दिल्ली सरकार ने सेंटर फॉर साइंस ऐंड एनवायरनमेंट (सीएसई) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि दिल्ली में 69 फीसदी प्रदूषण बाहर से आ रहा है। यहां के लोग अपने स्रोत सेे केवल 31 फीसदी प्रदूषण ही पैदा कर रहे हैं। सरकार ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से दिल्ली-एनसीआर से जुड़े सभी पर्यावरण मंत्रियों की बैठक बुलाने की मांग की है। जिसमें दीर्घकालीन स्थायी समाधान के लिए वैज्ञानिक आधार पर संयुक्त कार्य योजना बनाकर हर राज्य की जिम्मेदारी तय की जाए। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने गुरुवार को कहा कि दिल्ली के अंदर प्रदूषण को लेकर पिछले कई दिनों से लगातार बहस चल रही है कि दिल्ली के अंदर जो प्रदूषण है, उसकी मुख्य वजह क्या है? दिल्ली के अंदर का प्रदूषण है, दिल्ली के बाहर का प्रदूषण है, गाडिय़ों का प्रदूषण है या पराली का प्रदूषण है, निर्माण का प्रदूषण है या बायोमॉस बर्निंग का प्रदूषण है? अदालत से लेकर विशेषज्ञों के बीच लगातार यह बात चल रही है। सीएसई और केंद्र सरकार की संस्था इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मैनेजमेंट (आईआईटीएम) ने 24 अक्टूबर से 8 नवंबर तक 15 दिनों का प्रति घंटे के हिसाब से डेटा विश्लेषण किया। सीएसई ने केंद्र सरकार कीऐप सफर द्वारा उपलब्ध कराए गए डेटा का विश्लेषण किया और इसके आधार पर रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट कहती है कि 31 फीसदी प्रदूषण दिल्ली के अंदर का है और 69 फीसदी प्रदूषण दिल्ली के बाहर का है।
यह रिपोर्ट वर्ष 2016 के टेरी की तरफ से जारी डेटा से मेल खाती है। टेरी के डेटा में दिल्ली का प्रदूषण 36 फीसदी था और आज वह प्रदूषण घटकर 31 फीसदी हो गया है। दिल्ली में बाहर से जो प्रदूषण आता था, वह पहले 64 फीसदी था। सीएसई की अब जो रिपोर्ट आई है, उसके अनुसार बाहर का प्रदूषण बढ़कर 69 फीसदी हो गया है।
राय ने बताया कि इस रिपोर्ट में दिखाए गए चार्ट के अनुसार उस दौरान 14 फीसदी पराली जलने का प्रदूषण था। उसके बाद से लगातार पराली की घटनाएं बढ़ी हैं। उच्चतम न्यायालय में भी कल केंद्र सरकार ने इस बात को स्वीकार किया कि जो चार फीसदी का डाटा दिया था, वह पूरे साल का डाटा है। इस समय प्रदूषण में पराली का योगदान करीब 35 से 40 फीसदी है।
राय ने कहा कि दिल्ली सरकार अपने प्रदूषण को कम करने के लिए उपाय कर रही है। प्रदूषण में बाहरी हिस्सा ज्यादा होने से पड़ोसी राज्यों को भी उपाय करने की जरूरत है। इसलिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से निवेदन है कि इसको लेकर दिल्ली-एनसीआर से जुड़े सभी पर्यावरण मंत्रियों की बैठक बुलाई जाए। डेटा के आधार पर एक वैज्ञानिक आधार पर संयुक्त एक्शन प्लान बने। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान को क्या- क्या करना है, वह निश्चित किया जाए। इसके अलावा जिम्मेदारी भी तय की जाए। अगर कोई राज्य उसे लागू नहीं कर रहा है, तो उस पर कार्रवाई करने के लिए नीति बनाई जाए जिससे हम मिलकर इस प्रदूषण की समस्या का तात्कालिक और स्थाई तौर पर भी समाधान कर सकें।