उत्तर प्रदेश सरकार आवास, यातायात, कृषि और शिक्षा में निजी निवेश की राह ताक रही है। इसके लिए राज्य सरकार ने पहले ही संबंधित क्षेत्रों के वरिष्ठ अधिकारियों को नियुक्त कर दिया है।
ये अधिकारी इसके लिए बैंकों और इन क्षेत्रों में मौजूद कंपनियों से बातचीत कर रहे हैं। इन क्षेत्रों के लिए किया जाने वाल निजी निवेश नियामकों के तहत सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल और पूरी तरह से निजी भागीदारी के जरिए भी हो सकता है।
उत्तर प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त (एपीसी) अनीस अंसारी ने बताया, ‘हमें इन क्षेत्रों में निजी निवेश की सख्त जरूरत है। इसके साथ ही इस क्षेत्र में विकास की भी काफी संभावनाएं मौजूद हैं। सरकार भी निवेशकों की मांग को ध्यान में रखते हुए इन क्षेत्रों में निजी निवेश को आमंत्रित कर रही है।
राज्य सरकार ने उद्योग चैंबरों के उन प्रस्तावों का स्वागत किया है जिसमें उन्होंने सरकार को कई क्षेत्रों में निजी निवेश को बढ़ावा देने का सुझाव दिया है। उन्होंने बताया, ‘राज्य का कृषि क्षेत्र अच्छा कारोबार कर रहा है। लेकिन हमारे पास गोदामों और खाद्य प्रसंस्क रण इकाइयां नहीं हैं। हमें अपने किसानों को इन सुविधाओं को मुहैया कराने के लिए निजी निवेश की जरूरत होगी।’
अंसारी ने बताया कि अकेला उत्तर प्रदेश ही देश की कुल मांग का 21 फीसदी खाद्यान्न मुहैया कराता है और जहां तक धान, गन्ना, आलू, चीनी और बाकी सब्जियों की बात है तो इनके उत्पादन में राज्य पहले स्थान पर है।
उन्होंने बताया, ‘वैसे तो राज्य की दो-तिहाई जनसंख्या कृषि पर ही निर्भर है, लेकिन फिर भी राज्य के किसानों की प्रति व्यक्ति आय बाकी क्षेत्रों के मुकाबले काफी कम है।’
वित्त वर्ष 2008-09 में राज्य सरकार ने ग्रामीण इलाकों की सड़कों के निर्माण पर लगभग 2,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं और मार्च 2009 तक राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना पर और 3,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाने हैं। इसके अलावा राज्य सरकार यातायात और शिक्षा क्षेत्र के लिए पीपीपी मॉडल पर आधारित कई परियोजनाओं पर बातचीत कर रही है।
आवास, यातायात, कृषि और शिक्षा के क्षेत्र में निजी निवेश के लिए कर रही सरकार बातचीत
किसानों को गोदाम,खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों जैसी सुविधा देने के लिए सरकार को निजी निवेश की दरकार
