वैसे निवेशक जो मीडियम-टू-लॉन्ग टर्म में बगैर जोखिम लिए एफडी के मुकाबले बेहतर रिटर्न चाहते हैं उनके लिए भारत बॉन्ड ईटीएफ एक बेहतर विकल्प हो सकता है। हालांकि 1 अप्रैल 2023 से डेट फंड पर टैक्स नियमों में हुए बदलाव के बाद से यह स्कीम टैक्स के मामले में कमोबेश एफडी की कैटेगरी में आ गया है। मतलब इस स्कीम में आपको जो रिटर्न मिलेगा उस पर आपको अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा। फिर चाहे आप क्यूं न इसे 3 साल से पहले या बाद में बेचें।
फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स (fixed income instruments) में निवेश को तरजीह देने वाले ऐसे निवेशकों को फिर से भारत बॉन्ड ईटीएफ (Bharat Bond ETF) में निवेश का मौका मिल सकता है क्योंकि सरकार दिसंबर में देश के इस पहले कॉरपोरेट बॉन्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड की पांचवीं सीरीज लॉन्च करने की योजना बना रही है। भारत बॉन्ड ईटीएफ की पहली पेशकश 2019 में लॉन्च की गई थी। एडलवाइस एसेट मैनेजमेंट (Edelweiss Asset Management) इस ETF को मैनेज करता है।
फिलहाल इस स्कीम के पांच इश्यू उपलब्ध हैं जो कमश: 2025, 2030, 2031, 2032 और 2033 में मैच्योर होंगे। ये सारे इश्यू सरकार के द्वारा 4 चरणों में लॉन्च किए गए हैं।
5 और 10 साल की अवधि के दो इश्यू जो पहले चरण के अंतर्गत दिसंबर 2019 में लॉन्च किए गए थे। उनमें से पहला इश्यू अप्रैल 2023 में मैच्योर हो गया जबकि दूसरा इश्यू 2030 में मैच्योर होगा। जबकि 5 और 11 साल की अवधि के इश्यू जो क्रमश: 2025 और 2031 में मैच्योर होंगे दूसरे चरण में जुलाई 2020 में लॉन्च किए गए थे। उसके बाद 2032 में मैच्योर होने वाले 11 वर्षीय इश्यू तीसरे चरण के अंतर्गत दिसंबर 2021 में लॉन्च किए गए थे। जबकि 2033 में मैच्योर होने वाले 11 वर्षीय इश्यू चौथे चरण के अंतर्गत दिसंबर 2022 में लॉन्च किए गए।
अप्रैल 2023 में मैच्योर हुए इश्यू ने 6.54 फीसदी का सालाना रिटर्न यानी YTM (Yield to Maturity) दिया जबकि बेंचमार्क इंडेक्स (निफ्टी भारत बॉन्ड इंडेक्स) की सालाना वृद्धि दर 6.61 फीसदी रही। शुरुआती दौर में इस इश्यू पर YTM 6.69 फीसदी था।
अब इस ईटीएफ में निवेश को लेकर विस्तार से जानते हैं :
क्या है Bharat Bond ETF?
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, यह एक ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) स्कीम है। मतलब इसकी लिस्टिंग स्टॉक एक्सचेंज पर होती है और इसमें ट्रेडिंग की सुविधा होती है। इस स्कीम में अंडरलाइंग एसेट (underlying asset) चुनिंदा सरकारी कंपनियों के बॉन्ड हैं। अगर आप भी इस स्कीम में निवेश करना चाहते हैं तो इसके लिए डीमैट अकाउंट (demat account) का होना जरूरी है। वैसे निवेशक जिनके पास डीमैट अकाउंट नहीं है, उनके लिए भी इसमें निवेश की सुविधा है। लेकिन वे इसमें किसी भी म्यूचुअल फंड की तरह फंड ऑफ फंड्स (FoF) रूट के जरिए ही निवेश कर सकते हैं। इसमें रिटेल/आम निवेशक कम से कम 1,000 रुपए से निवेश कर सकते हैं, जबकि अधिकतम निवेश की सीमा 2 लाख रुपए है (1,000 रुपए के गुणक में)।
क्यों सुरक्षित है यह स्कीम?
नियमों के अनुसार इस स्कीम में सिर्फ AAA क्रेडिट रेटिंग वाली पब्लिक सेक्टर की कंपनियों के बॉन्ड को ही शामिल किया जा सकता है। साथ ही एक कंपनी के बॉन्ड का अधिकतम वेटेज (हिस्सेदारी) इंडेक्स में 15 फीसदी होगा। ज्यादा से ज्यादा 12 से 13 सरकारी कंपनियों के बॉन्ड इस स्कीम में हैं। एक तो पब्लिक सेक्टर की कंपनी और दूसरे AAA रेटिंग के चलते कहा जा सकता है कि इस स्कीम में जोखिम नहीं के बराबर है।
कितना मिल सकता है रिटर्न ?
सरकार ने इस स्कीम के अंतर्गत अब तक 4 चरणों में अलग-अलग समय पर मैच्योर होने वाले 6 इश्यू लॉन्च किए हैं। आने वाले समय में और अलग-अलग मैच्योरिटी पीरियड के इश्यू लॉन्च किए जा सकते हैं। अगर आप इस स्कीम में निवेश को पूरी मैच्योरिटी पीरियड तक बनाए रखते हैं तो आपको फिक्स्ड रिटर्न (इंडिकेटिव यील्ड) मिल सकता है। जिसकी जानकारी आपको स्कीम खरीदने के वक्त यानी एनएफओ (new fund offer / न्यू फंड ऑफर के दौरान) के दौरान मिलती है। लेकिन अगर आप मैच्योरिटी पीरियड के बीच में स्टॉक एक्सचेंज पर इसे बेचेंगे तो आपका रिटर्न ज्यादा या कम भी हो सकता है। यह मार्केट कंडीशंस (market conditions) खासकर उस समय की ब्याज दर में उतार-चढाव से प्रभावित होगा। इसलिए जो निवेशक फिक्स्ड रिटर्न चाहते हैं, उन्हें पूरी मैच्योरिटी पीरियड तक इस स्कीम में बने रहना होगा।
फिलहाल अप्रैल 2033 में मैच्योर होने वाले इश्यू के लिए रिटर्न (यील्ड टू मैच्योरिटी/YTM) 7.51 फीसदी है, जबकि अप्रैल 2032 में मैच्योर होने वाले इश्यू के लिए यील्ड टू मैच्योरिटी 7.55 फीसदी है। इसी तरह :
अप्रैल 2031 – YTM (7.54%)
अप्रैल 2025 – YTM (8.2%)
अप्रैल 2023 में मैच्योर हुए इश्यू ने 6.54 फीसदी का सालाना रिटर्न यानी YTM (Yield to Maturity) दिया जबकि बेंचमार्क इंडेक्स (निफ्टी भारत बॉन्ड इंडेक्स) की सालाना वृद्धि दर 6.61 फीसदी रही। शुरुआती दौर में इस इश्यू पर YTM 6.69 फीसदी था।
इस तरह इसमें पोस्ट टैक्स रिटर्न बैंक एफडी की तुलना में ज्यादा मिल सकता है। खासकर वैसे निवेशकों को जो higher tax slab के अंतर्गत आते हैं।
टैक्स के नियम
भारत बॉन्ड ईटीएफ डेट म्युचुअल फंड की कैटेगरी में आते हैं इसलिए टैक्स के नियम भी डेट म्यूचुअल फंड की तरह हैं। 1 अप्रैल 2023 से लागू नए नियम के अनुसार डेट फंड (वैसे म्युचुअल फंड जहां इक्विटी में एक्सपोजर 35 फीसदी से ज्यादा नहीं है) को रिडीम करने के बाद जो भी कैपिटल गेन/लॉस होगा वह शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन/लॉस मानी जाएगी। शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन आपकी इनकम में जुड़ जाएगा और आपको टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स देना होगा। जबकि 1 अप्रैल 2023 से पहले इस तरह के फंड से होने वाली कमाई पर टैक्स होल्डिंग पीरियड (खरीदने के दिन से लेकर बेचने के दिन तक की अवधि) के आधार पर लगता था। मतलब 36 महीने से कम के होल्डिंग पीरियड पर शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन टैक्स जबकि 36 महीने के ऊपर के होल्डिंग पीरियड पर इंडेक्सेशन के फायदे के साथ 20 फीसदी (सेस मिलाकर 20.8 फीसदी) लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स का प्रावधान था।
कितना expense?
इस स्कीम को मैनेज करने के लिए फंड हाउस को निवेश की राशि का 0.0005 फीसदी यानी दो लाख रुपये पर 1 रुपये देना होगा। जो बहुत ही कम या लगभग ना के बराबर है। हालांकि अगर कोई निवेशक 30 दिन के अंदर ही स्कीम से निकल जाता है जो उसे 0.10 फीसदी एग्जिट लोड देना होगा।