खाद्य सुरक्षा से निपटने के लिए हरित क्रांति की जगह अब ‘सदैव हरित क्रांति’ (एवर ग्रीन रिवोलूशन) की जरूरत है।
इसके तहत हमें उत्पादकता बढ़ाने के साथ-साथ जैविक खेती एवं हरित कृषि को प्रोत्साहित करना होगा।’ यह बात हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन ने सोमवार को खाद्य सुरक्षा को लेकर भारत एवं अफ्रीका की सहभागिता पर आधारित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में कही।
तीन दिन तक चलने वाले इस सम्मेलन का आयोजन इफको फाउंडेशन और भारत सरकार के सहयोग से किया गया है। इसमें अफ्रीका के 26 देशों ने भाग लिया है। स्वामीनाथन ने कहा कि खाद्य सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए भारत एवं अफ्रीकी देशों को जीन बैंक, बीज बैंक, अनाज बैंक एवं पानी बैंक बनाने की जरूरत है।
इसके अलावा कृषि के क्षेत्र में युवा एवं महिलाओं की सहभागिता को भी बढ़ावा देना होगा। सम्मेलन में केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार की तरफ से कृषि मंत्रालय की सचिव अलका सिरोही ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक 20 करोड़ लोगों को भरपेट भोजन नहीं मिलता है।
ऐसे में अफ्रीकी देश अपने कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिए बीज उत्पादन, खाद के इस्तेमाल, जल प्रबंधन एवं बाजार की सुविधा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भारत के अनुभव से सबक ले सकते हैं।