उत्तर प्रदेश के बड़े शहरों व औद्योगिक क्षेत्रों के अलावा अब गांवों व कस्बों में भी उद्योग लगाने के लिए योगी सरकार मदद करेगी। प्रदेश के गांवों व कस्बों में कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सरकार आगे आई है। प्रदेश सरकार ने गांव और कस्बों में कृषि आधारित उद्योग-धंधे लगाने के इच्छुक लोगों हर स्तर पर मदद करने का फैसला किया है।
प्रदेश के गांव-कस्बों में कृषि आधारित उद्योग स्थापित करने की पहल करने वाले ग्रामीणों को सरकार सस्ता कर्ज दिलवाएगी। भारत सरकार के एग्रीकल्चरल इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड से लोगों को न्यूनतम दर पर उद्योगों की स्थापना के लिए कर्ज मुहैया कराया जाएगा। इस संबंध में तैयार हुई योजना के तहत सूबे के गांव कस्बों में 12,000 करोड़ रुपये के उद्योग लगवाने का लक्ष्य रखा गया है। इस योजना के तहत 30 लाख से दो करोड़ रुपये तक का कर्ज लिया जा सकता है।
सहकारिता विभाग के अधिकारियों का कहना है कि भारत सरकार के एग्रीकल्चरल इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड से अगले तीन सालों में उद्योग लगाने वालों को 12,000 करोड़ रुपये की धनराशि से कर्ज दिलाया जा सकता है। इस फंड का मूल उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि आधारित उद्योगों की स्थापना को बढ़ावा देते हुए किसानों की आय में इजाफा करना है। इस धनराशि के उपयोग और गांवों व कस्बों में उद्योग लगाने की पहल करने के लिए प्रदेश में सहकारिता विभाग के अपर मुख्य सचिव को राज्य का नोडल अधिकारी बनाया गया। योजना के मुताबिक प्रदेश के दस विभागों से समन्वय करते हुए ग्रामीण तथा कस्बाई क्षेत्रों में अधिक से अधिक उद्योग स्थापित करने की योजना तैयार कर गांव-कस्बों में उद्योग स्थापित करने को बढ़ावा दिया जाएगा।
सहकारिता विभाग के अधिकारियों के अनुसार सूबे के ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्य प्रसंस्करण, कोल्ड स्टोरेज, मछली पालन, आटा चक्की, कोल्ड रूम, हर्बल उत्पाद, दाल तथा धान प्रसंस्करण यूनिट लगाने तथा अन्य कृषि आधारित उद्योग लगाने के लिए सस्ता कर्ज उपलब्ध कराया जाएगा। किसानों व ग्रामीणों की आबादी के बीच काम कर रही सहकारी संस्थाओं को भी योजना के तहत कर्ज उपलब्ध कराया जाएगा। सहकारी संस्थाओं को 4 फीसदी पर ऋण मिलेगा, इसमें 3 फीसदी ब्याज अनुदान यानि ब्याज एक फीसदी जबकि निजी संस्था या उद्यमी को 6 फीसदी पर ऋण मिलेगा, इसमें 3 फीसदी अनुदान यानी 3 फीसदी पर ब्याज लिया जाएगा।
इस फंड के तहत सहकारिता विभाग कृषि, उद्यान, मत्स्य पालन, रेशम, सहकारिता और एमएसएमई विभाग साथ मिलकर ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योग लगाने के इच्छुक लोगों की मदद करेंगे। योजना के तहत हाथ कागज उद्योग, रेशा उद्योग, वन आधारित उद्योग, मधुमक्खी पालन उद्योग, जैव प्रौद्योगिकी व ग्रामीण यांत्रिकी उद्योग, तथा वस्त्र उद्योग और अन्य सेवा संबंधी उद्योग स्थापित करने के इच्छुक ग्रामीणों को भी कर्ज दिलवाया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि किसानों को उद्यमी बनाने की उक्त योजना के तहत जल्दी ही प्रदेश के गांव-कस्बों में छोटे-छोटे उद्योग स्थापित किए जाने का सिलसिला शुरू होगा और इन उद्योगों में स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार मिलेगा। डेवलपमेंट ऑफ माइक्रो इंटरप्राइजेज इन रूरल एरियाज की मूल अवधारणा के तहत किसानों को उद्यमी बनाया जाएगा, जिससे उनकी आय दोगुनी की जा सके।