मध्य प्रदेश के सागर जिले में 8 अप्रैल को होने वाले बुंदेलखंड निवेशक सम्मेलन को 11 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।
इस सम्मेलन की तयशुदा तारीख 12 अप्रैल को बैतूल में होने वाले उपचुनावों के मद्देनजर बदल दी गई है। राज्य सरकार इस सम्मेलन में मजबूत स्थिति में नहीं चल रहीं बीना रिफाइनरी और इससे संबधित अन्य योजनाओं में निवेश करने के लिए छोटे और मध्यम उद्यमियों से बात करने वाली थी।
सूत्रों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि ‘सरकार बीना रिफाइनरी परियोजना में जान फूंकने के उद्देश्य से बुंदेलखंड निवेशक सम्मेलन में छोटे और मझोले निवेशकों से बात करने वाली है।’ भारत पेट्रोलियम और ओमान तेल रिफाइनरी का संयुक्त उद्यम भारत ओमान तेल रिफाइनरी ने नेफ्था को इसकी वर्तमान उत्पादन 60 लाख टन से बढ़ाने की घोषणा की है। क ंपनी के लिए निश्चित तौर पर यह एक कठिन लक्ष्य होगा।
ओमान तेल कं पनी ने अभी तक इस 10,000 करोड़ रुपये की योजना से न तो अपना हाथ खीचा है और न ही इस योजना में अपनी हिस्सेदारी को बढ़ाने की बात की है।
मध्य प्रदेश में चल रही पानी की विकट समस्या को देखते हुए काफी संख्या में लोग पन्ना ,छतरपुर और टीकमगढ़ से प्रवास कर रहें है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इन क्षेत्रों की पानी की समस्या को दूर करने के लिए फंड की व्यवस्था करने की घोषणा की है।
राज्य की राजघाट योजना निश्चित तौर पर भरपूर मात्रा में पानी को उपलब्ध कराने की क्षमता रखती है। इससे राज्य के अन्य प्यासे क्षेत्रों में भी पानी उपलब्ध कराया जा सकता है। आंतरिक सूत्रों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि राज्य सरकार ने बुंदेलखंड सम्मेलन में लगभग 450 छोटे और मझोले निवेशकों को बुलाया है। यह निवेशक सागर मंडल के पांच जिलों पन्ना, सागर, टीकमगढ़, छतरपुर, सतना और इसके अलावा दतिया से आंमत्रित किए गए है।
इस सम्मेलन में एसीसी रियो टिनो ,डायमंड सीमेंट, एसपीजे स्टील जैसे बड़े निवेशकों के आने की भी उम्मीद की जा रही है। इसके अलावा इस सम्मेलन में कृषि से संबधित उद्यमों में निवेश करने के इच्छुकों के आने के भी कयास लगाए जा रहे हैं। विख्यात डायमंड कंपनी एसीसी रियो टिनो ने जल्द ही अपने एक सर्वेक्षण के आधार पर कहा है कि छतरपुर जिले में दुनिया का सबसे ज्यादा हीरे का भंडार उपलब्ध है।
इसके अलावा अन्य दूसरी कंपनियां भी इन पिछड़े क्षेत्रों में डोलोमाइट और लौह अयस्कों का पता लगा रहीं है। इन सभी जिलों को पिछड़े शहरों की सी श्रेणी में रखा गया है। कुछ कंपनियां इन क्षेत्रों में बेकार पड़ी भूमि खेती करके जठरोफा और जैविक डीजल के संभावनाओं को भी तलाश रही है।
इसके साथ ही कुछ कंपनियां दमोह जिले में खनन की संभावनाओं को देखते हुए रूख कर रही हैं। सरकार इस सम्मेलन में बढ़ती खदान दुर्घटनाओं को देखते हुए निवेशकों के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर भी करेगी।