केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने व्यापारियों और चावल मिल मालिकों को लाभ पहुंचाने के लिए घटिया अनाज खरीदने वाले भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के सिलसिले में मंगलवार को पंजाब में 30 स्थानों पर छापेमारी शुरू की।
अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सीबीआई की टीम ने ‘ऑपरेशन कनक 2’ के तहत सरहिंद, फतेहपुर साहिब और मोंगा सहित पंजाब के कई जिलों में अनाज व्यापारियों, चावल मिल मालिकों और एफसीआई के सेवारत व सेवानिवृत्त अधिकारियों के परिसरों पर छापे मारे।
एफसीआई में अधिकारियों के एक संगठित समूह से संबंधित प्राथमिकी के सिलसिले में दूसरी बार छापे मारे गए हैं। आरोप है कि इस समूह ने निजी मिल मालिकों द्वारा आपूर्ति किए गए कम गुणवत्ता वाले अनाज और अन्य फायदों पर पर्दा डालते हुए प्रति फसल सीजन एफसीआई गोदामों में उतारे गए प्रति ट्रक पर 1000-4000 रुपये रिश्वत ली।
बाद में रिश्वत की राशि को निचले स्तर से लेकर उच्च स्तर के अधिकारियों के बीच वितरित किया गया। प्राथमिकी में पंजाब में एफसीआई के कई डिपो में इस तरह की रिश्वत वसूली का विवरण दिया गया है। उन्होंने कहा कि तकनीकी सहायकों से लेकर कार्यकारी निदेशकों तक के अधिकारी कथित रूप से निजी मिल मालिकों से रिश्वत लेने वाले समूह में शामिल थे।
सीबीआई ने आरोप लगाया है, ”एफसीआई के अधिकारियों द्वारा अनाज के भंडारण के दौरान एफसीआई डिपो में उतारे जाने वाले प्रति ट्रक के आधार पर रिश्वत की राशि एकत्र की जाती थी। इसके बाद यह रिश्वत राशि एफसीआई के विभिन्न अधिकारियों को वितरित की जाती थी।”
अधिकारियों ने कहा कि एजेंसी ने एफसीआई के कार्यकारी निदेशक सुदीप सिंह, अधिकारियों, चावल मिल मालिकों और बिचौलियों समेत कुल 74 आरोपियों को प्राथमिकी में नामजद किया है, जो कथित रूप से भ्रष्ट आचरण में लिप्त थे। एफसीआई को आउटसोर्स किए गए ‘बेनामी’ गोदामों को चलाने में पंजाब सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका भी जांच के दायरे में है। अधिकारियों ने कहा कि 74 आरोपियों में से 34 सेवारत, तीन सेवानिवृत्त अधिकारी, 17 आम व्यक्ति और 20 संस्थाएं शामिल हैं।