कोलकाता के पार्क सर्कस बाजार के पुनरुद्धार की रिलायंस रिटेल की परियोजना पर संकट के बादल छा गए हैं।
करीब दो साल बाद कोलकाता नगर निगम (केएमसी) ने एक नया क्लॉज जोड़ते हुए कहा है कि रिलायंस रिटेल बाजार में खाद्य पदार्थ नहीं बेच सकती है क्योंकि इससे छोटे कारोबारियों को नुकसान पहुंचेगा।
हालांकि रिलायंस रिटेल के सूत्र इसे दोषपूर्ण कार्यवाही बता रहे हैं क्योंकि कंपनी पहले ही केएमसी को इस बाजार के पुनरुद्धार के लिए 30 करोड़ रुपये दे चुकी है। राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण पश्चिम बंगाल में रिलायंस रिटेल की 2,000 करोड़ रुपये की रिटेल परियोजना अधर में लटकती दिख रही है।
करीब दो साल पहले ही रिलायंस रिटेल इंडस्ट्रीज को शहर के पार्क सर्कस बाजार के पुनरुद्धार का ठेका मिला था। केएमसी ने दो साल पहले ही कंपनी से इसके लिए 30 करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान प्राप्त किया था। पर तब से लेकर अब तक इस परियोजना पर केएमसी के साथ गतिरोध के कारण इसका काम रुका हुआ है।
केएमसी को इस परियोजना के लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज के लिए लीज के समझौते पर हस्ताक्षर करना था। अब केएमसी ने एक नई शर्त जोड़ दी है और कहा है कि आरआईएल पार्क सर्कस बाजार में कृषि का रिटेल कारोबार नहीं कर सकती है। इस मसले पर आरआईएल ने बताया, ‘अपनी नीति के तहत हम बाजार की अटकलों पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते हैं।’
हालांकि कंपनी से जुड़े एक सूत्र ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, ‘हम केएमसी के साथ समझौते को लेकर बात कर रहे हैं पर इकाई का कहना है कि हम आभूषण, फुटवियर आदि के लिए स्टोर खोल सकते हैं।
पर जिस पार्क सर्कस बाजार का विकास किया जाएगा वह मूल रूप से खाद्य और ग्रौसरी बाजार होगा। अगर रिलायंस खाद्य बाजार में खाद्य उत्पाद ही नहीं बेचेगी, तो वह क्या करेगी? उपभोक्ता खाद्य बाजार में फुटवियर खरीदने भला क्यों आएंगे? तो ऐसे में हमारे लिए वहां स्पेशैलिटी स्टोर खोलने का क्या मतलब बनता है।’
संयुक्त निगम आयुक्त सहिदुल इसलाम के मुताबिक, ‘हम अब भी कंपनी को इस बात के लिए राजी करने में जुटे हुए हैं कि वह नए तरीके से विकसित किए गए पार्क सर्कस बाजार में कृषि उत्पादों की रिटेल बिक्री न करे। पर कंपनी ने अब तक इस बात को स्वीकार नहीं किया है। इस मुद्दे पर समझौते के लिए बातचीत अब भी जारी है।’
दूसरी ओर राज्य के कृषि विपणन बोर्ड ने आरआईएल को कृषि उत्पादों के रिटेल कारोबार के लिए लाइसेंस देने से इनकार कर दिया है। कृषि विपणन मंत्री मोर्तजा हुसैन ने कहा, ‘हम किसी निजी कंपनी को कृषि-रिटेल कारोबार में दखल देने की इजाजत नहीं देंगे क्योंकि इससे राज्य में छोटे कारोबारियों को नुकसान पहुंच सकता है।’
करीब 68 साल पुराने पार्क सर्कस बाजार पर केएमसी का नियंत्रण है और इसके पुनर्विकास के लिए बोलियां मंगाई गईं थीं मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज की सब्सिडरी इकाइयों रिलायंस रिटेल लिमिटेड और रिलायंस इंजीनियरिंग एसोसिएट्स प्राइवेट लिमिटेड ने जीत हासिल की थी। नीलामी के समय केएमसी ने कहा था कि बोली जीतने वाली कंपनी को 99 सालों के लिए बाजार लीज पर देगी।
रिलायंस के सूत्र ने बताया, ‘किसी भी अन्य राज्य में जहां बाजार का पुनर्विकास किया जाता है वहां मान लीजिए कि अगर 50 नए दुकान खोले जाते हैं तो 10 दूसरी दुकानों के लिए जगह डेवलपर को दी जाती है। हालांकि पार्क सर्कस बाजार के लिए पश्चिम बंगाल में राजनीतिक रुख इससे ठीक उलट है।’