगा। मैं आरएसएस का स्वयंसेवक और विद्यार्थी परिषद का कार्यकर्ता हूं। मैंने अपने पूरे जीवन में उसी दृढ़ विश्वास के साथ काम किया है और मैं उसी प्रेरणा से काम करता रहूंगा।