प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में अपने ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ गलियारे के पहले चरण का लोकार्पण करते हुए सोमवार को कई राजनीतिक निशाने साधे। काशी विश्वनाथ को पंजाब के जोड़ते हुए प्रधानमंत्री ने महाराजा रणजीत सिंह के अतीत में मंदिर को सोने से मढ़वाने का जिक्र किया तो औरंगजेब के आतंक और अत्याचार की भी याद दिलाई। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के ठीक पहले काशी विश्वनाथ गलियारे के लोकार्पण के बाद वाराणसी में महीने भर तक कई कार्यक्रम चलते रहेंगे। लोकार्पण के मौके पर 11 राज्यों के मुख्यमंत्री व दो उपमुख्यमंत्री वाराणसी पहुंचे। सोमवार से लेकर मकरसंक्रांति 14 जनवरी तक चलने वाले विभिन्न कार्यक्रमों में देश के कई बड़े नेता, उद्यमी, विद्वान हिस्सा लेंगे।
लोकार्पण कार्यक्रम का देश भर के 30,000 के करीब मंदिरों में सीधा प्रसारण किया गया जहां भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेता व कई केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। सीधा प्रसारण के मौके पर गुजरात के सोमनाथ मंदिर में गृह मंत्री अमित शाह तो उज्जैन के महाकाल मंदिर में नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया मौजूद थे।
भव्य काशी विश्वनाथ गलियारे के लोकार्पण के मौके पर लोगों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने काशी के गौरवशाली अतीत, मंदिर के पुनर्निर्माण और वर्तमान परियोजना का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि काशी विश्वनाथ मंदिर की आभा बढ़ाने के पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने 23 मन सोना चढ़ाया था जो मंदिर के शिखर में जड़ा गया था। उन्होंने कहा कि काशी पर आतातायियों ने आक्रमण किए और इसे ध्वस्त करने के प्रयास किए। औरंगजेब के अत्याचार, उसके आतंक का इतिहास साक्षी है। जिसने सभ्यता को तलवार के बल पर बदलने की कोशिश की, जिसने संस्कृति को कट्टरता से कुचलने की कोशिश की।
मोदी ने कहा कि इस देश की मिट्टी बाकी दुनिया से कुछ अलग है। यहां अगर औरंगजेब आता है तो शिवाजी भी उठ खड़े होते हैं। अगर कोई सालार मसूद इधर बढ़ता है तो राजा सुहेलदेव जैसे वीर योद्धा उसे हमारी एकता की ताकत का अहसास करा देते हैं। प्रधानमंत्री ने काशी की आध्यत्मिकता का जिक्र करते हुए कहा कि पुराणों के मुताबिक यहां प्रवेश करते हुए व्यक्ति सभी बंधनों से आजाद हो जाता है। उन्होंने कहा कि यहां जिसके हाथ में डमरू है उसी की सरकार है।
मोदी ने कहा कि वो हर भारतवासी को भगवान मानते हैं और उनसे स्वच्छता, सृजन (इनोवेशन) और आत्मनिर्भरता का संकल्प मांगते हैं। उन्होंने कहा कि यहीं की धरती सारनाथ में भगवान बुद्ध को बोध मिला तो समाजसुधार के लिए कबीरदास जैसे मनीषी हुए। वाराणसी में ही जगदगुरु शंकराचार्य को श्री डोमराजा की पवित्रता से प्रेरणा मिली जिसके फलस्वरुप उन्होंने देश को एकता में बांधा।
गौरतलब है कि काशी विश्वनाथ गलियारा परियोजना के बाद तंग गलियों में महज 5,000 वर्ग फुट में बना मंदिर अब पांच लाख वर्ग फुट में फैल गया है। यहां 375 वर्गमीटर में बहुउद्देशीय हाल के साथ वाराणसी गैलरी बनाई गई है जिसके भव की आंतरिक दीवारों पर पौराणिक व धार्मिक आख्यानों का उल्लेख किया गया है। गलियारे में ही 1,143 वर्गमीटर में सिटी म्यूजियम बनाया गया है तो मृत्यु की कामना से काशीवास करने वालों के लिए मुमुक्षु भवन तैयार किया गया है।
गंगा घाट से सीधे काशी-विश्वनाथ मंदिर तक पहुंचने के रास्ते में 1,061 वर्गमीटर में फैला पर्यटक सुविधा केंद्र भी बनाया गया है। लोकार्पण के बाद प्रधानमंत्री ने गलियारे का निर्माण करने वाले मजदूरों व इंजीनियरों से मुलाकात की और उन पर फूल भी बरसाए। मोदी ने उनके साथ भोजन भी किया।
