होटलों के कमरों की बुकिंग में आई कमी और कमरों के औसत किराए में आई गिरावट से उत्तर भारत के होटल कारोबारियों के चेहरे की रंगत फीकी पड़ गई है।
इन हालात को देखते हुए कारोबारियों ने होटल उद्योग को बचाने के लिए राहत पैकेज और अतिरिक्त रियायतों की मांग तेज कर दी है।
उत्तर भारत में होटल और रेस्टोरेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय पाण्डेय ने बताया कि एक तो मंदी और ऊपर से पिछले साल मुंबई में हुए बम धमाकों के बाद सुरक्षा कारणों से होटल कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
उन्होंने कहा कि हर जगह होटलों में कम से कम 40 फीसदी कमरे खाली पड़े हैं और पिछले एक महीने के दौरान तो लगभग 30 से 35 फीसदी बुकिंग रद्द की गई है। पाण्डेय ने बताया कि ये हालात तो तब हैं जब हर श्रेणी में होटलों के कमरों में औसतन 20 से 30 फीसदी की कटौती की गई है।
होटलों का कारोबार इतना मंदा पड़ने की एक बड़ी वजह कारोबारी यात्रियों की ओर से खर्च में कटौती बताई जा रही है। साथ ही जहां नौकरियों में हुई छंटनी की वजह से कई लोग अपनी यात्राएं रद्द कर रहे हैं तो दूसरी ओर सुरक्षा कारणों को लेकर विदेशी यात्री भी देश में आने से परहेज कर रहे हैं। इन सब कारणों की मार एक साथ होटल उद्योग पर पड़ी है।
साथ ही होटलों को बड़े पैमाने पर किसी कार्यक्रम के आयोजन के लिए भी इस्तेमाल किया जाता रहा है। पर अब खर्च बचाने के लिए ग्राहक खुद ही इन कार्यक्रमों का आयोजन करने लगे हैं।
पाण्डेय ने बताया कि आखिरी बार पिछले साल नवंबर में होटलों ने अच्छा कारोबार किया था जब भारत और इंगलैंड के बीच ग्रीन पार्क में वन डे इंटरनैशनल का आयोजन किया गया था। उन्होंने बताया कि उसके बाद से कारोबार में 20 फीसदी से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है।
कुकरेजा होटल समूह के मालिक विवेक कुकरेजा ने कहा कि, ‘मंदी का असर अगले 6 महीनों तक देखने को मिल सकता है। वित्तीय संकट की वजह से ही कंपनियां विदेश यात्राएं करने से परहेज कर रही हैं। साथ ही कंपनियां सस्ते होटलों का विकल्प पसंद कर रही हैं।’
होटल कारोबारियों की एक और शिकायत लक्जरी टैक्स को लेकर भी है। होटलों में कमरों की प्रकाशित दर पर 12 फीसदी लक्जरी टैक्स वसूला जाता है जबकि होटलों के किराये प्रकाशित दर से 20 फीसदी घटा दिए हैं। कारोबारी इसे 8 फीसदी करने की मांग कर रहे हैं।