पानी बचाने को बढ़ावा देने और पानी पर बढ़ रहे खर्च के मद्देनजर कोलकाता नगर निगम (केएमसी) वाटर मीटर लगाने की तैयार कर रहा है। निगम ने जाधवपुर विश्वविद्यालय के साथ मिलकर इस योजना का मसौदा तैयार कर लिया है।
निगम ने पानी के लिए टैक्स की दर को औपचारिक से घोषण नहीं किया है।निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक कोलकाता वालों को मई से पानी पर टैक्स देने के लिए तैयार रहना चाहिए।
इसमें गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों और झोपड़-पट्टी में रहने वाले लोगों को राहत दी जाएगी। केएमसी के सूत्रों के अनुसार अभी पानी की टैक्स की दर तय नहीं की गई है लेकिन अन्य महानगरों के मुकाबले यह दर 4 से 5 गुना तक कम रहेगी।
जाधवपुर विश्वविद्यालय की जीसीपी की समन्वयक जयश्री रॉय कहतीं हैं कि ‘जब चीजें मुफ्त में मिलती हैं तो उनका दुरुपयोग होने लगता है। ऐसे में यदि आप सीमा से अधिक पानी का उपयोग कर रहे हैं तो आपको इसके लिए टैक्स देने के लिए तैयार रहना चाहिए।’
रॉय के अनुसार प्रत्येक घर में प्रति व्यक्ति 65 लीटर पानी मुफ्त दिया जाएगा। इसके बाद प्रति लीटर पानी के उपयोग पर 0.1 पैसा चुकाना होगा।
केएमसी हर साल पानी के मद में 120 करोड़ रुपये खर्च करता है। इसमें से 52 करोड़ रुपये बिजली के बिल के रूप में चला जाता है।
इस योजना को अमली जामा पहनाने के लिए केएमसी 75,000 वाटर मीटर खरीदेगा। पहले चरण में ढाई लाख घरों को वाटर मीटर के दायरे में लाने की योजना है। कोलकाता नगर निगम ने इसके लिए बाकायदा एक सर्वे कराया है।
जाधवपुर विश्वविद्यालय के वैश्विक परिवर्तन कार्यक्रम (जीपीसी) को इस सर्वे को पूरा करने में एक साल का समय लगा।सर्वे में कई चौकाने वाली बातें सामने आई हैं।
इसमें पाया गया है कि 57.3 प्रतिशत कोलकाता वाले पानी को पीने लायक बनाने के लिए काफी खर्च करते हैं जबकि केएमसी ढ़ाई लाख घरों में साफ पानी पहुंचाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च करता है।
केएमसी को औद्योगिक और व्यापार क्षेत्र से केवल 30 करोड़ रुपये मिलते हैं। निगम के शहर में पानी आपूर्ति के लिए 3 बड़े जल संयंत्र और 15 वाटर बूस्टर हैं।