दिल्ली के बाजारों में दिखने लगी दीवाली की रौनक

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 14, 2022 | 10:01 PM IST

सामान्य दिनों में दिल्ली के मशहूर बाजारों में काफी भीड़ के साथ पटरी वाले विक्रेताओं की भी बड़ी तादाद नजर आती है। इन बाजारों की गलियां गुलजार रहती हैं और कई स्टॉल खरीदारों को लुभाने की जुगत में लगे होते हैं जहां खरीदार मोल-तोल करते हुए भी नजर आ जाते हैं। मगर त्योहारी सीजन के दौरान अच्छी बिक्री का अब भी इंतजार है।
अगर कोविड के बाद दुनिया में कुछ बदलाव दिखना चाहिए तो दीवाली के बाजार में यह सब नजर आना चाहिए था लेकिन दिल्ली के सरोजिनी नगर मार्केट की संकरी गलियों में विक्रेताओं की तेज आवाज सुनाई दे रही है और खरीदारों की भारी भीड़ भी लगी हुई है। बाजार की भीड़ में जो लोग नजर आ रहे हैं उनके चेहरे पर मास्क लटका हुआ होता है और वे सामाजिक दूरी के नियमों से भी बेखबर नजर आते हैं और हर कोने पर खाने-पीने के स्टॉल लगे हुए हैं जहां लोग पहले की तरह ही खाने के लिए जुटे हुए हैं। दीवाली में अभी 15 दिनों की देरी है लेकिन लोगों का उत्साह अभी से देखा जा रहा है। धूप वाला चश्मा और चश्मे का फ्रेम बेचने वाले विकास कुमार कहते हैं, ‘आप कब तक लोगों के घर के अंदर रहने की उम्मीद करते हैं? आखिर अब दीवाली आ गई है। लोगों की तादाद में काफी बढ़ गई है और पिछले साल की तरह ही भीड़ एक दो दिनों में बढ़ेगी।’
एडिडास, प्यूमा और नाइकी जैसे ब्रांड की हूबहू नकल बेचने वाले सुरेश छूट देकर  अपना स्टॉक खत्म करना चाहते हैं जो कई महीने से भरा हुआ है। वह आगे कहते हैं, ‘ऐसा कुछ भी नहीं है कि पहले की तरह स्थिति हो गई है लेकिन मुझे खुशी है कि बाजार खोला गया है। इससे दीवाली की खुशियां रहेंगी। कोरोनावायरस अब परेशान नहीं कर सकता।’
सस्ते कार्डिगन की खरीदारी कर रहीं दीपा सिंह कहती हैं, ‘दीवाली खरीदारी का हम सबको इंतजार होता है लेकिन इस साल हम खरीदारी करने से पहले हम कपड़े ट्राई नहीं कर सकते हैं।’ सिराज अंसारी दिल्ली हाट की अपनी दुकान नंबर 65 में ग्राहकों को बुला रहे हैं ताकि वे आकर रेशमी साड़ी और दुपट्टे खरीद सकें जिन्हें उन्होंने खुद बुना है। वह कहते हैं, ‘कुछ ऐसे दिन भी हैं जब वह एक पीस भी बेच नहीं पाते हैं जबकि पहले हम करीब 25,000 रुपये रोजाना की बिक्री कर लेते थे।’
सरोजिनी नगर और लाजपत नगर जैसे लोकप्रिय शॉपिंग केंद्र के मुकाबले दिल्ली हाट काफी सुनसान सा है। इस महीने की शुरुआत में नवरात्र के दौरान भी त्योहारी सीजन में कपड़ा, आभूषण और हस्तशिल्प कारोबारियों को काफी निराशा हाथ लगी थी। अंसारी की तरह लखनऊ के कारीगर शारिक खान भी 9 साल से दिल्ली हाट आ रहे हैं। उनका दावा है कि कारोबार पिछले साल की तुलना में 95 फीसदी कम है। वह कहते हैं, ‘पांच या छह दिन में मुझे एक भी खरीदार नहीं मिला। साल के इस समय तक मैं प्रतिदिन 40,000 रुपये से अधिक की कमाई करता था।’ दिल्ली हाट के विक्रेताओं का कहना है कि उन्होंने अपने लगभग तीन दशक के इतिहास में इस जगह को कभी खाली नहीं देखा है।
खरीदार घरों से बाहर आ रहे हैं लेकिन वे सावधानी से खर्च कर रहे हैं। लोगों की औसत तादाद कम हो गई है और दीवाली के दौरान इसमें रिकवरी की संभावना नहीं लगती है। चांदनी चौक और सदर बाजार के भीड़ भरे पुरानी दिल्ली के बाजारों में एक ही कहानी है। इसके अलावा खान बाजार में भी कुछ ऐसा ही नजारा है जिसे दुनिया के सबसे महंगे स्थानों में शुमार किया जाता है। खान मार्केट ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संजीव मेहरा कहते हैं, ‘फि लहाल सिर्फ  जरूरत की चीजें खरीदी जा रही हैं न कि लक्जरी और त्योहारी खरीदारी की जा रही है। सप्ताह के दिनों में  महामारी से पहले की भीड़ के मुकाबले करीब 40-50 प्रतिशत तक की भीड़ देखी जाती है जबकि सप्ताहांत पर इनकी तादाद 70-80 प्रतिशत तक हो जाती है।’

First Published : October 31, 2020 | 1:04 AM IST