वेतन बढ़ोत्तरी की घोषणा के बाद भी महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (एमएसआरटीसी) के कर्मचारियों काम पर वापस नहीं लौटे। राज्य सरकार ने चेतावनी देते हुए कहा है कि शुक्रवार तक काम नहीं लौटने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। करीब एक महीने से जारी हड़ताल के कारण राज्य सरकार की परिवहन सेवा ठप पड़ी है जिससे लोगों को भारी परेशानी हो रही है।
एमएसआरटीस के कर्मचारी 28 अक्टूबर से हड़ताल पर हैं और नकदी की कमी से जूझ रहे निगम का राज्य सरकार में विलय करने की मांग कर रहे हैं, जिससे उन्हें राज्य सरकार के कर्मचारियों का दर्जा और बेहतर वेतन मिल सके। महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री अनिल परब ने गुरुवार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि एमएसआरटीसी के कर्मचारी शुक्रवार तक काम पर नहीं लौटे, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकती है। परब ने हड़ताल समाप्त कराने की कोशिश के तहत बुधवार को कर्मचारियों के मूल वेतन में 2,500 रुपये से 5,000 रुपये की बढ़ोतरी की घोषणा करते हुए दावा किया था कि यह निगम के इतिहास में सबसे ज्यादा वेतन वृद्धि होगी। परिवहन मंत्री ने कर्मचारियों को ड्यूटी पर लौटने के लिए 24 घंटे की समय सीमा भी दी थी।
परब ने कहा कि उन्होंने कर्मचारियों के निलंबन को वापस लेने का आश्वासन दिया है और वह आज एमएसआरटीसी अधिकारियों के साथ बैठक में स्थिति की समीक्षा करेंगे। मंत्री ने कर्मचारियों से दोबारा ड्यूटी पर आने की अपील करते हुए चेतावनी भी दी कि शुक्रवार को निर्धारित समय सीमा के भीतर काम पर नहीं लौटने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। एमएसआरटीसी के एक अधिकारी के मुताबिक, निगम राज्य भर के कर्मचारियों की हाजिरी की जानकारी जुटा रहा है। हालांकि प्रारंभिक रिपोर्टों से पता चला है कि अधिकांश कर्मचारी काम पर नहीं लौटे हैं।
राज्य के सभी 250 डिपो में बसों का संचालन भी बंद कर दिया गया है। एमएसआरटीसी के कर्मचारी निगम के राज्य सरकार में विलय की मांग को लेकर हड़ताल पर हैं। कर्मचारियों का कहना है निगम के विलय से उन्हें बेहतर वेतन और नौकरी की सुरक्षा मिलेगी। नौ नवंबर से राज्य परिवहन बस के सभी 250 डिपो बंद हैं, जबकि हड़ताल 28 अक्टूबर से शुरु हुई थी।
