मनोविज्ञान में एक शोध पत्र की सबसे ज्यादा चर्चा होती है और वह है जॉर्ज मिलर का, ‘दि मैजिकल नंबर सेवन, प्लस और माइनस टू’ जो 1956 में प्रकाशित हुआ। उस समय मिलर हार्वर्ड में प्रोफेसर थे और उन्होंने लिखा था कि ज्यादातर वयस्क अपनी अल्पकालिक स्मृति में पांच से 9 चीजें ही याद रख सकते हैं। लेकिन दूसरी ओर, एक भारतीय के पास याद रखने के लिए कहीं अधिक संख्या है क्योंकि योजनाओं और विशिष्ट पहचान की संख्या बढ़ रही है।
पिछले साल हरियाणा सरकार ने परिवार पहचान पत्र योजना की शुरुआत की थी। इस योजना में प्रत्येक परिवार को एक विशिष्ट आठ अंकों की पहचान दी जाएगी और इसे सब्सिडी, पेंशन और बीमा के लिए राज्य सरकार की सभी योजनाओं से जोड़ा जाएगा। सरकार की योजना आमदनी के आंकड़ों को विभिन्न योजनाओं से जोडऩे की है ताकि लाभार्थियों को हर बार नई योजना के लिए पंजीकरण न कराना पड़े और उन्हें अपने आप ही सूची में शामिल या बाहर किया जा सके। यह केंद्र सरकार की योजनाओं के लिए जरूरी 12 अंकों की आधार संख्या के अलावा है। भामाशाह योजना लागू करने वाले राजस्थान की सफलता के पीछे भी यही पहल रही है। मध्यप्रदेश में समग्र आईडी तंत्र है जो आठ अंकों की परिवार पहचान संख्या है।
इसका उद्देश्य उन योजनाओं की संख्या को कम करना था जिनके लिए किसी व्यक्ति को अपना पंजीकरण कराना पड़ता है और इसके जरिये तंत्र में सेंध लगने की प्रक्रिया कम करनी थी जिसमें कई पहचान संख्या होने से मदद नहीं मिलती है।
आधार में ही सब कुछ शामिल किए जाने की उम्मीद थी लेकिन सुरक्षा और गोपनीयता नियमों की वजह से सभी लक्ष्य हासिल नहीं किए जा सके। कर आदि से जुड़े काम के लिए लोगों को पैन नंबर, चुनाव के लिए मतदाता पहचान पत्र और टीकाकरण तथा स्वास्थ्य से संबंधित डेटा के लिए एक विशिष्ट स्वास्थ्य पहचान पत्र होता है। इसके अलावा ड्राइविंग लाइसेंस और बैंक अकाउंट नंबर भी है। यह सब मोबाइल फोन नंबर के अलावा है। सरकार ने 2019 में घोषणा की थी कि वह किसानों को 12 अंकों की विशिष्ट पहचान संख्या देना शुरू करेगी जिसमें कृषि से जुड़ी सभी योजनाएं शामिल की जाएंगी। सरकार ने दिव्यांगों के लिए भी एक विशिष्ट पहचान पत्र दिया है। 12 राज्यों में संपत्ति के लिए एक विशिष्ट पहचान पत्र होता है। वहीं हरेक कंपनी के लिए भी एक कॉरपोरेट पहचान पत्र दिया जाता है और साथ ही प्रवासी श्रमिकों के लिए भी विशिष्ट आईडी होती है। सरकार इन योजनाओं को जोडऩे और आधार के दायरे में अधिक योजनाओं को लाने की कोशिश कर रही है। विभिन्न मंत्रालयों के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि पिछले साल जुलाई तक 312 योजनाओं को आधार से जोड़ा गया था। इनमें से 20 श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अधीन, 41 कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अधीन थीं वहीं करीब 70 फीसदी योजनाओं को जोडऩे में 10 मंत्रालयों का योगदान था।
ऊपर जिक्र की गई सूची में राज्य प्रायोजित योजनाओं का लेखा-जोखा नहीं है। हालांकि परिवार आईडी सरकार की तरफ से की गई बेहतर शुरुआत है और राज्य सरकार की सभी योजनाओं को एक ही दायरे में लाया जा सकता है।
सरकार इसके लिए सभी आधार आईडी को एक परिवार यूनिट को दे सकती है और इसी आधार पर लाभ का वितरण आसानी से कर सकती है।
