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Interview: LNG में अग्रणी बनना चाहती है इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड, 100 स्टेशन स्थापित करेगी IGL; MD ने बताया पूरा प्लान

'हमने इस वित्त वर्ष में 15 कम्प्रेस्ड बायोगैस (CBG) संयंत्र लगाने का लक्ष्य रखा है, लेकिन कम से कम 10 को पूरा करने के लिए काम किया जाएगा।'

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शुभायन चक्रवर्ती   
श्रेया जय   
Last Updated- September 01, 2024 | 10:08 PM IST

सरकार की उपक्रम इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड (IGL) तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) कारोबार का विस्तार कर रही है। वह वित्त वर्ष 30 तक 100 एलएनजी स्टेशन स्थापित करेगी और दुर्गम इलाकों में सेवा उपलब्ध कराने के लिए सीएनजी से एलएनजी में बदलने का प्लांट स्थापित करने के प्रयासों में लगी है। कंपनी के प्रबंध निदेशक (MD) कमल किशोर चाटीवाल ने शुभायन चक्रवर्ती और श्रेया जय के साथ बातचीत में यह जानकारी दी। बातचीत के अंश …

आईजीएल ने अपने एलएनजी पोर्टफोलियो में विस्तार के लिए कई योजनाओं का ऐलान किया है। इसके पीछे क्या विचार है?

हम एलएनजी क्षेत्र में अग्रणी बनना चाहते हैं। हमारा लक्ष्य चालू वित्त वर्ष में देश भर छह से सात एलएनजी डिस्पेंसिंग स्टेशन स्थापित करना है। हमारी दीर्घकालिक योजना वित्त वर्ष 30 तक 100 एलएनजी स्टेशन बनाने की है। हमने अजमेर में पहला एलएनजी डिस्पेंसिंग स्टेशन पहले ही चालू कर दिया है। दिल्ली में मांग है। सार्वजनिक क्षेत्र की एक प्रमुख कंपनी के साथ हमारी साझेदारी के तहत आईजीएल अपने नोएडा डिपो में निजी उपभोग वाली इकाई का निर्माण कर रही है। वे अपने ट्रक बेड़े को कार्बन मुक्त करना चाहते हैं।

एलएनजी से सीएनजी में परिवर्तन वाले आपके संयंत्रों की क्या स्थिति है?

हमारा मानना ​​है कि सीएनजी और एलएनजी के बीच तालमेल है। परिवर्तन संयंत्रों के लिए हमने रुचि पत्र जारी किया है। हमारे सीएनजी स्टेशनों से बिक्री जारी रही है क्योंकि ज्यादा स्टेशन खुल गए हैं। अब हमारे पास दिल्ली में 500 सीएनजी स्टेशन हैं। उदाहरण के लिए प्रतिदिन 20,000 किलोग्राम सीएनजी बिक्री करने वाले स्टेशन की बिक्री कम होकर 10,000 किलोग्राम रह गई है। इससे हमें उस स्टेशन में कंप्रेसन क्षमता का उपयोग करने की संभावना मिलती है। हम अ​धिक दबाव वाली गैस को तरलीकृत कर सकते हैं। हमारे पास पहले से ही अत्यधिक कंप्रेस्ड वाली गैस है, इसलिए हमारा पूंजीगत व्यय कम हो जाता है।

पहाड़ी इलाकों में पाइपलाइन लागत के लिहाज से लाभकारी नहीं होती है। इसमें सुरक्षा संबंधी दिक्कतें भी हैं। इसलिए, हम सीएनजी कंप्रेस्ड इकाई तक पाइपलाइन के जरिये गैस पहुंचाने, इसे तरलीकृत करने और एलएनजी को पहाड़ियों, दुर्गम या कम आबादी वाले क्षेत्रों में ले जाने की योजना बना रहे हैं। अभी एक परिवर्तन इकाई स्थापित करने में 14 से 15 करोड़ रुपये का व्यय होता है जबकि पाइपलाइन बिछाने में सैकड़ों करोड़ रुपये लगते हैं।

कम्प्रेस्ड बायोगैस संयंत्रों के बारे में आपका क्या कहना है?

हमने इस वित्त वर्ष में 15 कम्प्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) संयंत्र लगाने का लक्ष्य रखा है, लेकिन कम से कम 10 को पूरा करने के लिए काम किया जाएगा। निर्माण में 6-7 महीने लगते हैं। हमें भविष्य में बायोगैस परियोजनाओं से बायोमीथेन के उत्पादन की उम्मीद है। जर्मनी जैसा छोटा देश 80 लाख टन उत्पादन कर रहा है जबकि भारत 2.3-2.4 करोड़ टन आयात कर रहा है। चूंकि बायोवेस्ट उत्पादन जनसंख्या से जुड़ा है। इसलिए भारत में 8-10 गुना अधिक बायोमीथेन उत्पन्न करने की क्षमता है। लेकिन बायोमीथेन को कंप्रेस्ड गैस के साथ एकीकृत किया जाना चाहिए, न कि परिवहन ईंधन के रूप में।

क्या आप बायोमीथेन उत्पादन की समय-सीमा बता सकते हैं?

संबं​धित एजेंसियां अल्पाव​धि लक्ष्यों पर ध्यान दे रही हैं। हमें भूमि, अपशिष्ट अलग करने की व्यवस्था और सीवेज संयंत्रों की आवश्यकता है। दिल्ली में, हम 2-3 छोटी परियोजनाएं लगा रहे हैं। हम उत्तरी दिल्ली में भलस्वा लैंडफिल के लिए दिल्ली नगर निगम के साथ बातचीत कर रहे हैं। भलस्वा में ज्यादा मात्रा में बायोमीथेन निकल रही है। एमसीडी ने जानना चाहा है कि कचरा हटाने के मामले में प्रति वर्ग मीटर कितनी तीव्रता हासिल की जा सकती है। हम कुछ प्रौद्योगिकी आपूर्तिकर्ताओं के साथ बातचीत कर रहे हैं।

इसके लिए निवेश परिदृश्य कैसा है?

दिल्ली में रोजाना 15,000 टन कचरा पैदा होता है। हम इसका करीब 20 प्रतिशत या 2,000-3,000 टन निपटाने की संभावना तलाश रहे हैं। सामान्य तौर पर 100 टन कचरे के निपटान के लिए 50 करोड़ रुपये निवेश की जरूरत होती है। एक बार जब मात्रा बढ़ जाएगी और पूंजीगत व्यय दक्षता आ जाएगी तो निवेश कम हो जाएगा। इसलिए 1,000-2,000 टन के संयंत्र के लिए 300-350 करोड़ रुपये की आवश्यकता हो सकती है। पूंजीगत व्यय कोई बाधा नहीं है क्योंकि इसका जीवन 25 वर्ष है। प्रति घन मीटर उत्पादित गैस की लागत बहुत सीमित है। इसमें जरूरत परिचालन निरंतरता और प्रोडक्ट क्वालिटी की है।

वै​श्विक गैस कीमतों में उतार-चढ़ाव से बचने के लिए क्या किया जा सकता है?

भारतीय परिप्रेक्ष्य से बात करें तो हमें मजबूत गैस भंडारण की जरूरत है। सभी विकसित देशों में ऐसा है। भारत के पास तटवर्ती गैस क्षेत्र हैं जो खाली हो चुके हैं और उनका इस्तेमाल भंडारण के लिए किया जा सकता है। वैश्विक कीमतों में बढ़ती अस्थिरता के समय ये काम आ सकते हैं। 20-30 अरब घन मीटर प्राकृतिक गैस के भंडारण के लिए सरकार से पूंजीगत व्यय समर्थन के साथ नीतिगत प्रोत्साहन की भी आवश्यकता है। विकल्प मिलने पर आईजीएल वहां कुछ क्षमता हासिल कर सकती है। कोविड के समय गैस की वैश्विक कीमतें 1-2 डॉलर एमएमबीटीयू थीं जो उक्रेन जंग छिड़ने पर 50 डॉलर तक पहुंच गईं।

ग्रीन हाइड्रोजन के लिए आपकी क्या योजनाएं हैं?

हाइड्रोजन अभी भी अपनी शुरुआती अवस्था में है। इसका अभी कोई व्यावसायिक रूप से सिद्ध कारोबारी मॉडल नहीं है और इसकी कीमतें भी बहुत अधिक हैं। यह सामान्य ऊर्जा लागत से 2-3 गुना अधिक है। यदि भारत को अगले 10-15 वर्षों तक 8 या 10 प्रतिशत की दर से विकास करना है, तो हमें सस्ती ऊर्जा की आवश्यकता होगी।

First Published : September 1, 2024 | 10:07 PM IST