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इस देश में रहते हैं कई देश

Last Updated- December 07, 2022 | 5:01 PM IST

कहा जाता है कि अपने देश में दो देश रहते हैं। एक ‘इंडिया’ जिसके हिस्से सभी संसाधन और आर्थिक विकास की मलाई आ रही है जबकि दूसरा ‘भारत’। फटेहाल और परेशान।


समेकित विकास के यूपीए सरकार के दावे के हमने गुड़गांव, मुंबई और छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके में आम लोगों की जीवनशैली का जायजा लिया

जिस शहर का जिक्र हम करने जा रहे हैं, उसके बारे में शायद चार शब्द ही पूरी कहानी बयां कर देते हैं। इस शहर को लोग ‘मॉल कैपिटल ऑफ इंडिया’ कहते हैं और यहां के बाशिंदे का रहन सहन तथा जीवनशैली समझनी है, तो उसके लिए ‘वर्क हार्ड ऐंड पार्टी हार्ड’ से ज्यादा मुनासिब जुमला कोई दूसरा नहीं हो सकता।

जी हां, हम राजधानी दिल्ली से महज 30 किलोमीटर दूर बसे अत्याधुनिक शहर गुड़गांव की बात कर रहे हैं। रात के अंधेरे में अगर दिन जैसी चकाचौंध और रोशनी देखनी है, तो इस शहर के ऐम्बी मॉल में पहुंच जाइए। दक्षिण एशिया का यह सबसे बड़ा मॉल है और इसके आगे दिल्ली और बाकी तीनों महानगरों की चमक भी फीकी पड़ जाती है।

शॉपिंग मॉल और मनोरंजन के नए ठिकानों एम्यूजमेंट पार्कों में घूमते हुए शायद ही आपको याद आएगा कि आप उसी मुल्क में हैं, जहां 72 फीसदी आबादी गांवों में रहती है और 27 फीसदी लोग अब भी गरीबी रेखा के नीचे जिंदगी बिताने को मजबूर हैं। कारोबारी गतिविधियां बढ़ने से गुड़गांव के लोगों की जीवनशैली में भी खासा बदलाव आया है।

देश में साक्षरता की दर 60 फीसद है और गुड़गांव में यही आंकड़ा 77 फीसदी है। आबादी में युवाओं की हिस्सेदारी बढ़ती जा रही है और जिंदगी जीने का उनका तरीका भी बेफिक्री का लिबास ओढ़ता जा रहा है। गुड़गांव की नॉलेज कंसल्टेंसी फर्म एक्सेंचर में काम करने वाली 26 साल की रूपा मिश्रा की मासिक आय एक लाख है और वह महंगे ब्रांड की शौकीन हैं।

उनके लिए इस बार 15 अगस्त ज्यादा खास है क्योंकि उसके फौरन बाद शनिवार और रविवार की भी छुट्टियां हैं यानी तीन छुट्टी एक साथ यानी मौज मस्ती के लिए पूरा मौका। दीगर बात है कि यहां के बाशिंदों को अब भी सुकून भरे चंद लम्हों की तलाश है।

First Published - August 15, 2008 | 2:16 AM IST

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