पश्चिम बंगाल में खड़गपुर के आस-पास बसे गांवों के 192 बच्चे इस बात का दावा कर सकते हैं कि उन्होंने आईआईटी, खड़गपुर में शिक्षा पाई है।
वह इसी संस्थान में न केवल पढ़ते हैं, बल्कि इसके होस्टल में रहते भी हैं। वैसे, इनमें और यहां पढ़ने के लिए आए बड़े स्टूडेंट्स में अंतर बस इतना सा है कि ये बच्चे यहां आईआईटी के पुराने स्टूडेंट्स की मदद से बनाए गए स्कूल में पढ़ते हैं।
पांचवीं कक्षा तक के इस स्कूल की शुरुआत 1993 में हंसा नंदी, दलीप नंदी और प्रदीप द्विवेदी ने गरीब बच्चों के लिए की थी। अब तो इसे हायर सेंकेडरी तक करने की बात चल रही है। अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा, तो 1800 एकड़ में फैले आईआईटी कैंपस में मौजूद यह स्कूल को जल्द ही इस बात की भी अनुमति मिल जाएगी। ज्योति डेवलपमेंट ट्रस्ट के स्थायी ट्रस्टी प्रदीप द्विवेदी का कहना है कि, ‘खड़गपुर और इसके आस-पास की 85 फीसदी आबादी अशिक्षित है।
इस स्कूल में एडमिशन के लिए हमारे मौजूदा सीट्स के मुकाबले चार गुना ज्यादा अप्लीकेशन आते हैं। बच्चों का चुनाव लॉटरी के आधार पर होता। हम बच्चों से हर माह केवल 150 रुपए की फीस लेते हैं, जबकि एक बच्चे पर हमें 700 रुपए का खर्च आता है। इस स्कूल को चलाने पर हर साल आठ लाख रुपए का खर्च आता है, जो हमारी आईआईटी के पूर्व छात्रों के दान से निकलता है।’