पंजाब में कपड़ा उद्योग की चमक फीकी पड़ती जा रही है। इस क्षेत्र की कंपनियों को कभी पंजाब का गौरव कहा जाता था, लेकिन अब इनकी हालत खस्ता है।
तकनीकी रूप से पिछड़ने और नई-नई चीजों को नहीं अपनाने की वजह से कई टेक्सटाइल यूनिटें कंपनियां बंद भी हो चुकी हैं। लघु और छोटे व्यवसाय के तहत राज्य में कुल 123 टेक्सटाइल यूनिटें थीं।
फिलहाल इनमें सिर्फ 12 यूनिट चालू अवस्था में हैं। इस बदलते दौर में जहां राज्य के शॉल और कंबल बाजार ने अपनी गर्माहट बरकरार रखी है, वहीं टेक्सटाइल मार्केट का इसका सबसे ज्यादा खमियाजा भुगतना पड़ा है। प्रतिस्पर्धा नहीं झेलने की वजह से टेक्सटाइल यूनिटों को बंद करना पड़ा।
दरअसल ये यूनिटें आधुनिक मशीनरी और टेक्नोलोजी लगाने में नाकाम रहीं, जबकि सूरत और अहमदाबाद ने आधुनिक टेक्नोलोजी को तुरंत अपना लिया। इस वजह से पंजाब की टेक्सटाइल यूनिटों प्रतिस्पर्धा का सामने करने में पूरी तरह नाकाम हो गईं। इसके अलावा इन यूनिटों के लिए कच्चे माल की सप्लाई पावंडी और सूरत से होती है और इसके मद्देनजर पंजाब के उद्योगपतियों को फ्रेट, ऑक्ट्रॉय और अन्य टैक्सों के रूप में ज्यादा राशि खर्च करनी पड़ती है।
इस वजह से यहां के यूनिटों की लागत खर्च भी बढ़ गई। साथ ही इस उद्योग को राज्य सरकार की उपेक्षा का सामना भी करना पड़ रहा है। हाल में बंद हुए कई टेक्सटाइल मिल इसका जीता-जागता उदाहरण हैं।
दिलचस्प बात यह है कि सरकार ने नई टेक्सटाइल यूनिटों की स्थापना के लिए 10 साल पहले सब्सिडी का ऐलान किया था, लेकिन अब तक इस पर अमल नहीं हो पाया है। फंड की कमी और छोटे और लघु उद्योग के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी ने भी कई ऐसी यूनिटों को बंद होने के लिए मजबूर कर दिया।
टेक्सटाइल यूनिटों के बंद होने के बारे में उद्योगपति पियारे लाल सेठ इस उद्योग के पतन के लिए राज्य के उद्योगपतियों को ही जिम्मेदार ठहराते हैं। वह कहते हैं कि इन उद्योपतियों ने अपने उत्पाद की पहचान बनाने के लिए कोई कोशिश नहीं की।
सेठ के मुताबिक, टेक्सटाइल सेक्टर से जुड़े पंजाब के उद्योगपतियों ने फैशन और टेक्नोलोजी नहीं अपनाया। अगर वे ऐसा करते तो उनका अस्तित्व बचा रहा सकता था। उन्होंने बताया कि इसके अलावा गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी से योग्य पेशेवरों को नहीं लिया जाना भी बहुत बड़ी भूल थी। नतीजतन ये पेशेवर यहां की इंडस्ट्री को छोड़कर अहमदाबाद, सूरत और पानीपत का रुख करने लगे।
चालू हालत में मौजूद टेक्सटाइल यूनिटों ने पिछली गलतियों से सबक लेते हुए नई टेक्नोलोजी को अपनाया तो उनकी जान बची। इतना ही नहीं ये यूनिटें स्विटजरलैंड से आयातित कशीदाकारी मशीन का भी इस्तेमाल कर रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर लघु एवं छोटे कैटिगरी की टेक्सटाइल यूनिटें प्रोसेसिंग के लिए नई टेक्नोलोजी का इस्तेमाल करती हैं, तो अब भी इस सेक्टर में अवसरों की कमी नहीं है।