कोराना की दूसरी लहर के दौरान भी उत्तर प्रदेश से हस्तशिल्प खासकर लकड़ी, सिल्क, जूट व इनसे बने उत्पादों का निर्यात खासा बढ़ा है।
महामारी के दौरान आर्थिक गतिविधियां ठप होने के बाद भी यूरोप व अमेरिकी देशों में उत्तर प्रदेश के लखनऊ, कानपुर, सहारनपुर, मुरादाबाद, बरेली, वाराणसी, भदोही और गोरखपुर सहित कई जिलों में लकड़ी, जूट, सिल्क से बनाए गए उत्पाद तथा कालीन आदि की मांग में इजाफा हुआ।
बीते साल के मुकाबले इस साल अप्रैल और मई महीने में 744.15 करोड़ रुपये के कालीन, 72.87 करोड़ रुपये के कॉटन एवं सिल्क, 328,60 करोड़ रुपये के कपड़े और लकड़ी तथा लकड़ी से बने खिलौनों, फोटोफ्रेम तथा अन्य कलाकृतियों का 433.81 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ है जो वर्ष 2020 में हुए निर्यात से अधिक है। केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न राज्यों से हुए निर्यात के जारी किये गए नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक इस साल प्रदेश से 21,500.85 करोड़ रुपये के उत्पादों का निर्यात हुआ है। जो पिछले साल के मुकाबले 152.67 फीसदी अधिक है। बीते साल अप्रैल-मई में 8511.34 करोड़ रुपये का सामान निर्यात किया गया था।
प्रदेश सरकार के अधिकारियों के मुताबिक निर्यात को बढ़ावा देने के लिए शुरू किए गए प्रयासों के चलते ही लकड़ी एवं जूट से बने उत्पादों के अलावा चावल, खिलौने, दवाई, कालीन, सिल्क, उर्वरक, मछली उत्पाद, चीनी और कृत्रिम फूल जैसे सामानों के विदेशों से खूब आर्डर मिले। इसके परिणामस्वरूप अब यूपी निर्यात के मामले में देश में छठवें स्थान पर आ गया है।
निर्यात प्रोत्साहन के लिए प्रदेश सरकार ने हर जिले में ओवरसीज ट्रेड प्रमोशन ऐंड फैसिलिटेशन सेंटर बनाने का फैसला किया है। ओवरसीज ट्रेड प्रमोशन ऐंड फैसिलिटेशन सेंटर से प्रदेश के 25 निर्यात बाहुल्य जिलों से निर्यात में 250 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी होने का अनुमान है। इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर 2,500 रोजगार मिलेगा। इसी तरह 25 अपेक्षाकृत कम निर्यात वाले जिलों में निर्यात में 125 करोड़ की बढ़ोतरी और 1,250 लोगों को रोजगार मिलेगा।
