प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर डेढ़ घंटे के अपने संबोधन में आने वाले दिनों में अपनी सरकार के नीतिगत दृष्टिकोण को लेकर एक परिकल्पना पेश की। हालांकि उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष मौजूद गंभीर चुनौतियों और सार्वजनिक वित्त पर बने दबावों के बारे में बोलने से परहेज किया।
इसके बजाय मोदी ने आत्मनिर्भर भारत बनाने के बहुचर्चित मसले समेत आठ विशिष्ट क्षेत्रों पर जोर दिया। उन्होंने ढांचागत क्षेत्र को मजबूत करने, शहरी कामगारों, मझोली इकाइयों एवं मध्य वर्ग को मदद देने, आर्थिक गतिविधियों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने, किसानों का ध्यान रखने, मौजूदा डिजिटल प्रारूप को सशक्त करने, विकास को अधिक पर्यावरण अनुकूल बनाने और सशस्त्र बलों की मदद से सीमावर्ती जिलों में राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) का मजबूत नेटवर्क खड़ा करने पर भी जोर दिया। इनमें से कई घोषणाएं पिछली नीतियों का ही दोहराव हैं और वे प्रधानमंत्री की प्रमुख राजनीतिक एवं आर्थिक चिंताओं को दर्शाती हैं। लेकिन प्रधानमंत्री के इस भाषण में तीन नए बिंदु खास तौर पर अहम हैं।
पहला, मोदी ने देश के करीब 170 सीमावर्ती जिलों में एनसीसी के साथ 1 लाख से अधिक युवाओं को जोडऩे वाली योजना लाने की घोषणा की है। एनसीसी के इन युवा कैडट को सशस्त्र बल प्रशिक्षण देंगे। एनसीसी कैडट को दैनिक भत्ता मिलने और सैन्यबलों का हिस्सा बनने की संभावना अधिक होने से इन जिलों में रहने वाले युवाओं को रोजगार देने की यह शायद हालिया समय की सबसे अहम योजना होगी।
दूसरा, प्रधानमंत्री ने देश के सभी छह लाख गांवों को डिजिटल ढंग से जोडऩे के लिए 1,000 दिनों के भीतर ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क के विस्तार का लक्ष्य रखा है। मोदी ने बताया कि करीब 1.5 लाख ग्राम पंचायतें पहले ही इस नेटवर्क के दायरे में आ चुकी हैं जबकि 1 लाख ग्राम पंचायतों का इस नेटवर्क का हिस्सा बनना बाकी है।
तीसरा, उन्होंने राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन शुरू करने की घोषणा की जिसके माध्यम से हरेक भारतीय के स्वास्थ्य संबंधी आंकड़े जुटाए जाएंगे। इन आंकड़ों की मदद से नागरिकों को स्वास्थ्य सेवाएं देने में सहायता मिलेगी।
मोदी ने आत्म-निर्भरता के बारे में अपना नजरिया साफ करते हुए कहा कि भारत को आर्थिक रूप से अपने पैरों पर खड़ा होने के साथ ही अंतर्संबद्ध एवं परस्पर-निर्भर दुनिया में योगदान देने के लिए सशक्त भी होना होगा। उन्होंने कई वर्षों तक भारत के प्राकृतिक संसाधनों के निर्यात के तौर-तरीके पर अफसोस जताते हुए कहा कि अब ऐसे निर्यात में मूल्यवद्र्धन का वक्त आ गया है। खाद्यान्न के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए किसानों की प्रशंसा करते हुए मोदी ने कहा कि अब अंतरिक्ष, ऊर्जा एवं स्वास्थ्य क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने का समय आ गया है। उन्होंने आत्मनिर्भर बनने की राह में चुनौतियां होने की बात मानते हुए कहा कि यह अभियान घरेलू स्तर पर कौशल विकास करने के अलावा निर्यात बढ़ाने के लिहाज से भी अहम होगा।
प्रधानमंत्री ने भाषण के अंत में आयात घटाने की जरूरत पर बल देकर आत्मनिर्भर भारत की मुहिम को एक नया मोड़ दे दिया। इस दौरान उन्होंने 100 से अधिक रक्षा उत्पादों के आयात पर पाबंदियां लगाने के अपने सरकार के फैसले का उल्लेख भी किया। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आवक में 18 फीसदी उछाल से मिली राहत के बीच मोदी ने कहा कि भारत दुनिया में नई आपूर्ति शृंखला के एक केंद्र बनकर उभर रहा है। उन्होंने कहा कि यह ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को बड़ा रूप देकर ‘मेक फॉर वल्र्ड’ बनाने का एक बढिय़ा मौका भी है।
प्रधानमंत्री ने वाजपेयी सरकार के समय बंदरगाहों को शहरों से जोडऩे के लिए शुरू की गई स्वर्णिम चतुर्भुज राजमार्ग परियोजना का जिक्र करते हुए कहा कि अब ढांचागत क्षेत्र को नए मुकाम पर ले जाने का वक्त आ गया है। राष्ट्रीय ढांचागत पाइपलाइन (एनआईपी) के तहत करीब 7,000 परियोजनाओं को पहले ही चिह्नित किया जा चुका है जिन पर करीब 110 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाने हैं। मोदी ने कहा कि जनधन बैंक खातों, उज्ज्वला गैस कनेक्शन और स्वास्थ्य बीमा से गरीबों को फायदा हुआ है लेकिन शहरों में रहने वाले गरीबों का भी ध्यान रखने की जरूरत है। लेकिन अपने भाषण में उन्होंने शहरी गरीबों के लिए रोजगार गारंटी या आय अंतरण की किसी योजना की घोषणा नहीं की। वैसे विकास सूचकांक में निचली पायदान पर मौजूद 110 जिलों में सरकारी काम पर ध्यान देकर संतुलित विकास सुनिश्चित करने की घोषणा की गई। किसानों की आय दोगुनी करने का वादा दोहराते हुए मोदी ने कहा कि कृषि कार्यों में कच्चे माल पर आने वाली लागत को नीचे लाना होगा। उन्होंने कहा कि 1 लाख करोड़ रुपये का किसान ढांचागत कोष बनाने और बाजार तक किसानों की पहुंच आसान बनाने के लिए कानूनों में किए गए बदलाव से उन्हें अपनी पैदावार बेचने में सहूलियत होगी।
मध्यवर्गीय तबके को मोदी सरकार से खास तवज्जो नहीं मिलने की धारणा के उलट प्रधानमंत्री के इस भाषण में मध्यवर्ग पर खास जोर रहा। उन्होंने अधिक किफायती घर बनाने और 1 लाख घरों तक पानी का पाइप पहुंचाने जैसे सरकारी प्रयासों का जिक्र किया। मोदी ने कहा कि सरकार ने मध्यवर्गीय भारतीयों की जिंदगी को सुगम बनाने, उन्हें बेहतर इंटरनेट कनेक्टिविटी मुहैया कराने, सस्ती विमान यात्रा को संभव बनाने और एक सरल कराधान नीति लाने के कदम उठाए हैं। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम इकाइयों को भी विशेष कोष बनाकर सरकारी समर्थन दिया गया और सहकारी बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक के दायरे में ले आया गया। मोदी ने कहा कि नई शिक्षा नीति से भारतीयों को जड़ों से जुडऩे के साथ ही वैश्विक बनने में भी मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री ने विकास को सतत बनाने की जरूरत पर भी बल दिया। उन्होंने नवीकरणीय ऊर्जा के संदर्भ में कहा कि भारत पहले ही सौर ऊर्जा क्षमता के लिहाज से शीर्ष पांच देशों में शामिल हो चुका है। उन्होंने कहा कि लद्दाख एक कार्बन-तटस्थ क्षेत्र बनेगा और पारिस्थितिकी, जैव-विविधता एवं पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बाघ परियोजना की तर्ज पर डॉल्फिन परियोजना भी शुरू की जाएगी।