हरियाणा में चल रहा सूरजकुंड क्राफ्ट मेला मंदी के असर से बेखबर नजर आ रहा है। और तो और इस बार इस मेले में कारोबारी पिछले बार की तुलना में अधिक कमाई कर रहे हैं।
दक्षेस देशों के अलावा इस बार शिल्पियों के इस महाकुंभ में मिस्र, थाईलैंड और ब्राजील जैसे कई देश भी आए हैं। मेले के आधिकारिक प्रवक्ता राजेश जून ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘हर साल फरवरी के पहले पखवाड़े में आयोजित मेले में पिछले साल 400 शिल्पियों ने भाग लिया था।
इस बार यह संख्या बढ़ कर 452 हो गई है। इन कारोबारियों में 39 विदेश के हैं। ये शिल्पी मिस्र, थाईलैंड, बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका, भूटान जैसे देशों से हैं।
हालांकि उन्होंने मेले के कुल कारोबार के बारे में बताने से इनकार कर दिया, लेकिन कहा कि मेले में कारोबार की रकम यहां पंजाब नैशनल बैंक में जमा की जाती है जो करोड़ों रुपये बैठती है।
पिछले साल की तुलना में इस बार कुल कारोबार में इजाफा होने की उम्मीद है।
एक ही मौका
इस मेले की एक खासियत यह है कि किसी शिल्पकार या कारोबारी को एक बार यहां मौका दिया जाता है, फिर वह 3 साल तक इसमें शिरकत नहीं कर सकता।
इसके पीछे मकसद यह होता है कि अन्य शिल्पकारों को भी यहां अपनी कला का प्रदर्शन करने का मौका दिया जा सके।
बिक्री बढ़ी
इस मेले में कारोबारी पिछले साल की तुलना में अधिक बिक्री कर रहे हैं। यहां बिकने वाले सामान पर वैट एवं बिक्री कर से छूट है। पिछले साल की तुलना में इस बार दर्शकों की संख्या भी उत्साहजनक है। इससे स्पष्ट है कि मंदी मेले पर अपनी छाया नहीं डाल पाई है।
देश में हस्तशिल्प वस्तुओं के निर्माण में लाखों लोग लगे हुए हैं जिन्हें ऐसे मेलों का शिद्दत से इंतजार रहता है। दरअसल उन्हें इस मेले के जरिए अपने हुनर का प्रदर्र्श करने का मौका मिल जाता है।
देश के विभिन्न स्कूलों से आई छात्र टीमें भी यहां सजावटी सामानों की बिक्री कर रही हैं। मेले में आप बर्तन बनाने वाले कुम्हारों, बुनकरों, लकड़ी की नक्काशी करने वालों, चित्रकारों और अन्य शिल्पकारों आदि को एक ही मंच पर देख सकते हैं।
कारोबारियों को छूट
कारोबारियों के लिए अहम बात यह है कि उन्हें मेले में स्टॉल लगाने के लिए कोई शुल्क या किराया नहीं चुकाना पड़ता है।