लंबे इंतजार के बाद आखिरकार आज से मुंबई समेत पूरे महाराष्ट्र में स्कूल शुरू हो गए। महाराष्ट्र में 18 महीने से अधिक समय के बाद स्कूल परिसर में पांचवी से 12वीं के छात्रों की कक्षाएं शुरु हुई। राज्य सरकार के आदेश पर स्कूल तो खुल गए लेकिन स्कूल बसें अभी पूरी तरह तैयार नहीं है जिनको तैयार होने में करीब एक महीने का समय लगेगा। राज्य में कोविड-19 के मद्देनजर अभी तक कक्षाएं ऑनलाइल आयोजित की जा रही थीं।
महाराष्ट्र की स्कूल शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ ने राज्य में स्कूल परिसर में कक्षाएं शुरू होने की पिछले महीने घोषणा की थी और सरकार ने एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) भी जारी की थी। शिक्षा मंत्री ने सुबह सुबह ट्वीट करके शुभकामनाएं देते हुए लिखा कि आज राज्य भर में स्कूल खुलने पर सभी अभिभावकों और छात्रों को शुभकामनाएं। हम आशा करते हैं कि आप एक सुरक्षित माहौल में अपने पहले दिन का आनंद लेंगे। महाराष्ट्र सरकार के अनुसार ग्रामीण इलाकों में पांचवी से 12वीं कक्षाओं और शहरी इलाकों में आठवीं से 12वीं कक्षाओं के लिए स्कूल खुले हैं। ग्रामीण इलाकों में पहली से चौथी कक्षा और शहरी इलाकों में पहली से सातवीं कक्षा के छात्रों के लिए स्कूल नहीं खुले।
महाराष्ट्र के शिक्षा विभाग ने स्कूलों परिसर में कक्षाएं फिर से शुरू करने से पहले, स्थिति का जायजा लेने के लिए रविवार को एक बैठक भी की थी। बैठक के बाद गायकवाड़ ने ट्वीट कर कहा था कि स्कूल परिसर में कक्षाओं के सुचारू संचालन के लिए, स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय प्रशासन के साथ प्रभावी समन्वय बनाए रखने की जरूरत है। हम छात्रों को एक अनुकूल माहौल प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। सरकार की एसओपी के अनुसार, स्कूलों में शारीरिक दूरी बनाए रखना अनिवार्य है। छात्रों को परिसर में कक्षाओं में शामिल होने के लिए अभिभावकों से सहमति पत्र लाना होगा।
राज्य सरकार के फैसले से स्कूल तो खुल गए, लेकिन बच्चों को स्कूल पहुंचने वाली बसें अभी तैयार नहीं हैं। मुंबई स्कूल बस एसोसिएशन की बैठक फिलहाल बसें नहीं चलाने का निर्णय लिया गया है। एसोसिएशन के अनुसार इनमें से मुश्किल से 20 फीसदी बसें अभी सेवा में शामिल होने की अवस्था में हैं। मुंबई में करीब 12 हजार स्कूल बस और वैन इत्यादि आधिकारिक रूप से चलती हैं। स्कूल बस ऑपरेटरों का कहना है कि स्कूल खोलने का निर्णय तो लिया है, लेकिन केस बढ़ने के बाद क्या स्थिति होगी, पता नहीं। बसों को चलाने करने के लिए कर्मचारियों की जरूरत है। इन्हें कुछ दिनों के नोटिस पर नहीं बुलाया जा सकता है।
स्कूल बस मालिक संगठन के अनिल गर्ग के अनुसार पिछले एक साल से कई बसें सड़क के किनारे खड़ी हैं। इन्हें मरम्मत की जरूरत है। इसके लिए प्रति बस करीब दो लाख रुपये खर्च होंगे। हमें फिलहाल कोई गाइडलाइंस नहीं मिली है, जबकि ड्राइवर और कंडक्टर को भी तैयार करना होगा। स्कूल बस एसोसिएशन का कहना है कि नवंबर महीने तक मुश्किल से 30 फीसदी बसें सेवा देने के लिए तैयार होंगी। इसके अलावा अभी ये भी नहीं पता कि कितने बच्चे स्कूल बस लेने के लिए तैयार हैं। हालांकि, राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि मां-बाप पर बच्चों को स्कूल भेजने का दबाव नहीं है। फिलहाल, ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरह से स्कूल शुरू रहेंगे।
