चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनावों की तारीखें क्या घोषित की, चुनाव सामग्री बाजार में भी सरगर्मियां बढ़ गई हैं। चुनाव सामग्री की बिक्री करने वाली दुकानें सज गई हैं।
चुनावी प्रचार में इस्तेमाल होने वाले झंडे, बिल्ले और बैनर जैसे उत्पाद बनाने के लिए मशहूर लखनऊ और कानपुर के कारोबारी इस मंदी में भी अच्छी कमाई को लेकर बिल्कुल आश्वस्त हैं।
दुकानदारों का मानना है कि चुनाव आयोग की सख्ती को देखते हुए अधिकतर पार्टियां बड़े होर्डिंगों के बजाय बिल्ले, बैनर और झंडों को तवज्जो देंगी। पिछले कुछ समय से राजनीतिक पार्टियों में चुनाव आयोग का काफी खौफ है।
इसका उदाहरण इसी बात से मिलता है कि मंगलवार को चुनाव आयुक्त गोपालस्वामी के लखनऊ आने की खबर सुनते ही प्रशासन ने बड़े-बड़े होर्डिंग हटाने शुरू कर दिए। उत्तर प्रदेश में लगभग 81 सीटों के लिए मतदान होना है। चुनाव सामग्री क ारोबारियों का मानना है कि इनमें से प्रत्येक संसदीय क्षेत्र में लगभग 50 लाख रुपये की चुनाव सामग्री की खपत होगी।
दिल्ली और पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश से मिलने वाले ऑर्डरों को भी अगर जोड़ लिया जाए तो उम्मीद है कि इस साल यह कारोबार 140 करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर लेगा। कारोबारियों ने बताया कि उत्तर प्रदेश में चुनाव सामग्री बाकी राज्यों के मुकाबले काफी सस्ती है। इसीलिए लोग दिल्ली से आकर यहां खरीदारी करते हैं और ऑर्डर देते हैं।
मसलन लखनऊ में कपड़े का झंडा 2 रुपये से शुरू होकर 14 रुपये तक में मिल जाता है। जबकि दिल्ली में यही झंडा 4 रुपये का मिलता है। लखनऊ में स्टिकर 80 पैसे के मिल रहे हैं और 300 रुपये में तो 1000 पर्चे छप जाते हैं।
यहां पर कपड़े के एक बैनर की कीमत 28 रुपये है, जबकि फ्लैक्स का बैनर 55 रुपये मीटर में बन रहा है। चुनावी सामान के कारोबारी सोहनलाल जायसवाल ने बताया कि बोर्ड परीक्षा चल रही हैं इसीलिए इस बार उम्मीदवार माइक के बजाय प्रचार सामग्री को ज्यादा तवज्जो देंगे।
उप्र के हर संसदीय क्षेत्र में होगी करीब 50 लाख रुपये के सामान की खपत
पड़ोसी राज्यों के ऑर्डर मिलने से कारोबार पहुंच सकता है 140 करोड़ रुपये के पार
