पेट्रोल डीजल की कीमतें कम करने को लेकर महाराष्ट्र सरकार पर लगातार दबाव बनता जा रहा है। विपक्षी दल भाजपा के बढ़ते दबाव के बाद अब सहयोगी दलों की तरफ से संकेत दिए जा रहे हैं कि राज्य में जल्द ईंधन की कीमतों में कटौती की जाएगी। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की तबियत ठीक होने के बाद राज्य सरकार वैट में कटौती करके लोगों को राहत देने का काम करेगी।
केंद्र सरकार ने 3 नवंबर को पेट्रोल-डीजल से उत्पाद शुल्क घटाया तो देश के कई राज्यों ने भी वैट में कटौती कर दी जिस कारण इन राज्यों में पेट्रोल-डीजल के दाम सस्ते हो गए लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने अभी तक वैट में कटौती नहीं की। राजस्थान सरकार ने भी वैट की दरों में कटौती कर दी जिसके बाद महाराष्ट्र सरकार पर दबाव बढ़ गया है। राजस्थान में सरकार चलाने वाली कांग्रेस महाराष्ट्र की सत्ता में भी शामिल है और अब कांग्रेस की तरफ से संकेत दिये जा रहे हैं कि राज्य में जल्द ही वैट की दरें कम होगी।
प्रदेश कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले ने कहा कि केंद्र ने उपचुनावों में झटका मिलने के बाद ही पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती की थी। पटोले ने कहा कि महाराष्ट्र कांग्रेस ने राज्य में ईंधन की कीमतों में कुछ कटौती करने के तरीके तलाशने के बारे में अपनी मांग से पहले ही मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को अवगत करा दिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली राजस्थान सरकार पहले ही मूल्य वर्धित कर (वैट) में इसी तरह की कटौती कर चुकी है। कांग्रेस नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री सर्जरी के बाद अभी आराम कर रहे हैं, इसलिए हम कुछ दिनों तक इंतजार करेंगे। हम उनसे व्यक्तिगत रूप से मिलेंगे और अपनी मांग के बारे में उन्हें सूचित करेंगे।
पटोले ने कहा कि केंद्र सरकार ने ईंधन पर विभिन्न रूपों में उपकर लगाया है, जो 1 अप्रैल से 31 अक्टूबर के बीच 30,000 करोड़ रुपये रहा है। पटोले ने दावा किया कि केंद्र सरकार ने महीनों तक जीएसटी छूट को रोककर महाराष्ट्र सरकार को पहला झटका दिया था। वित्तीय संकट को और गंभीर करने के लिए केंद्र ने ईंधन पर विभिन्न रूपों में उपकर लगाया। इसने राज्य में पेट्रोल और डीजल की बिक्री से राज्य सरकार की कमाई को कम करने के लिए विभिन्न कानूनी साधनों और प्रशासनिक खामियों का इस्तेमाल किया है।
कुछ दिन पहले राकांपा प्रमुख शरद पवार ने भी वैट में कटौती के संकेत दे चुके हैं। पवार ने कहा कि इस मुद्दे पर हमें राज्य सरकार से बात करनी होगी। उन्होंने कहा कि वे निश्चित रूप से पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर राहत देंगे, हालांकि केंद्र को राज्य को जल्द से जल्द जीएसटी मुआवजा देना चाहिए। इसके बाद ही लोगों की मदद के लिए यह फैसला लेना संभव हो सकेगा। इस पर राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार से बात की है।
दीवाली से एक दिन पहले केंद्र ने पेट्रोल पर पांच रुपये और डीजल पर 10 रुपये उत्पाद शुल्क की कटौती की है। लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने वैट में कोई कटौती नहीं की तभी से भाजपा वैट में कटौती की मांग कर रही है। भाजपा नेताओं का कहना है कि कुछ दिन पहले तक महाराष्ट्र की सत्ता में शामिल दल पेट्रोल-डीजल के दाम करने की मांग कर रहे थे, पेट्रोल- डीजल की कीमतों को लेकर आंदोलन कर रहे थे लेकिन जब केंद्र सरकार ने कीमतों में कटौती शुरु की तो वह मौन है जिससे साबित होता है कि उनका आंदोलन महज दिखावा था। महाराष्ट्र सरकार पेट्रोल पर 25 फीसदी और डीजल पर 21 फीसदी वैट लगाती है। इसके अलावा 9 फीसदी का अतिरिक्त कर (सेस) लगाती है जिस कारण महाराष्ट्र में कीमतें देश के दूसरे राज्यों के अपेक्षा अधिक है। पेट्रोल- डीजल से राज्य सरकार को सालाना लगभग 40 हज़ार करोड़ का राजस्व प्राप्त होता है।
