भूषण स्टील ने अनौपचारिक तौर पर पश्चिम बंगाल में 1,000 एकड़ जमीन के लिए पश्चिम बंगाल औद्योगिक विकास निगम (डब्लयूबीआईडीसी) से संपर्क साधा है।
ऐसा तब किया गया है जब कंपनी की स्टील परियोजनाओं में भागीदारी के लिए सुमीतोमो मेटल इंडस्ट्रीज (एसएमआई) से बातचीत चल रही है। परियोजना से जुड़े सूत्रों ने बताया, ‘शुरुआत में हमने 2,500 एकड़ जमीन की मांग की थी। यह 20 लाख टन की उत्पादन क्षमता के हिसाब से थी।
अब जबकि उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर 60 लाख टन किया जा रहा है, ऐसे में हमें 1,000 एकड़ अतिरिक्त जमीन की जरूरत है। हमने अनौपचारिक तौर पर ये बात निगम से कह दी है। उन्होंने कहा है कि कोई दिक्कत नहीं होगी।’
भूषण स्टील ने 2007 में पश्चिम बंगाल सरकार के साथ एक सहमति पत्र (एमओयू) पर दस्तखत किए थे। इसके तहत 20 लाख टन उत्पादन क्षमता वाला स्टील प्लांट, 1,000 मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए पावर प्लांट और 5 लाख टन उत्पादन क्षमता वाला कोल्ड रोल्ड और गैल्वेनाइजिंग प्लांट लगाया जाना है।
स्टील और पावर प्लांट वर्धमान जिले में है और कोल्ड रोल्ड और गैल्वेनाइजिंग प्लांट 24 परगना जिले में लगाया जाना है। सरकारी सूत्रों ने बताया कि अगर परियोजना में फेरबदल होता है तो भूषण स्टील को नए सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करना होगा।
कंपनी एसएमआई के साथ बंगाल की परियोजना में भागीदारी के लिए बातचीत कर रही है। अगर यह बातचीत सफल हो जाती है तो परियोजना की उत्पादन क्षमता बढ़कर 60 लाख टन हो जाएगी और इस क्षेत्र में 15,000 करोड़ रुपये का निवेश हो पाएगा। पहले 8,000 करोड़ रुपये निवेश की योजना थी। पश्चिम बंगाल की यह दूसरी बड़ी स्टील परियोजना होगी।
राज्य की सबसे बड़ी स्टील परियोजना पश्चिमी मेदनीपुर के सल्बोनी में है। इसे जेएसडब्ल्यू ने लगाया है। इसकी उत्पादन क्षमता 1 करोड़ टन है। इसमें तकरीबन 35,000 करोड़ रुपये निवेश का अनुमान है।
सूत्रों ने बताया कि इस परियोजना के लिए एसएमआई के साथ बातचीत महीने के आखिरी में प्रस्तावित है। हालांकि एसएमआई की तरफ से हाल ही में जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि कंपनी भारत और अन्य देशों के कई कारोबारी अवसरों पर विचार कर रही है।
हालांकि, एसएमई भूषण स्टील के उड़ीसा परियोजना में तकनीकी साझेदार है। भूषण स्टील ने सरकार को पुनर्वास योजना सौंप दी है। इसके तहत जिनकी जमीन परियोजना में जाएगी उन्हें उसके बदले जमीन और एक आवासीय कॉलोनी में घर मिलेगा।