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Editorial: MSME के लिए सुनियोजित कदम से बनेगा उत्तम प्रदेश

उत्तर प्रदेश के औद्योगिक उत्पादन में MSME लगभग 60% का योगदान करते हैं और राज्य के निर्यात में इनकी हिस्सेदारी 46% है।

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बीएस संपादकीय   
Last Updated- June 20, 2025 | 10:29 PM IST

सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) भारत के आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। एमएसएमई स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर सृजित करने में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं। देश से वस्तुओं के कुल निर्यात में एमएसएमई खंड की हिस्सेदारी 45 फीसदी से अधिक है और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में इनका योगदान लगभग 30 फीसदी है। देश में इलेक्ट्रॉनिकी एवं सेमीकंडक्टर जैसे मूल्यवान क्षेत्रों सहित बड़े औद्योगिक संकुलों को जिस तरह महत्त्व दिया जा रहा है उतना ही ध्यान एमएसएमई के विकास के लिए उपयुक्त माहौल तैयार करने पर दिया जाना चाहिए। इस दिशा में उत्तर प्रदेश सुनियोजित रूप से कदम बढ़ाता प्रतीत हो रहा है।

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उत्तर प्रदेश में एमएसएमई की संख्या देश में सर्वाधिक है। राज्य में कुछ समय पहले विशेष रूप से एमएसएमई के लिए 11 जिलों में 15 औद्योगिक क्षेत्र तैयार करने से जुड़ी घोषणाएं हुई हैं। इनमें यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण भी शामिल है। राज्य में नए एमएसएमई के लिए 500 एकड़ जमीन का इंतजाम किया गया है। एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार के ये प्रयास सही दिशा में हैं। एमएसएमई विभाग द्वारा तैयार मसौदा योजना के
अनुसार इन औद्योगिक क्षेत्रों के लिए 764.31 एकड़ जमीन आवंटित की जाएगी।

उत्तर प्रदेश के औद्योगिक उत्पादन में एमएसएमई क्षेत्र का योगदान लगभग 60 फीसदी है और राज्य के निर्यात में भी इसकी हिस्सेदारी 46 फीसदी तक पहुंच जाती है। राज्य की ऐसी इकाइयों की हिस्सेदारी देश के कुल एमएसएमई में लगभग 14 फीसदी है। एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) जैसी विशेष योजनाएं परंपरागत एवं कारीगरी कौशल को नए सिरे से बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

ओडीओपी योजना के माध्यम से परंपरागत एवं कारीगरी कौशल आधुनिक मूल्य श्रृंखला से जुड़ रहा है। राज्य ने भौगोलिक संकेतकों (जीआई) के मामले में भी उल्लेखनीय प्रगति की है। देश में सर्वाधिक जीआई टैग के साथ उत्तर प्रदेश स्थानीय उत्पादों के दम पर एक नया एवं विशिष्ट बाजार तैयार करने में सफल रहा है। वर्ष 2023-24 में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर 13 फीसदी रही जो प्रदेश के राज्य सकल घरेलू उत्पाद (एसजीडीपी) दर 7.5 फीसदी से आगे निकल गई।

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वर्तमान मूल्यों पर विनिर्माण राज्य की अर्थव्यवस्था में 27 फीसदी योगदान दे रहा है। महत्त्वपूर्ण बात यह है कि राज्य के लगभग सभी जिलों में निवेश बढ़ रहा है। यह प्रगति एमएसएमई क्षेत्र को आगे बढ़ने में मदद करती है और एक संतुलित औद्योगिक तंत्र विकसित करने में भी सहायता मिली है।

ये सभी प्रयास उपयुक्त दशा में आगे बढ़ते दिख रहे हैं किंतु अब भी कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां निरंतर ध्यान देने की आवश्यकता है। महिला उद्यमिता की कमी सबसे अहम बिंदु है जिस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। राज्य में मौजूद कुल एमएसएमई में महिलाओं द्वारा संचालित एमएसएमई की हिस्सेदारी मात्र 33 फीसदी है। यह अनुपात कई राज्यों की तुलना में कम है। लक्षित कौशल विकास, वित्त की उपलब्धता और महिला केंद्रित औद्योगिक संकुल रोजगार एवं उत्पादन और बढ़ाने में मददगार हो सकते हैं।

उत्तर प्रदेश की कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था चुनौती और अवसर दोनों पेश कर रही है। कृषि-प्रसंस्करण, खाद्य संरक्षण, ग्रामीण ​​शिल्प और कृषि उपकरण विनिर्माण खंडों में अपार संभावनाएं हैं जिनका पर्याप्त लाभ नहीं उठाया गया है। इन खंडों में आगे बढ़ने की काफी गुंजाइश मौजूद है। उदाहरण के लिए राज्य की खाद्य प्रसंस्करण औद्योगिक नीति 2022-27 में इस बात का उल्लेख है कि राज्य की 24,000 खाद्य-प्रसंस्करण इकाइयों में केवल 6 फीसदी ही ऐसी हैं जिनका सालाना राजस्व 20 करोड़ रुपये से अधिक है। यह स्थिति क्षमता एवं कारोबार विस्तार की संभावनाएं उपलब्ध होने का संकेत दे रही है।

कृषि क्षेत्र को एमएसएमई से जोड़ने वाली मूल्य श्रृंखला मजबूत बनाने से किसानों की आय बढ़ सकती है और ग्रामीण क्षेत्र में संकट भी कम हो सकता है। इस बात का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए कि एमएसएमई नीतियां केवल अवसंरचना एवं भूमि पर ही केंद्रित न रहें बल्कि नियम अनुपालन का बोझ घटाने, वित्त की उपलब्धता सुनिश्चित करने और ढुलाई से जुड़ी बाधाएं भी दूर करने में योगदान दें। देश के सबसे बड़े राज्य में अधिक औद्योगिक उत्पादन एवं रोजगार के अवसर भारत की संपूर्ण आर्थिक वृद्धि की संभावनाओं में सुधार करेंगे।

First Published : June 20, 2025 | 10:20 PM IST