ऑटोमोबाइल पाट्र्स उत्पादन से जुड़ी मशीनें मार्च में और तेजी के साथ चल रही हैं।
गत फरवरी के मुकाबले इस माह के दौरान ऑटोमोबाइल पाट्र्स के उत्पादन में 7-8 फीसदी तक की बढ़ोतरी नजर आ रही है। इस प्रकार गत दिसंबर-जनवरी के मुकाबले यह तेजी 17 फीसदी के आसपास पहुंच चुकी है।
उत्पादकों के मुताबिक यह तेजी मुख्य रूप से दोपहिया वाहनों के पाट्र्स में आयी है। उम्मीद के विपरीत उत्पादन में एकाएक तेजी आने से पाट्र्स निर्माताओं को कारीगरों की कमी हो गयी है।
बजाज कंपनी के दोपहिया वाहनों के लिए पाट्र्स बनाने वाले फरीदाबाद स्थित उद्यमी राजीव चावला कहते हैं, ‘हमारे यहां तो रात में भी काम शुरू हो गया है। ऑटोमोबाइल पाट्र्स की मांग एकदम से इतनी बढ़ गयी है कि उसके अनुरूप हम पूर्ति नहीं कर पा रहे हैं। कुशल कारीगर के साथ अन्य कर्मचारियों की भी कमी हो गयी है।’
उन्होंने बताया कि यह तेजी गत दिसंबर-जनवरी के मुकाबले 17-20 फीसदी अधिक है तो फरवरी के मुकाबले 7-8 फीसदी। उन्होंने बताया कि बजाज दोपहिया वाहनों के कई नए मॉडल बाजार में आ रहे हैं लिहाजा उन्हें भी काफी अधिक ऑर्डर मिल रहे हैं।
पाट्र्स निर्माताओं ने बताया कि टाटा स्टील की बिक्री में 47 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है और यह इस बात के सबूत है कि ऑटोमोबाइल पाट्र्स के बाजार में तेजी लौट रही है। उद्यमी एवं फरीदाबाद लघु उद्योग संघ के अध्यक्ष चावला कहते हैं कि इन दिनों पूरे फरीदाबाद ऑटोमोबाइल पाट्र्स की इकाइयों में दिनरात काम हो रहा है।
फरीदाबाद में 10,000 से अधिक ऑटोमोबाइल पाट्र्स के उत्पादक हैं। नोएडा स्थित ऑटोमोबाइल पाट्र्स के उत्पादक भी मार्च के दौरान फरवरी के मुकाबले आयी तेजी से सहमत नजर आ रहे हैं। हीरो होंडा मोटरसाइकिल के लिए पाट्र्स बनाने वाले आरडी शर्मा कहते हैं, ‘फिलहाल काम बहुत निकल आया है और उन्हें इन दिनों बिल्कुल भी फुर्सत नहीं हैं।’
उनकी दोनों इकाइयों में दिन-रात काम हो रहा है। हालांकि कार पाट्र्स के कारोबारियों को दोपहिया वाहनों जैसी तेजी अभी नसीब नहीं हुई है। कश्मीरी गेट स्थित कार पाट्र्स के कारोबारी नरेंद्र मदान कहते हैं, ‘कार पाट्र्स का बाजार अब भी मंदी में फंसा हुआ है। सुधार के संकेत मिलने लगे हैं लेकिन दिसंबर-जनवरी के मुकाबले अभी 17-18 फीसदी की तेजी नहीं आयी है।’
