स्वतंत्र भारत के इतिहास में ऐसे मौके कम ही देखने को मिले हैं जब विदेश नीति स्थानीय चुनाव में अन्य मुद्दों पर भारी पड़ी है । पिछले नौ वर्षों के दौरान नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार और सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने प्रधानमंत्री की छवि एक करिश्माई विश्व नेता के रूप में प्रस्तुत की है। मोदी को एक ऐसे ‘विश्व गुरु’ के रूप में प्रचारित किया जा रहा है जिनसे दुनिया के अन्य नेता सलाह लेते हैं और शांति स्थापित करने में भी उनकी मदद मांगते हैं।
अब एक महत्त्वपूर्ण प्रश्न यह उठता है कि क्या नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन सफलतापूर्वक आयोजित करने के बाद मोदी की छवि और मजबूत होगी और क्या आने वाले चुनावों में भाजपा को इसका फायदा दिखेगा।
शनिवार रात एक्स पर आई भाजपा की पोस्ट इसके आगामी प्रचार अभियान का संकेत देता है। भाजपा ने एक अपने आधिकारिक हैंडल से एक पोस्ट लिखी कि भारत की अध्यक्षता में हुआ जी 20 शिखर सम्मेलन कई कारणों से बेहतरीन रहा है। पोस्ट के अनुसार, पहली बात, भारत की अध्यक्षता में अफ्रीकी संघ जी20 का स्थायी सदस्य बना। इसके अलावा रेल एवं जल मार्ग संपर्क की घोषणा हुई और एक और महत्त्वपूर्ण बात यह रही कि जी20 नेताओं के घोषणा पत्र पर चीन और रूस ने भी कोई आपत्ति नहीं जताई। मोदी ने ‘वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन’ की भी घोषणा की।
भाजपा के सूत्रों ने संकेत दिए हैं कि 18 से 22 सितंबर तक चलने वाले संसद के विशेष अधिवेशन में पार्टी सदस्य जी20 सम्मेलन में प्रधानमंत्री के योगदान की चर्चा करेंगे। पार्टी पूरे देश में सेवा पखवाड़ा के दौरान भारत को गौरवान्वित करने में प्रधानमंत्री के योगदान का बखान करेगी। यह सेवा पखवाड़ा मोदी के 73वें जन्मदिन यानी 17 सितंबर से लेकर महात्मा गांधी के जन्मदिन यानी 2 अक्टूबर तक चलेगा।
हालांकि, भाजपा के लिए यह कोई अनुचित रणनीति भी नहीं कई जा सकती। उसने 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान स्थानीय स्तर पर मोदी की छवि एक विश्व नेता के रूप में प्रस्तुत की। 2019 के चुनाव में भाजपा ने सरकार की विदेश नीति के मोर्चे पर अर्जित सफलताओं को चुनाव में भुनाने का पूरा प्रयास किया और उसे इसमें सफलता भी मिली। इससे पहले 2009 के लोकसभा चुनाव चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी और तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार संजय बारू ने सफलतापूर्वक ‘सिंह इस किंग’ अभियान की शुरुआत की थी। इस अभियान में मनमोहन सिंह को एक मजबूत नेता के रूप में दिखाया गया और दावा किया गया कि उन्होंने भारत-अमेरिका परमाणु ऊर्जा समझौता सफलतापूर्वक अंजाम तक पहुंचाने के साथ आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा दिया।
बारू को थोड़ी शंका है कि भाजपा विश्व गुरु प्रचार अभियान के दम पर मतदाताओं को अपने साथ दोबारा जोड़ पाएगी। बारू ने कहा, 2009 का चुनाव एक अपवाद था जो विदेश नीति, आर्थिक वृद्धि और लोक कल्याण पर सरकार की सफलताओं पर लड़ा गया था। मगर अब विपक्ष रोजगार और भारतीय क्षेत्र में चीन की घुसपैठ के मामले पर सरकार को घेरेगी, वहीं लोग जल्द जी20 सम्मेलन आयोजित करने में सरकार की सफलताओं को भूल जाएंगे। 2019 में पूरा विपक्ष मनमोहन सिंह के खिलाफ हो गया था। 2009 में मनमोहन सिंह को केवल पांच वर्षों में के सत्ता विरोधी रुझान का सामना करना पड़ा था मगर मोदी पिछले 10 वर्षों से सप्ताह में है और जाहिर सी बात है, सत्ता विरोधी रुहान भी अधिक ही होगा। मोदी सरकार के पास दिखाने के लिए प्रदर्शन के नाम पर कुछ नहीं है।’
जी20 की अध्यक्षता करने के बाद भाजपा के पास लोगों को दिखाने के लिए काफी कुछ जरूर है। विपक्ष के एक आरोप से भी यह बात सच दिखती है। विपक्ष ने आरोप लगाया कि जी20 शिखर सम्मेलन 2022 में ही आयोजित होना था मगर मोदी सरकार ने इंडोनेशिया से बातचीत करके इसे जानबूझकर 2023 में यानी 2024 के आम चुनाव से ठीक पहले आयोजित कराया। सरकार ने इस सम्मेलन को लेकर पूरे देश में बैठकें की थीं। सरकार ने जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत की पौराणिक परंपराओं और प्राचीन धरोहरों का भी खूब बखान किया और जगह-जगह इंडिया की जगह भारत को बढ़ावा दिया गया।
विपक्ष ने जी20 के प्रतीक चिह्न को लेकर भी शिकायत की थी जिसमें नारंगी रंग का कमल था जो भाजपा कि चुनाव चिह्न भी है। पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा का कहना है कि सरकार ने चुनाव को ध्यान में रखते हुए जी 20 शिखर सम्मेलन का आयोजन किया। सिन्हा ने कहा, ‘भारत जी-20 की अध्यक्षता करने का मौका 15 वर्षों बाद लगा जब इसे शिखर सम्मेलन का दर्जा दे दिया गया। वैसे भी कभी न कभी तो यह भारत में आयोजित होना ही था। मगर मोदी ने एक बार फिर साबित कर दिया कि नाटक और प्रचार प्रसार ही उनके लिए सब कुछ है।’
शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मोदी को जी20 समूह की सफलतापूर्वक बैठक के लिए बधाई दी। शाह ने कहा, ‘नई दिल्ली घोषणा पत्र हो या अफ्रीकी संघ को अस्थायी सदस्य के रूप में समूह में शामिल किया जाना, ये सभी साबित करते हैं की है मोदी जी के नेतृत्व में जी 20 शिखर सम्मेलन का आयोजन सफलतापूर्वक रहा और यह ऐतिहासिक भी रहा।’
राजनीतिक विश्लेषक राधिका रामशेषन का कहना है कि जी20 शिखर सम्मेलन का आयोजन भाजपा को चुनाव में फायदा दे सकता है। राधिका ने कहा कि जिस तरह 2022 में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने मोदी को विश्व गुरु और दुनिया में शांति स्थापित करने में अहम भूमिका निभाने वाले व्यक्ति के रूप में पेश किया था इस बार भी शायद पार्टी कुछ ऐसा ही करेगी।
रमेशन ने कहा, ‘2009 में सिंह इस किंग अभियान से कांग्रेस को सफलता मिली थी और भाजपा के लिए भी 2024 का चुनाव कुछ वैसा ही हो सकता है।’ उन्होंने कहा कि भाजपा जनता के बीच यह संदेश लेकर जाएगी की किस तरह मोदी ने दुनिया के धनाढ्य देशों को अफ्रीकी संघ को जी 20 के अस्थायी सदस्य के रूप में शामिल करने पर राजी कर लिया। भाजपा जी20 घोषणा पत्र में एशिया अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के विकासशील देशों को दुनिया में अधिक प्रतिनिधित्व दिलाने और मोटे अनाज के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के प्रधानमंत्री के अभियान को भी भुनाने का प्रयास करेगी। खैर जो भी हो, दिसंबर के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों के बाद यह मालूम पड़ेगा की ‘विश्व गुरु’ अभियान राज्य स्तरीय मुद्दों पर भारी पड़ता है या नहीं।