facebookmetapixel
खरीदारी पर श्राद्ध – जीएसटी की छाया, मॉल में सूने पड़े ज्यादातर इलेक्ट्रॉनिक्स स्टोरएयरपोर्ट पर थर्ड-पार्टी समेत सभी सेवाओं के लिए ऑपरेटर होंगे जिम्मेदार, AERA बनाएगा नया नियमकाठमांडू एयरपोर्ट से उड़ानें दोबारा शुरू, नेपाल से लोगों को लाने के प्रयास तेजभारत-अमेरिका ट्रेड डील फिर पटरी पर, मोदी-ट्रंप ने बातचीत जल्द पूरी होने की जताई उम्मीदApple ने उतारा iPhone 17, एयर नाम से लाई सबसे पतला फोन; इतनी है कीमतGST Reforms: इनपुट टैक्स क्रेडिट में रियायत चाहती हैं बीमा कंपनियांमोलीकॉप को 1.5 अरब डॉलर में खरीदेंगी टेगा इंडस्ट्रीज, ग्लोबल मार्केट में बढ़ेगा कदGST 2.0 से पहले स्टॉक खत्म करने में जुटे डीलर, छूट की बारिशEditorial: भारत में अनुबंधित रोजगार में तेजी, नए रोजगार की गुणवत्ता पर संकटडबल-सर्टिफिकेशन के जाल में उलझा स्टील सेक्टर, QCO नियम छोटे कारोबारियों के लिए बना बड़ी चुनौती

हिंडनबर्ग रिपोर्ट में माधवी पुरी बुच और धवल बुच के खिलाफ लगाए गए गंभीर आरोप, विपक्षी दलों ने की JPC जांच की मांग

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि छोटे एवं मझोले निवेशकों का हित सुरक्षित रखना होगा क्योंकि वे सेबी पर भरोसा कर शेयर बाजार में रकम लगाते हैं।

Last Updated- August 11, 2024 | 10:25 PM IST
Representative Image

अमेरिका की शॉर्ट-सेलर कंपनी हिंडनबर्ग के एक और कथित सनसनीखेज खुलासे के बाद राजनीतिक गलियारों में भी हलचल तेज हो गई है। इस बार हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) प्रमुख माधवी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं। शनिवार को हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद विपक्षी खेमे ‘इंडिया’ गठबंधन ने रविवार को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से इन आरोपों की जांच कराने की मांग की।

विपक्षी दलों ने सरकार से मांग की है कि बुच को सेबी प्रमुख पद से तत्काल हटा दिया जाए। कांग्रेस ने उच्चतम न्यायालय से भी रिपोर्ट में लगे आरोपों का संज्ञान लेने का अनुरोध किया है। पार्टी ने कहा कि उसे डर है कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद सोमवार को बाजार में उथल-पुथल रहेगी जिससे छोटे निवेशकों को नुकसान हो सकता है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि छोटे एवं मझोले निवेशकों का हित सुरक्षित रखना होगा क्योंकि वे सेबी पर भरोसा कर शेयर बाजार में रकम लगाते हैं। खरगे ने कहा कि इस बड़े कांड की जांच के लिए जेपीसी का गठन जरूरी है।

शनिवार को अपनी नवीनतम रिपोर्ट में हिंडनबर्ग रिसर्च ने दावा किया है कि सेबी प्रमुख और उनके पति दोनों का निवेश विदेश में उसी कंपनी में था, जिसका इस्तेमाल कथित तौर पर अदाणी समूह के शेयरों के दाम बढ़ाने के लिए किया गया था। हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया है कि इसीलिए सेबी प्रमुख अडाणी मामले की जांच में दिलचस्पी नहीं ले रहीं।

कांग्रेस महासचिव (संवाद) जयराम रमेश ने अपनी पार्टी की तरफ से कहा कि अदाणी प्रकरण की जांच में सेबी की दिलचस्पी नहीं लेना किसी से छुपा नहीं है। रमेश ने कहा कि उच्चतम न्यायालय की एक विशेषज्ञ समिति भी जांच को लेकर सेबी की उदासीनता को ओर इशारा कर चुकी है।

उन्होंने कहा कि समिति को मालूम हुआ था कि सेबी ने वर्ष 2018 में विदेशी फंडों के वास्तविक लाभार्थियों से जुड़ी जानकारियों की आवश्यकता से जुड़ी शर्त कमजोर और फिर 2019 में इसे पूरी तरह समाप्त कर दी थी।

रमेश ने समिति की रिपोर्ट उद्धत करते हुए कहा, ‘इस शर्त के समाप्त किए जाने के बाद सेबी के हाथ इस कदर बंध गए हैं कि उसे अनियमितताओं का पता चलता है मगर सहायक नियमों में विभिन्न दिशानिर्देशों का अनुपालन दिखने से वह कुछ कर भी नहीं पाता है…। इसी उलझन की वजह से दुनियाभर में सेबी के हाथ कुछ नहीं लगा है।’

अदाणी समूह पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट से मचे बवाल से चौतरफा दबाव में आने के बाद सेबी ने 28 जून 2023 को रिपोर्टिंग से जुड़े सख्त नियम लागू किए। बाजार नियामक ने विशेषज्ञ समिति को 25 अगस्त, 2023 को बताया कि वह 13 संदेहास्पद लेनदेन की जांच कर रहा है। रमेश ने कहा कि इन जांच में अब तक कुछ पता नहीं चल पाया है।

रमेश ने कहा कि हिंडनबर्ग के ‘खुलासे’ से जाहिर हो गया है कि माधवी बुच और उनके पति ने बरमूडा और मॉरीशस स्थित उन्हीं विदेशी फंडों में निवेश किया था जिनमें ‘विनोद अदाणी एवं उनके निकट सहयोगी चांग चुंग-लिंग और नसीर अली शाहबान अहली के निवेश वाले फंडों ने बिजली उपकरणों के फर्जी बिल से कमाई की थी।’

उन्होंने कहा, ‘यह भी कहा जा रहा है कि इन फंडों ने सेबी के नियम-कायदों का उल्लंघन कर अदाणी समूह की कंपनियों में बड़ी हिस्सेदारी खरीद ली थी। इन फंडों में बुच के वित्तीय हित होने संबंधी रिपोर्ट चकित करने वाली है।’

रमेश ने कहा, ‘बुच के सेबी प्रमुख बनते ही वर्ष 2022 में गौतम अदाणी ने उनके साथ एक के बाद एक दो बैठकें की जिन पर कई सवाल खड़े होते हैं। उस समय सेबी संभवतः अदाणी के कुछ लेन-देन की जांच कर रहा था।’

उन्होंने कहा कि अदाणी समूह की सेबी द्वारा जांच में हितों के टकराव की आशंका समाप्त करने के लिए सरकार को तत्काल कदम उठाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘मुद्दे की बात यह है कि सेबी जैसी शीर्ष संस्था में सर्वोच्च पद पर बैठे किसी व्यक्ति की संलिप्तता की जांच केवल जेपीसी से ही कराई जा सकती है। जेपीसी अदाणी प्रकरण की गहराई तक जाकर जांच कर पाएगी।’

विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि इस मामले पर तीखी बहस के डर से सरकार ने समय से एक दिन पहले ही संसद का बजट सत्र समाप्त कर दिया। बजट सत्र सोमवार को समाप्त होना था मगर यह शुक्रवार को ही संपन्न हो गया।

तृणमूल कांग्रेस के राज्य सभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा, ‘अगर संसद नहीं चलती है तो सबसे अधिक फायदा किसे मिलता है? जाहिर है, सरकार को और यही वजह है कि इस केंद्र की गठबंधन सरकार ने एक बार फिर समय से पहले संसद सत्र समाप्त कर दिया।‘ ब्रायन ने कहा कि संसद का सत्र जारी रहता तो ‘इंडिया’ गठबंधन सरकार से काफी सारे सवाल करता। तृणमूल कांग्रेस की लोक सभा सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट सांठगांठ वाले पूंजीवाद का नायाब नमूना है।

मोइत्रा ने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर पूछा कि क्या केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम एवं धन शोधन रोकथाम अधिनियम के तहत मामला दर्ज करेंगे? शिवसेना (यूटीबी) की राज्य सभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट में साफ है कि भाजपा सरकार ने अपने चहेते उद्योगपति को किस हद तक बढ़ावा दिया है। चतुर्वेदी ने कहा कि सरकार ने ‘अनियमितताओं’ में संलिप्त लोगों को नियुक्त कर सेबी जैसे संस्थानों को कमजोर कर दिया।

माधवी पुरी बुच और उनके पति धवल ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अपने खिलाफ लगे आरोपों को खारिज कर दिया और उन्हें निराधार एवं चरित्र हनन करने वाला बताया। दोनों ने एक संयुक्त बयान में कहा, ‘रिपोर्ट बिल्कुल बेबुनियाद और सच्चाई से परे है। हमारी जिंदगी और वित्तीय लेन-देन एक खुली किताब हैं।’

First Published - August 11, 2024 | 10:25 PM IST

संबंधित पोस्ट