केन्द्र सरकार द्वारा विभिन्न औद्योगिक इकाइयों के विकास और क्लस्टर योजना के तहत दी गई सहायता के बावजूद मध्य प्रदेश का उद्योग विभाग रीवा के कोरहाटा स्थित उद्योग विहार के छोटे और मंझोले उद्योगों (एसएमई) का पर्याप्त विकास करने में सफल नहीं हो पाया है।
उद्यमियों और सरकारी कर्मचारियों दोनों का मानना है कि सरकार ने रीवा के औद्योगिक विकास पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया है। उद्यमियों का कहना है कि पिछले चार सालों में यहां क्वालिटी वेवन सैक्स नाम की एक मात्र कंपनी आई है। इस कंपनी ने भी इस क्षेत्र में मात्र 11 करोड़ रुपये का निवेश किया है। जानकारों का कहना है कि इस क्षेत्र में लगभग 45 एसएमई है।
लेकिन ये सभी एसएमई ऐसे उत्पादों का निर्माण नहीं करते है जिनकी बाजार में अच्छी खासी मांग हो। रीवा के उद्योग विहार के एक अधिकारी का कहना है कि यहां पर जितनी भी एसएमई इकाइयां है, वे सभी या तो मांग पर आधारित उत्पादों का उत्पादन करते है या मौसम आधारित उत्पादों का।
उन्होंने बताया कि ऐसा करने से इन उत्पादों की मांग में निरंतरता नहीं रहती है। इसलिए यहां स्थित औद्योगिक इकाइयों का पर्याप्त विकास नहीं हो पा रहा है। यहीं नहीं हमारे पास ऐसी कोई निर्धारित योजना भी नहीं है जिसके तहत हम उद्यमियों को यह बता सकें की वे किस तरह के विकास आधारित उत्पादों का निर्माण करें। उन्होंने कहा कि राज्य में प्रधानमंत्री रोजगार योजना को भी बंद कर दिया गया है।