अगर किसी भी उद्यमी से यह पूछा जाए कि उत्तर पद्रेश में उद्योग लगाने की स्थिति प्रतिकूल है या नहीं, तो सभी इसका हां में जवाब देते हैं।
हालांकि वे यह भी कहते हैं कि अगर आधारभूत चीजें और बिजली की व्यवस्था सही हो तो बेहतर होगा। दरअसल, बिजली की किल्लत के कारण ही राज्य सरकार को तमाम तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।यही वजह है कि सरकार 11 वें पंचवर्षीय योजना में नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन के साथ मिलकर 10000 मेगावाट के संयंत्र लगाने जा रही है। इसके अलावा, भेल और अन्य प्राइवेट क्षेत्रों की कंपनियां भी बिजली उत्पान और आपूर्ति में लगी हुई हैं।
सरकार का मकसद 24 घंटे बिजली की आपूर्ति बहाल करने की बात कही है, लेकिन बिजली किल्लत से समस्या हो सकती है। िबिजली उत्पादन बढाने के लिए सरकार ने कई संयंत्र लगाने पर काम कर रही है। इसमें कुछ निजी कंपनियां भी शामिल हैं, ता कुछ संयुक्त उद्यम लगाए जाने हैं।
वर्तमान समय में राज्य में 5,500 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा ह ै, जबकि मांग 8000 मेगावाट के आसपास है। ऐसे में बिजली की किल्लत स्वाभाविक है। मांग और आपूर्ति में इस अंतर की वजह मई के महीने में भयंकर बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है। इससे सबसे ज्या राज्य के औद्योगिक क्षेत्र प्रभावित होंगे, जिनमें गाजियाबाद, फिरोजाबाद, कानपुर आदि शामिल हैं।
हाल ही में यूपी पावर कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) ने राज्य में बिजली व्यवस्था में सुधार लाने के मकसद से 1,800 करोड़ रुपये की मांग की है। सरकार ग्रामीण इलाकों में बिजली की व्यवस्था बहाल करने पर जोर दे रही है। इसके लिए ग्रामीण इलाकों में सबस्टेशन भी बनाए जाने हैं।
सच तो यह है कि मांग बढ़ने से ही किल्लत नहीं बढ़ी है, बल्कि बिजली के उत्पादन में भी कमी आई है। दरअसल, कई संयंत्रों में पुराने उपकरण लगे हुए हैं, जिससे उत्पादन पर असर पड़ना स्वाभाविक है। ऐसी समस्या से निपटने के लिए सरकार सार्वजनिक-निजी क्षेत्रों के तहत संयंत्र लगाने और उसका विस्तार करने पर जोर दे रही है। इसी क्रम में ललितपुर, ओबरा और अनपारा में थर्मल पावर संयंत्र स्थापित किए जा रहे हैं, जो संयुक्त उपक्रम हैं।
इसके साथ ही बुंदेलखंड इलाके के ललितपुर जिले में एनटीपीसी की ओर से 4000 मेगावाट बिजली संयंत्र लगाने की योजना पर बात-चीत चल रही है। यूपीपीसीएल के चेयरमैन जी पट्टानिक ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट के लिए 20000 करोड़ रुपये की लागत से 2500 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया है। इसके लिए सर्वे भी हो चुका है और पहले चरण का काम सही दिशा में चल रहा है।
इसके साथ ही सरकार मध्य क्षेत्र से बिजली लाने की बात भी कह रही है।बुंदेलखंड इलाके में बिजली की व्यवस्था सुचारू बनाने के लिए राज्य सरकार की ओर से खास हिदायत दी गई है। ऐसा इसलिए क्योंकि बुंदेलखंड का इलाका विकास से कोसों दूर है और अगर यहां बिजली आई तो विकास की गति भी रफ्तार पकड़ सकती है।
इसके साथ ही भेल 1000 मेगावाट के बिजली संयंत्र की स्थापना कोल इंडिया लिमिटेड को बिजली की आपूर्ति के लिए कर रही है। यूपीपीसीएल अपने संयंत्रों व आपूर्ति व्यवस्था को अत्याधुनिक बनाने की भी बात कर रही है, जिससे बिजली का उत्पादन अधिक से अधिक हो सके और संकट का सामना न करना पड़े। इसके लिए कारपोरेशन की ओर से एरियल बंच कंडक्टर लगाए जा रहे हैं।
इससे बिजली चोरी में भी मदद मिलेगी और लोग कंटिया आदि के जरिए बिजली की चोरी नहीं कर पाएंगे। इससे भी कुछ हद तक बिजली संकट कम करने में मदद मिलेगी। इसके लिए कारपोरेश की ओर से पहले चरण में 10,000 किलोमीटर तक एरियल कंडक्टर लगाए जाएंगे।सच तो यह है कि बिजली का लाइन ह्रास 7.5 से 10 फीसदी तक हो जाता है, वहीं चोरी आदि भी खूब होती है। ऐसे में सही मात्रा में बिजली लोगों को नहीं मिल पाती है। सरकार इस पर भी अंकुश लगाने की बात कह रही है।
राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत कारपोरेशन ग्रामीण इलाकों के विद्युतीकरण कर रही है और गांवों में सब स्टेशन भी लगाए जा रहे हैं। इसके लिए ग्राम सभा की जमीन अधिगृहीत की गई है।इसके साथ ही साथ कारपोरेशन का कहहना है कि सभी संयंत्रों को अत्याधुनिक बनाया जाएगा और जरूरत पड़ी हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी इलाकों से बिजली मंगाई जाएगी।