अगर हम भारतीय प्रबंधन संस्थान(आईआईएम) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)के ग्रेजुएट छात्रों की बात करें तो हमारे मन में यही ख्याल आता है कि वे इन्वेस्टमेंट बैंकिंग, कंसल्टेंसी या आईटी में एक बेहतर नौकरी कर रहे होंगे।
आईआईएम अहमदाबाद के 2004 बैच के छात्र वर्दन काबरा और अंकिता दिवाकर काबरा इस सोच में बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं। इन दोनों ने अपने विचारों को एक रूप देने की कोशिश की और फाउंटेनहेड एजुकेशन फाउंडेशन बना डाला।
यह फाउंडेशन सूरत में एक से चार साल के बच्चों के लिए प्री स्कूल और चाइल्डकेयर सेंटर चला रहा है। यह संस्था अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बच्चों की शिक्षा और प्रारंभिक स्तर की देखभाल के तरीकों के मुताबिक काम करती है। वर्दन का कहना है, ‘मुझे प्रॉक्टर ऐंड गैंबल से प्लेसमेंट से पहले ही 7 लाख रुपये का ऑफर मिला। लेकिन मैंने इसे नहीं स्वीकारा और न ही किसी प्लेसमेंट के लिए बैठा रहा।
मुझे यह यकीन है कि शिक्षा की गुणवत्ता पर जोर देना अपने आप में एक बड़े कारोबार का मामला है। आज स्कूल और कालेजों की बात की जाए तो छात्रों के पास चुनाव का ज्यादा विकल्प नहीं होता है। ज्यादातर लोग उन्हीं सीमित विकल्पों को अपनाते हैं जो मौजूद होते हैं। समस्या यह है कि यहां ज्यादा प्रतियोगिता भी नहीं है। अगर इस सेक्टर में प्रतियोगिता की स्थिति बन जाए तो यहां बड़े बदलाव की गुंजाइश बन सकती है जैसा कि आप टेलीकॉम इंडस्ट्री में देख सक ते हैं।’
वर्दन ही अकेले ऐसे नहीं है जो इस तरह सोचते हैं। वर्ष 2005 में आईआईएम अहमदाबाद में उन्हीं के पदचिन्हों पर चलने की कोशिश की वर्दन के जूनियर शरतचंद्र और प्रवीण वाई ने। इन दोनों ने शिक्षा के क्षेत्र में कुछ कर दिखाने की बात सोच ली।
आईआईटी के छात्र रहे शरत और प्रवीण ने यह फैसला लिया कि वे अपने साइंस विषय के लगाव का इस्तेमाल बटरफ्लाई फील्ड के लिए करेंगे जो एक अलग तरह का स्कूल होगा जहां ये बच्चे कुछ अलग तरह की गतिविधयां भी कर सकेंगे। इस स्कू ल में पढ़ाई का तरीका कुछ ऐसा होगा कि बच्चे खेल के जरिए साइंस को आसानी से समझ सकें।
शरत कहते हैं, ‘शिक्षा ऐसी चीज नहीं है कि आप उसे वीकएंड के तौर पर देखें। इसके लिए जरूरी है कि हम बिजनेस की एक खास योजना बनाएं। हमने हैदराबाद के विभिन्न स्कू लों के 3000 से ज्यादा बच्चों को ट्रेनिंग देकर शहर में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। हमें यूएई के भारतीय स्कूलों से भी अपने सेंटर बनाने का ऑफर मिला है जिस पर हम विचार कर रहे हैं।’
अगर हम यह कहें कि शिक्षा के कारोबार में नए सिरे से अपनी कवायद जारी रखना एक आसान फैसला नहीं था जबकि उनके पास एक बड़े अंतरराष्ट्रीय बैंक का बढ़िया ऑफर था। एक साल के भीतर ही इन दोनों छात्रों ने निजी इक्विटी निवेशकों को लुभाना शुरू कर दिया है जो कंपनी में अपना दांव लगाने के लिए तैयार हैं।
उन्हें और भी ज्यादा पहचान तब मिलने लगी जब उन लोगों ने हैदराबाद के स्कूल में संयुक्त मिनी म्यूजियम और साइंस सेंटर बनाया जहां नासा के वैज्ञानिकों का स्वागत भी किया गया। इस कंपनी में आठ लोगों की टीम है जहां ज्यादातर शख्स आईआईटी ग्रेजुएट हैं। इसके अलावा और लोग भी जल्द ही इसे ज्वाइन करने वाले हैं। इनके सभी सहपाठियों को कॉरपोरेट सेक्टर की सबसे बड़ी कंपनियों से भी बेहतर ऑफर मिल रहे हैं।
लेकिन इन उद्यमियों का कहना है कि वे अपने संसाधनों से ही अपनी मंजिलें बनाना चाहते हैं। हालांकि उनकी इन मंजिलों को पाने के रास्ते में वित्तीय बाधाएं तो हैं ही जिससे निपटने के लिए उनकी कोशिश जारी है। वर्दन ने फाउंटेनहेड की शुरुआत 13 लाख की छोटी रकम से की जो उन्होंने अपने परिवार और दोस्तों के जरिए जुटाई। अब उन्होंने एक लोकल डायमंड बिजनेसमैन के साथ गठजोड़ किया है ताकि 10 एकड़ के कैंपस में 5 करोड़ रुपये की निवेश लागत से दूसरे संस्थान की स्थापना कर सकें।
इसी तरह की शुरुआत आईआईएम के पूर्व छात्रों ने एजुकेशन इनीशिएटिव (ईआई) नाम के वेंचर से की है। इसके जरिए निवेशकों को भी ध्यान दिलाने की कोशिश की जा रही है। यह कंपनी स्कू ली शिक्षा के लिए काम कर रही है। इस कंपनी को पहली ही बार में कई निवेश ऑफर मिले। इनमें फुटप्रिंट वेंचर, नोवाक बिडल वेंचर पार्टनर्स, आईसीआईसीआई बैंक के सहयोग से चलने वाली आईएफएमआई के अलावा उद्योगपति गौतम थापर भी शामिल हैं।
कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि इस फंड का उपयोग इस कंपनी का विस्तार विदेशों में भी करने के लिए किया जाएगा। विदेशों में भी पश्चिम एशिया और सिंगापुर के स्कू लों ने खासी रुचि दिखाई है। आईआईएम अहमदाबाद के छात्र रहे ईआई के निदेशक सुधीर घोडके का कहना है, ‘ 1800 स्कू लों के 2 लाख छात्रों ने असेसमेंट टेस्ट दिया है और अब कंपनी ने दूसरे राज्यों में भी अपना विस्तार करना शुरू कर दिया है।
हमारी कोशिश अगले तीन साल में लगभग 10 लाख छात्रों को इसमें शामिल करने की है।’ कंपनी कक्षा 3 से 10 तक के लिए टेस्ट लेती है जिसमें गणित, साइंस और अंग्रेजी विषयों का टेस्ट लिया जाता है। दो साल पहले आईआईएम अहमदाबाद के चार छात्रों ने यह फैसला लिया कि वे एक करोड़ के आकर्षक वेतन ऑफर को लेने के बजाए अपनी मेहनत से कोई राह बनाएंगे।
उस वक्त शिक्षा के क्षेत्र में कुछ करने की बात दिमाग में आई और उन्होंने क्यूजल ऑनलाइन प्राइवेट लिमिटेड नाम से फर्म बना ली। यह कंपनी एजुकेशनल सॉफ्टवेयर के लिए काम करती है और सेवाएं भी मुहैया कराती है, मसलन इंजीनियरप्रेप डॉट कॉम वेबसाइट इंजीनियरिंग के लिए, टीनाडे डॉट को डॉट इन एमबीए की प्रवेश परीक्षा के लिए। इसी तरह आईआईएम कोलकाता के के. एस. भास्कर ने एसेंट एजुकेशन की शुरुआत की है जो कैट की तैयारी के लिए छात्रों का मार्गदर्शन करती है।
आईआईएम और आईआईटी के ग्रेजुएट छात्रों की पहल
आईआईटी दिल्ली के दो ग्रेजुएट छात्रों ने गुरुजी डॉट कॉम नाम का सर्च इंजन बनाया।
आईआईएम अहमदाबाद के दो छात्रों ने लूटस्ट्रीट डॉट कॉम को शुरू किया जो ई-कामर्स का पोर्टल है।
आईआईएम अहमदाबाद के एक छात्र ने निर्मल प्रचार प्राइवेट लिमिटेड बनाई जो आउटडोर एडवरटाईजिंग का कारोबार करती है।