राष्ट्रमंडल खेलों के लिए दिल्ली आए विदेशी सैलानियों को अब इस बात का मलाल नहीं रह जाएगा कि वे यहां खुद की कार नहीं ला पाने के कारण ड्राइविंग का लुत्फ नहीं उठा पा रहे हैं।
जी हां, इस खास मौके को ध्यान में रखते हुए अब शहर में कैब सुविधा देने वाली कंपनियों ने खास तैयारी कर रखी है। दरअसल, कैब सुविधा उपलब्ध कराने वाली कई छोटी और बड़ी कंपनियां सेल्फ ड्राइव की योजना बना रही हैं।
इस योजना के तहत विदेशों से आने वाले पर्यटकों को सेल्फ ड्राइव के लिए किराये पर कारें दी जाएंगी। सेल्फ ड्राइव के लिए उपलब्ध कराई जाने वाली इन कारों का एक दिन का किराया 1,500 रुपये से लेकर 10,000 हजार रुपये तक होगा।
इन कारों के लिए आपको जेब कितनी ढीली करनी पड़ेगी, यह कार के मॉडल पर निर्भर करेगा। किराये पर लेने के लिए सैंट्रो और मटीज जैसी छोटी कारों से लेकर होंडा सिटी और कोरोला जैसी लक्जरी कारें भी मौजूद होंगी। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में ही कैब की सुविधा उपलब्ध कराने वाली लगभग 25 कंपनियां इस योजना पर अमल करने की योजना बना रही हैं।
इनमें से कई कंपनियां ऐसी हैं जिनके पास कुल 30 से 35 कारें ही हैं। लेकिन उनका मानना है कि अगर पर्यटकों की तरफ से अच्छी मांग रहती है तो दो-तीन कंपनियां भी आपस में मिलकर उपभोक्ताओं को सुविधा प्रदान कर सकती हैं।
कार रेंटल की वैश्विक कंपनी हट्र्ज इंटरनैशनल से लाइसेंस प्राप्त कंपनी कार्जऑनरेंट के सीईओ और ईजी कैब के प्रमुख राजीव विज का कहना है कि भारत में सेल्फ ड्राइव के लिए बाजार लगभग सौ फीसदी खुला हुआ है। इस समय देश में केवल 500 कार ही सेल्फ ड्राइव के लिए उपलब्ध हैं।
लेकिन राष्ट्रमंडल एक ऐसा मौका है जिसे सेल्फ ड्राइव बाजार के लिए भुनाया जा सकता है। एक अनुमान के मुताबिक उन्होंने बताया कि राष्ट्रमंडल के अंत तक भारत में लगभग 5 हजार गाड़ियां सेल्फ ड्राइव के लिए उपलब्ध होंगी।
सिंह ट्रैवल के नाम से 35 गाड़ियों का परिचालन करने वाले मीकत सिंह बताते है कि राष्ट्रमंडल के समय उन्होंने अपनी गाड़ियों को किराये पर देने की योजना बनाई है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रमंडल खेलों के चलते दिल्ली के बुनियादी विकास और पर्यटन को मिल रहे बढ़ावे को देखते हुए उम्मीद है कि यह योजना शुरुआती दौर में ही सफल रहेगी। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता है तो वह इस योजना को राष्ट्रमंडल के बाद भी जारी रखना चाहेंगे।
इस बाबत दिल्ली कैब के सीईओ नीरज कुमार का कहना है कि अभी तक भारत में सेल्फ ड्राइव के सफल न हो पाने का कारण सुरक्षात्मक और अनुशासनात्मक मानकों का तय नहीं हो पाना रहा है।
राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान भी सेल्फ ड्राइव के लिए यह एक अहम पहलू साबित होंगे। सरकार को भी इसके लिए जरूरी मानक तय करने होंगे। कैब कंपनियों का कहना है कि गाड़ी को किराये पर देने के दौरान गाड़ी की सुरक्षा, किरायेदार की सुरक्षा से संबधित मानकों को तय करने के लिए हमारी सरकार से बातचीत चल रही है। बातचीत पूरी हो जाने के बाद ही पूरा खाका तय हो सकेगा।