बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की भारी जीत ने विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल दलों के सामने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। उम्मीद से एकदम उलट नतीजे देखकर कुछ विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि यह जीत चुनाव आयोग (ईसी) की मदद से हासिल हुई है। कुछ दूसरे विपक्षी दल एक दूसरे के साथ आरोप-प्रत्यारोप में लगे हुए हैं।
चुनाव आयोग के सूत्रों ने बताया कि बिहार की मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) ‘जीरो अपील’ के साथ किया गया था और राज्य में 1951 के बाद से सबसे अधिक मतदान प्रतिशत दर्ज किया गया। चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने कहा, ‘मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और चुनाव आयोग का यह प्रदर्शन अब तक के किसी भी चुनाव में सबसे अच्छा प्रदर्शन है।’
सूत्रों ने बताया कि राजग को वर्ष 2010 में (केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्त्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के कार्यकाल के दौरान) बड़ी जीत मिली थी, जिसमें जनता दल (यूनाइटेड) ने 115 सीटें और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 91 सीटें जीती थीं। राजग ने 2010 में कुल 243 सीटों में से 206 सीटें जीतीं। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने तब 168 सीटों पर चुनाव लड़कर मात्र 22 सीटें जीती थीं और उसकी तत्कालीन सहयोगी, रामविलास पासवान के नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी ने 75 सीटों पर चुनाव लड़कर केवल तीन सीटें हासिल की थीं।
भाजपा मुख्यालय में अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार विधानसभा चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने के लिए चुनाव आयोग को बधाई दी। उन्होंने कहा कि नतीजों ने इस बात की पुष्टि की है कि देश का युवा मतदाता सूची के ‘शुद्धिकरण’ के साथ है।
चुनाव आयोग के एसआईआर में पाया गया कि 22 लाख मतदाता मर चुके थे, 36 लाख बिहार से हमेशा के लिए जा चुके थे और 7 लाख मतदाता फर्जी थे। चुनाव आयोग के एसआईआर के परिणामस्वरूप कुल 65 लाख वोट हटा दिए गए। चुनाव आयोग के सूत्रों ने पूछा कि क्या राजद और कांग्रेस अतीत में अपनी सफलता का श्रेय ‘अशुद्ध’ मतदाता सूचियों को दे रहे हैं।
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने हार के लिए राजद और कांग्रेस दोनों को जिम्मेदार ठहराया। उसकी राज्यसभा सदस्य महुआ माजी ने कहा कि बिहार में ‘महागठबंधन’ के घटकों के बीच सीटों के बंटवारे के दौरान उनकी पार्टी के साथ ‘आखिरी समय में किया गया भेदभाव’ विपक्षी गुट के ‘निराशाजनक प्रदर्शन’ में झलकता है। उन्होंने कहा कि सीटों के बंटवारे के दौरान महागठबंधन धर्म निभाने में कमी मुख्य वजह रही है।
झारखंड में सत्तारूढ़ पार्टी झामुमो ने 20 अक्टूबर को घोषणा की थी कि वह पड़ोसी राज्य बिहार में विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेगी। पार्टी ने दावा किया था कि यह फैसला राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस जैसे उसके सहयोगियों द्वारा की गई ‘राजनीतिक साजिश’ के मद्देनजर लिया गया है। उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि कांग्रेस उपयुक्त उम्मीदवार नहीं उतार सकी।’