दिल्ली में खासकर धूल से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए अब निर्माण स्थलों (कंस्ट्रक्शन साइट) पर ज्यादा सख्ती बरती जाएगी। अभी तक 20 हजार वर्ग मीटर से बडे निर्माण स्थलों पर एंटी स्मॉग गन लगाने का प्रावधान है। अब इसमें बदलाव करते हुए 5,000 वर्ग मीटर से बडे स्थलों पर भी एंटी स्मॉग गन लगाने होंगे।
अगले महीने से लागू होने वाले प्रदूषण संबंधी ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप ) में भी बदलाव किए गए हैं। पहले प्रदूषण बढ़ने के बाद ग्रेप के नियम लागू होते थे। लेकिन अब 3 दिन पहले अनुमान के आधार पर नियम लागू होंगे।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि धूल से काफी प्रदूषण होता है। इसको रोकने के लिए सरकार ने पहले 20 हजार वर्गमीटर से बडे निर्माण स्थलों पर निर्माण एजेंसियों के लिए एंटी स्मॉग गन लगाने के नियम बनाए थे। अब 5,000 वर्ग मीटर से बडे निर्माण स्थलों पर भी ये गन लगाने होंगेे। 5 से 10 हजार वाले स्थलों पर एक, 10 से 15 हजार पर दो, 15 से 20 हजार वाले स्थलों पर तीन और 20 हजार वर्ग मीटर से बडे निर्माण स्थलों पर 4 एंटी स्मॉग गन लगाने होंगे।
इस साल प्रदूषण संबंधी ग्रेप के नियम बदल गए हैं। राय ने कहा कि एक अक्टूबर से ग्रेप लागू होने जा रहा है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने ग्रेप में बदलाव किया है। अब तक ग्रेप के नियम पीएम 2.5 और पीएम 10 के आधार पर लागू होते थे। लेकिन अब ये नियम वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के आधार लागू होंगे। एक्यूआई की श्रेणियां भी 5 से घटाकर 4 कर दी गई है। पहले पहली श्रेणी मोडरेट को खत्म कर दिया गया है। अब 201 से 300 एक्यूआई को खराब श्रेणी, 301 से 400 एक्यूआई को बहुत खराब, 401 से 450 एक्यूआई को गंभीर और 450 से ऊपर एक्यूआई को अति गंभीर श्रेणी माना जाएगा।
राय ने कहा कि पहले वायु गुणवत्ता खराब होने पर ग्रेप के तहत इसे नियंत्रित करने के नियम लागू होते थे। लेकिन अब 3 दिन पहले अनुमान के आधार पर ये नियम लागू होंगे। यह अनुमान भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) और भारत मौसम विज्ञान विभाग( आईएमडी) के द्वारा लगाया जाएगा। राय ने कहा कि 30 सितंबर को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल प्रदूषण संबंधी शीतकालीन कार्य योजना की घोषणा करेंगे।