महाराष्ट्र में 2021-12 के लिए गन्ना पेराई सीजन 15 अक्टूबर से शुरु होगा। 15 अक्टूबर से पहले गन्ने की पेराई शुरू करने वाले कारखानों के कार्यकारी निदेशकों के खिलाफ अपराधिक मामला दर्ज किया जाए। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में हुई मंत्री समिति की बैठक यह निर्णय लिया लिया गया। इस सीजन में राज्य में चीनी का उत्पादन 5.6 फीसदी की वृद्धि के साथ 112 लाख टन तक पहुंचने की उम्मीद है।
भारत के दूसरे सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में 15 अक्टूबर से गन्ना पेराई का काम शुरू होगा जबकि 1 अक्टूबर से गन्ना सीजन शुरू हो रहा है। प्रदेश सरकार की तरफ से कहा गया कि गन्ना सीजन 2021-22 के लिए गन्ने का रकबा बढ़कर 12.32 लाख हेक्टेयर हो गया है, जबकि गन्ने का प्रति हेक्टेयर उत्पादन 97 टन होने की उम्मीद है। हमें उम्मीद है कि अगले सीजन में 193 चीनी मिलें चालू हो जाएंगी, जो 1096 टन गन्ने की पेराई करेंगी।
केंद्र सरकार द्वारा दिये गये निर्देश के अनुसार एफआरपी निर्धारित करने के लिए चीनी आयुक्त की अध्यक्षता में एक अध्ययन समूह का गठन किया गया था। इस अध्ययन दल ने आज अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। सहकारिता विभाग गन्ना नियंत्रण बोर्ड को इस रिपोर्ट को प्रस्तुत कर शीघ्रातिशीघ्र निर्णय लेने के निर्देशर दिये गये। बैठक में यह निर्णय भी लिया गया कि चीनी कारखानों के द्वारा किसानों को तत्काल एफआरपी रकम का भुगतान किया जाए। जो कारखाने एफआरपी रकम का समय पर और पूरा भुगतान नहीं करते हैं, उन्हें अगले सीजन में पेराई के लिऐ गन्ना देना है अथवा नहीं, यह किसान तय करें, इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए जाएं।
राज्य के चीनी आयुक्तालय के अनुसार, महाराष्ट्र ने 2020-21 चीनी सीजन में 1,013 लाख टन गन्ने की पेराई करके 106.4 लाख टन चीनी का उत्पादन किया था. महाराष्ट्र 206 करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्पादन करता है. राज्य की 112 चीनी मिलों ने इथेनॉल निर्माण संयंत्र स्थापित किए हैं. समिति ने राज्य के चीनी उद्योग को नियंत्रित करने वाले चीनी आयुक्तालय को उन चीनी मिलों को पेराई लाइसेंस जारी नहीं करने का निर्देश दिया, जिन्होंने किसानों के बकाया का भुगतान नहीं किया है. समिति ने निर्देश देते हुए कहा है कि केवल 146 चीनी मिलों ने किसानों का 100 फीसदी उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) का भुगतान किया है।
हालांकि सरकार ने मिलों को नए सीजन की चीनी का उत्पादन 15 अक्टूबर से शुरू करने की अनुमति दी है, लेकिन मानसून की वापसी के कारण पेराई कार्य शुरू होने की तारीख प्रभावित होती है क्योंकि गन्ना काटने के लिए मजदूरों के लिए खेतों को सूखना पड़ता है। महाराष्ट्र में चीनी मिलों ने 31 जुलाई तक गन्ना किसानों को 30,418.01 करोड़ रुपए फेयर एंड रिम्यूनरेटिव प्राइस (एफआरपी) का भुगतान किया है। पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में, इस वर्ष की एफआरपी 222 फीसदी अधिक है, इसमें कुल मिलाकर 16,689 करोड़ रुपए की वृद्धि हुई है. जुलाई 2020 में चीनी मिलों ने 13,728.94 करोड़ रुपये एफआरपी का भुगतान किया था, जो कि कुल देय एफआरपी का लगभग 95 फीसदी था । हालांकि, इस साल मिलों ने कुल 30,809.91 करोड़ देय एफआरपी का 99 फीसदी भुगतान करके एक रिकॉर्ड बना दिया है।
बैठक में बताया गया कि प्रदेश में 112 सहकारी एवं निजी कारखानों में इथेनॉल परियोजनाएं कार्यरत की जा रही हैं। जिनसे 206 करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्पादन होता है। केंद्र सरकार ने शुगर, शुगर सिरप और बी-हैवी मालॅसिस से इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने की नीति अपनाई है जिससे 2022 तक 10 फीसदी इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य हासिल किया जायेगा।
गन्ने को ड्रिप सिंचाई के अंतर्गत लाए जाने से उत्पादन में वृद्धि होती है। गन्ने के अधिक से अधिक क्षेत्र को ड्रिप सिंचाई के अंतर्गत लाने के लिए विभाग के द्वारा किसानों को प्रोत्साहित किया जाए और इसके लिए आवश्यक जानकारी दी जाएगी।
इस बैठक में उप मुख्यमंत्री अजीत पवार, राजस्व मंत्री बालासाहेब थोरात, सहकारिता मंत्री बालासाहेब पाटिल, कृषि मंत्री दादाजी भुसे, राज्य मंत्री विश्वजीत कदम, चीनी संघ के अध्यक्ष जयप्रकाश दांडेगांवकर तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी और चीनी संघ के पदाधिकारी शामिल हुए।