उत्तर प्रदेश के उद्यमी अपने कारोबार का विस्तार करने के लिए उत्तराखंड का रुख कर रहे हैं।
राज्य में मौजूद बुनियादी सुविधाओं के अभाव को देखते हुए ये कारोबारी उत्तराखंड जाकर अपने कारोबार को नया आयाम देने की योजना बना रहे हैं। कानपुर में मौजूद कुल इकाइयों में से लगभग 20 फीसदी लघु उद्योग पहले ही उत्तराखंड का रुख कर चुके हैं।
शहर में मौजूद घड़ी समूह, गीता प्लास्टिक्स लिमिटेड, जे एस ऑटो और ज्योति कैप्सूल्स भी देहरादून, हरिद्वार और पंतनगर में विस्तार करने के लिए निवेश कर चुकी हैं। इसके अलावा एलएमएल स्क्ूटर का प्रबंधन भी फोर-स्ट्रोक स्कूटर्स और तिपहिया वाहन बनाने के लिए अगले साल अप्रैल तक पंतनगर में लगने वाले संयंत्र का निर्माण कार्य पूरा करने की उम्मीद जताई है।
भारतीय औद्योगिक संगठन (आईआईए) कानपुर के सुनील वैश्य ने बताया कि कारोबारियों द्वारा उत्तराखंड का रुख करने की मुख्य वजह बिजली की कमी, खराब यातायात सुविधाएं और करों की दर अधिक होना है। एलएमएल के एक अधिकारी ने बताया कि नया संयंत्र लगाने के अलावा मुमकिन है कि कंपनी अपना पूरा कारोबार ही उत्तराखंड ले जाए।
शहर प्लास्टिक निर्माता कंपनी गीता प्लास्टिक्स के चेयरमैन रमेश गुप्ता ने बताया कि कंपनी देहरादून में एक अतिरिक्त निर्माण संयंत्र भी लगाया है। उन्होंने बताया कि एक बार बाजार के हालात सही हो जाए और उत्पादों की मांग बढ़े तो इस संयंत्र में भी निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
घड़ी के प्रवक्ता ने बताया कि कंपनी अपनी साबुन ब्रांड वीनस के हरिद्वार स्थित निर्माण संयंत्र का विस्तार करने की योजना बना रही है। इसकी वजह है कि उत्तराखंड में बिजली सस्ती है और वहां करों में भी छूट मिलती है। ऑटो दिग्गज कंपनी जे एस ए के निदेशक सुशील पुरी ने बताया कि कंपनी ने नया संयंत्र लगाने के लिए हरिद्वार में भूमि खरीद ली है।
लेकिन अभी इस बारे में कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। पुरी ने बताया, ‘हम पहले देखेंगे कि उत्तर प्रदेश सरकार और उत्तराखंड सरकार हमें करों में कितनी छूट देती है। उसी के बाद हम कोई फैसला करेंगे। इसीलिए हम अभी इंतजार करो और देखो की नीति अपना रहे हैं।’
ज्योति कैप्सूल्स ने भी अपनी क्षमता का विस्तार करने के लिए देहरादून में भूमि खरीद ली है। वैश्य ने बताया, ‘धीरे-धीरे कारोबारियों का उत्तराखंड की तरफ जाना उद्योगों को बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने में उत्तर प्रदेश सरकार की विफलता को दर्शाता है।’
