महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार में शामिल दलों के बीच कड़वाहट अक्सर बाहर आती रहती है लेकिन पहली बार किसी शिवसेना नेता ने सीधे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार पर हमला बोल दिया। पवार की पार्टी की तरफ से भी पलटवार शुरू हो गया। पवार पर हमला शिवसेना की भाजपा से बढ़ती नजदीकियों का असर माना जा रहा है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और शिवसेना नेता अनंत गीते ने रायगड में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि शरद पवार कभी हमारे नेता नहीं हो सकते क्योंकि यह सरकार (एमवीए) केवल एक समझौता है। लोग पवार के लिए जितनी वाहवाही करें, लेकिन हमारे गुरु केवल बालासाहेब ठाकरे हैं। गीते ने कहा कि जब तक यह सरकार काम कर रही है, तब तक चलती रहेगी, अगर हम अलग हो गए तो हमारा घर शिवसेना है और हम हमेशा अपनी पार्टी के साथ रहेंगे। रायगड के पूर्व सांसद गीते ने कहा कि शिवसेना के नेतृत्व वाली सरकार के प्रति उनकी कोई बुरी मंशा नहीं है और वह चाहते हैं कि सरकार चले। शिवसेना नेता ने कहा कि पवार ने कांग्रेस की पीठ में छुरा घोंपकर अपनी पार्टी बनाई थी। यदि कांग्रेस और राकांपा एक नहीं हो सकते हैं तो शिवसेना भी पूरी तरह से कांग्रेस की नीति पर नहीं चल सकती। कांग्रेस और राकांपा के रिश्ते हमेशा से सौहार्दपूर्ण नहीं थे।
लोकसभा चुनाव में गीते को धूल चटाने वाले राकांपा नेता सुनील तटकरे ने गीते पर पलटवार करते हुए सवाल किया कि अगर शरद पवार आपके नेता नहीं हो सकते हैं तो फिर उस समय उनके पैर क्यों पड़े थे? तटकरे ने कहा कि जब महाविकास आघाडी की स्थापना हुई तब अनंत गीते ने शरद पवार के पैर छुए थे और महाविकास अघाड़ी के लिए उनका आभार जताया था। मामला बिगड़ता देख शिवसेना नेताओं ने मामले को ठंडा करने की कोशिश शुरू कर दी। शिव सेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने अनंत गीते के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया में पवार की जमकर तारीफ की। राउत ने कहा कि पवार महाराष्ट्र सरकार का मुख्य स्तंभ हैं, अनंत गीते का बयान उनका व्यक्तिगत मत हो सकता है, यह पार्टी का मत नहीं है।
