लुधियाना के एपेरल पार्क योजना का भविष्य आज भी अंधकार में नजर आ रहा है। यह योजना तीन वर्ष पहले शुरु की गई थी।
इस योजना को 2008 में पूरा कर लिया जाना था जबकि अभी तक इस योजना के लिए जमीन का अधिग्रहण ही पूरा हो सका है। यह योजना अगले छह महीनों या एक साल के लिए लटकी नजर आ रही है।
लुधियाना एपेरल पार्क योजना की लेटलतीफी का सबसे बड़ा कारण सरकार की उदासीनता है। एपेरल पार्क के कुछ सदस्यों ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि अभी तक इस योजना के लिए 17 करोड़ रुपये खर्च करके 85 एकड़ जमीन का अधिग्रहण पूरा किया गया है। अधिग्रहण में लगाई गई यह राशि पार्क में आने वाली 110 विभिन्न इकाइयों ने लगाई है।
सदस्यों ने यह भी कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा इस योजना के लिए सहायता देने के लिए यह एकदम सही समय है। इस योजना की कुल लागत लगभग 40 करोड़ रुपये है। इस राशि में से 17 करोड़ रुपये केन्द्र सरकार द्वारा दिया जाना है। अभी तक एपेरल पार्क के निर्माण में लगभग 22 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके है। इन 22 करोड़ रुपयों में सिर्फ 2 करोड़ रुपये केन्द्र सरकार ने दिए है।
पंजाब एपेरल पार्क लिमिटेड (पीएपीएल) के प्रंबध निदेशक संजीव गुप्ता का कहना है कि एपेरल पार्क में बुनियादी निर्माण कार्य चल रहा था। इसे आजकल पूरा किया जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि पीएपीएल ने पीएसईबी के साथ पार्क में 132 किलोवाट का प्लांट लगाने की भी योजना बनाई है। इस योजना पर लगभग 6 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।
पीएसईबी ने प्राधिकरण से पार्क में पावर प्लांट के निर्माण कार्य को शुरु करने के लिए 3 करोड़ रुपये बतौर पेशगी देने की बात कही है। गुप्ता ने कहा कि इस बाबत हमने केंन्द्र सरकार से कुछ आर्थिक मदद देने की गुजारिश की है ताकि प्लांट लगाने के लिए आवश्यक राशि को समय पर दिया जा सकें।
पीएपीएल, पंजाब लघु उद्योग और निर्यात निगत लिमिटेड और एपरल एक्सपोटर्स एसोसिएशन ऑफ लुधियाना (एपीपीईएएल) का संयुक्त उपक्रम है। भविष्य में इस एपेरल पार्क में आर एन ओसवाल, ओयस्टर, डयूक और कंसल जैसे प्रमुख निर्यातकों के आने की उम्मीद लगाई जा रही है।