उत्तर प्रदेश में कोरोना संकट के दौर में लोगों को बिजली का झटका नहीं लगेगा।
उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) के प्रस्ताव को विद्युत नियामक आयोग ने खारिज कर दिया है। कारपोरेशन ने इस साल भी शहरी घरेलू से लेकर ग्रामीण उपभोक्ताओं के लिए बिजली दरें बढ़ाने का प्रस्ताव दाखिल किया था। आयोग ने बिजली उपभोक्ताओं के लिए उपभोग का स्लैब भी बढ़ाने से इनकार कर दिया है। आयोग का कहना है कि वर्तमान टैरिफ आदेश ही लागू रहेगा। इस तरह आम जनता पर इस साल बिजली दरों का कोई बोझ नहीं पड़ेगा।
उत्तर प्रदेश में अब बिजली उपभोक्ताओं को स्मार्ट मीटर लगाने पर कोई अतिरिक्त राशि नहीं देनी होगी। स्मार्ट मीटर लगाने पर देय राशि 600 रुपये से घटाकर मात्र 50 रुपये कर दी गई है।
उत्तर प्रदेश विद्युत उपभोक्ता परिषद के बिजली दरों में कमी लाने के प्रस्ताव पर आयोग ने कहा कि वह इस पर फैसला आगे लेगा। इस बीच उपभोक्ताओं की बिजली कंपनियों पर निकलने वाली बकाया राशि 13337 करोड़ रुपये के बारे में आयोग ने कैरिंग कास्ट लगाते हुए 13 से 14 फीसदी ब्याज लगाने को कहा है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में बिजली दरें बढ़ाने की कवायद इस साल जून महीने से ही चल रही थी। यूपीपीसीएल ने इस बारे में नियामक आयोग प्रस्ताव दिया था। कारपोरेशन ने बढ़ते घाटे और वार्षिक औसत रिटर्न (एआरआर) का तर्क देते हुए बिजली दरें बढ़ाने की वकालत की थी। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने बताया कि आयोग के सामने हुई सुनवाई में बिजली कंपनियों का दरों व प्राप्ति में गैप का 4500 करोड़ रुपये का दावा खारिज हो गया।
