हमें नहीं मालूम कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख छठी इंद्रियों पर विश्वास करते हैं या नहीं लेकिन बीते 31 जुलाई को राज्य में कानून व्यवस्था की समीक्षा करने के लिए एक बैठक बुलाई गई थी ।
जिसमें देशमुख ने सुरक्षा एजेंसियों से समुद्र और शहर के अस्पतालों में सुरक्षा बढ़ाने के लिए अनुरोध किया था। हालांकि देशमुख के इस आभास पर सुरक्षा एजेंसियों ने ध्यान नहीं दिया और जिसका खामियाजा लोगों को मुंबई बम धमाके के रूप में भुगतना पड़ा।
बीते दिनों मुंबई के विभिन्न स्थानों पर हुए आतंकी हमलों में करीब 200 लोगों की मौत हो गई जबकि 300 लोग बुरी तरह घायल हो गए।
देशमुख द्वारा 31 जुलाई को जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया था कि राज्य में कानून व्यवस्था की समीक्षा करने के लिए एक बैठक बुलाई गई थी जिसमें मुख्यमंत्री ने समुद्र के रास्तों की चौकसी बढ़ाने पर बल दिया था।
उस विज्ञप्ति में यह भी कहा गया था कि देशमुख ने सुरक्षा एजेंसियों पर जोर देते हुए कहा था कि यहां के समुद्री रास्तों पर पर्याप्त सुरक्षा चौकसी की आवश्यकता है।
बैठक के दौरान देशमुख ने कहा था कि हम लोग विभिन्न मोर्चों पर निगरानी रख रहे हैं लेकिन जहाजों की आवाजाही पर हम लोग बहुत ज्यादा ध्यान नहीं दे रहे हैं।
उन्होंने यह भी कहा था कि यहां के मछुआरों को पहचान-पत्र देने की प्रक्रिया में तेजी लाई जानी चाहिए।
दिलचस्प बात है कि प्रेस विज्ञप्ति में यह भी कहा गया था कि मुंबई और उसके अन्य उपनगरों के विभिन्न स्टेशनों जैसे- छत्रपति शिवाजी टर्मिनल (सीएसटी), चर्चगेट, ठाणे, कल्याण, कुर्ला, मुंबई सेंट्रल आदि की सुरक्षा चौकसी की समीक्षा की और साथ ही देशमुख ने गृह मंत्रालय के अधिकारियों को इन स्टेशनों में सुरक्षा चौकसी बढ़ाने के बारे में भी कहा था।
उसी बैठक में जो कि अहमदाबाद बम विस्फोट से पांच दिन पहले बुलाई गई थी, देशमुख ने कहा था कि अभी तक आतंकवादी ने देश के किसी अस्पताल को अपना निशाना नहीं बनाया है लेकिन वे वहां भी बम धमाके कर सकते हैं इसलिए हम लोगों को अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने की जरूरत है।
उन्होंने यह भी कहा था कि जे जे अस्पताल मुंबई का सबसे बड़ा सार्वजनिक अस्पताल है जहां प्रवेश के करीब 22 द्वार हैं और निस्संदेह ऐसे बड़े अस्पतालों में एकीकृत सुरक्षा व्यवस्था लागू करने की जरूरत है।
देशमुख द्वारा बुलाई गई इस बैठक में उपमुख्यमंत्री आर आर पाटिल, मुख्य सचिव जॉनी जोसेफ, पुलिस महानिदेशक ए एन रॉय, मुंबई के पुलिस उपायुक्त हसन गफूर, मुंबई नगरपालिका आयुक्त जयराज पाठक तथा रेलवे और नौसेना के शीर्ष अधिकारी भी शामिल हुए थे।
समुद्र से आतंकी हमलों की आशंका की चिंता न केवल मुख्यमंत्री ने जताई थी बल्कि केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने भी राज्य पुलिस को समुद्र से संभावित हमले के बारे में विशेष सलाह दी थी।
इस साल अगस्त महीने में खुफिया एजेंसियों ने महाराष्ट्र सरकार को आगाह किया था कि पाकिस्तान में करीब 200 लोगों को आतंकी हमलों की ट्रेनिंग दी जा रही है जोकि समुद्री रास्तों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
बीजेपी के प्रवक्ता माधव भंडारी ने बताया, ‘खुफिया एजेंसियों ने संभावित आतंकी हमलों के बारे में राज्य सरकार को सावधान किया था लेकिन राज्य सरकार दोषारोण का खेल खेल रही है।
राज्य सरकार का कोई हक नहीं बनता है कि वे खुफिया एजेंसी पर आरोप लगाए।’