चुनाव आते ही सभी राज्यों में छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने की होड़ शुरू हो गई है।
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के बाद अब हरियाणा भी इस सूची में शामिल हो गया है। हरियाणा सरकार ने भी जनवरी 2006 से छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने की घोषणा की है।
इसके प्रथम चरण में लगभग 40 फीसदी बकाए का भुगतान नकद में ही किया जाएगा और यह काम चालू वित्त वर्ष में ही पूरा करने के लिए कहा गया है। इसके अलावा कई और भत्तों का भी भुगतान किया जाएगा।
इनके तहत सरकार शिक्षा भत्ते के तौर पर दो बच्चों वाले परिवार को प्रत्येक बच्चे की शिक्षा के लिए 500 रुपये प्रति महीना देगी। जबकि घर के किराए भत्ते में करीब तीन गुना बढ़ोतरी की गई है। पेंशन लेने वाले नागरिकों को छुट्टी यात्रा भत्ता दिया जाएगा।
इसके साथ ही राज्य सरकार ने सीएसडी कैंटीन में बिकने वाले कीटनाशक, खरपतवारनाशक, प्रमाणित बीज, घरेलू इस्तेमाल के लिए एलपीजी, सैनिटरी नैपकिन्स, बच्चों के डायपर, सीएफएल बल्ब, टयूब को वैट से मुक्त कर दिया है। इसके साथ ही सरकार ने डीजल पर लगने वाले कर की दर 12 फीसदी से घटाकर 8.8 फीसदी कर दी है। सरकार ने मकान कर लेना भी बंद कर दिया है।
महात्मा गांधी ग्रामीण बस्ती योजना के तहत अनुसूचित जाति और जनजाति और गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों को 100 वर्ग यार्ड के प्लॉट मुफ्त में मुहैया कराए जाऐंगे। चुनावों से पहले सरकार राज्य की बुनियादी सुविधाओं को और बेहतर बनाने के लिए लगभग 1,500 करोड़ रुपये और खर्च करने की योजना बना रही है। इससे राज्य में जल आपूर्ति, कचरा प्रबंधन और स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर बनाया जाएगा।
हरियाणा में विपक्ष काफी कमजोर है और कांग्रेस सरकार बहुमत में है। लोगों का मानना है कि यह चुनावी लॉलीपॉप नहीं है, बल्कि इन योजानाओं को लागू किया जाएगा। राज्य सरकार द्वारा कोई नया कर नहीं लगाने से लोग काफी खुश है। हालांकि शहर के लोग तो इससे खुश हैं, लेकिन ग्रामीण लोगों पर इन सबका कोई फर्क नहीं पड़ा है।
चुनाव के मद्देनजर छठे वेतन आयोग की रेवड़ी
चुनाव पूर्व बुनियादी सुविधाओं पर 1,500 करोड़ रु खर्च
नया कर नहीं थोपने से मतदाता हैं खुश