दिल्ली में प्रदूषण बढऩे के कारण फिर से निर्माण व विध्वंस कार्यों पर रोक लग गई है। दिल्ली सरकार ने हवा कुछ सुधरने के बाद सोमवार को ही निर्माण गतिविधियों पर लगी रोक हटाई थी। लेकिन पाबंदियां हटने और हवा की गति थमने से प्रदूषण फिर से बढऩे लगा है। इसे देखते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को दिल्ली में निर्माण कार्यों में पर रोक लगाने का आदेश दिया। दिल्ली सरकार ने निर्माण कार्यों पर रोक से प्रभावित होने वाले श्रमिकों को आर्थिक मदद देने की घोषणा की है। निर्माण कार्यों पर रोक के बाद अब सोमवार से स्कूल-कॉलेज खुलने पर भी संशय के बादल मंडरा रहे हैं।
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि पिछले 3-4 दिनों में प्रदूषण का स्तर कम हो रहा था। लेकिन आज स्तर फिर से बढ़ गया है। इस संबंध में बुधवार रात सर्वोच्च न्यायालय ने एक आदेश जारी किया। आदेश के अनुसार प्लंबिंग, इंटीरियर डेकोरेशन, इलेक्ट्रिक वर्क और लकड़ी के काम के अलावा सभी निर्माण और विध्वंस गतिविधियों पर फिर से रोक लगा दी गई है। दिल्ली सरकार हर चीज के लिए तैयार है और जरूरत पडऩे पर प्रदूषण को रोकने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगी। इस प्रतिबंध से परेशानी का सामना कर रहे श्रमिकों को दिल्ली सरकार आर्थिक मदद देगी। इसके लिए श्रम विभाग उपयुक्त योजना बनाएगा।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि निर्माण कार्य बंद होने से सरकार श्रमिकों के खातों में 5-5 हजार डालेगी। श्रमिकों को उनके न्यूनतम वेतन के अनुसार उनके नुकसान का मुआवजा भी दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि कई निर्माण स्थल ऐसे हैं, जिनका पंजीयन नहीं है वहां कैंप लगाकर पंजीयन किया जाएगा।
हाल के फैसलों का प्रदूषण वृद्धि में योगदान की संभावना के बारे में राय ने कहा, ‘विकास कार्य भी महत्त्वपूर्ण है और प्रारंभिक प्रतिबंध के बाद दिल्ली के अंदर प्रदूषण के स्तर में सुधार हुआ था। हम हर चीज के लिए मानसिक रूप से तैयार हैं। अगर स्थिति में सुधार होता है तो हम दोबारा खोलने की संभावना पर विचार करेंगे। अगर स्थिति बिगड़ती है तो हम आवश्यक कार्रवाई करेंगे। सरकारी एजेंसियां और संबंधित प्राधिकरण पहले से ही न्यायालय के आदेशों को लागू करने के लिए काम कर रहे हैं और पर्यावरण विभाग द्वारा स्थिति की बारीकी से निगरानी की जा रही है।’ राय ने बताया कि मेट्रो और बसों में खड़े होकर यात्रा करने की अनुमति मिलने और अतिरिक्त सीएनजी बसें सड़क पर आने के बाद सार्वजनिक परिवहन क्षमता में 50 फीसदी की वृद्धि हुई है।
