नौकरी से हटाये गए जेट एयरवेज के कर्मचारियों ने कंपनी के इस निर्णय के विरोध में प्रदर्शन किया।
अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे और जेट एयरवेज के कार्यालय के बाहर कर्मचारियों ने नरेश गोयल और किंगफिशर के मालिक विजय माल्या के खिलाफ नारेबाजी की। इस नारेबाजी की वजह से जेट एयरवेज के काउंटर पर काम काफी देर तक बाधित रहा।
दूसरी ओर जेट एयरवेज ने महंगाई को इसका कारण बताते हुए कहा है कि अगर सरकार हवाई ईंधन की कीमतों में कमी कर दे तो वह निकाले गए कर्मचारियों को वापस बुलाने को तैयार है।
जेट एयरवेज के कर्मचारियों के साथ भारी संख्या में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) कार्यकर्ताओं को लेकर इसके नेता नितिन सरदेसाई जेट एयरलाइंस प्रमुख नरेश गोयल से मिलने उनके दफ्तर पहुंचे, लेकिन इन लोगों से इस मुद्दे में बात न करते हुए गोयल ने कहा कि वह एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे से 48 घंटे के अंदर मुलाकात करेंगे।
गौरतलब है कि जेट एयरवेज के करीब 1900 कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिये जाने के फैसले पर राज ठाकरे ने एयरलाइंस को धमकी दी है कि अगर बर्खास्त किये गए कर्मचारियों को वापस काम पर नहीं बुलाया गया तो मुंबई और महाराष्ट्र से इस विमानन कंपनी का एक भी विमान उडान नहीं भर पायेगा। बर्खास्त किये गए कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें किसी भी हाल में काम चाहिए।
जेट एयरवेज की बर्खास्त कर्मचारी साइना कहती है कि यह तो पूरी तरह से हिटलरशाही है कि जब मन में आया काम पर रखा और जब चाहा तो निकाल दिया। इस तरह का निर्णय हम सहन नहीं करेंगे चाहे हमें किसी भी हद तक जाना पड़े। दूसरे बर्खास्त कर्मचारी निमेश का कहना है कि बर्खास्त किये गये कर्मचारियों में अधिकांश प्रोबेशनर और ट्रेनीज है जिनमें से अधिकांश की यह पहली नौकरी है।
उनका कहना है कि हममें से ज्यादातर कर्मचारी संपन्न परिवारों से नहीं हैं। कई लोगों ने तो उधार ले कर पढ़ाई की है और नौकरी के शुरुआती दिनों में ही बर्खास्तगी से हमारा घर कैसे चलेगा। जेट एयरवेज ने एटीएफ की कीमतों में वृध्दि को कर्मचारियों की छटनी की वजह बता कर गेंद सरकार के पाले में फेंकने की कोशिश की है।
मामले को राजनीतिक रंग पकडते देख पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा ने जेट एयरवेज द्वारा गुरुवार को कर्मचारियों की बर्खास्तगी की आलोचना करते हुए कहा कि यह निर्णय गलत समय पर लिया गया है। देवड़ा ने फिलहाल तेल की कीमतों में किसी तरह की कटौती से भी इंकार कर दिया है।
गौरतलब है कि भारतीय विमानन क्षेत्र को 2007-08 में 4000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का घाटा हुआ है और अब तक यह क्षेत्र लगभग 6000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा के घाटे पर पहुंच गया है। इस घाटे की मुख्य वजह एटीएफ की कीमतों हुई बेतहाशा वृध्दि को माना जा रहा है।