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विदेशी मातम से देसी कंपनियों की चांदी

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 05, 2022 | 11:43 PM IST

‘कहीं बरपा है मातम तो कहीं खुशियों की सौगात आई है।’ यह जुमला कम से कम अमेरिकी और भारतीय हवाई कंपनियों के बारे में तो ठीक ही बैठती है।


हाल ही में अमेरिका और हांगकांग की चार अंतरराष्ट्रीय हवाई कंपनियां दिवालिया हो गई। भले ही अमेरिका और हांगकांग की उन कंपनियों पर मामत बरपा हो लेकिन इसकी वजह से तो भारतीय निजी हवाई कंपनियों की चांदी हो गई है।


उनकी दिवालिया होने की वजह से भारतीय हवाई कंपनियां में उम्मीद जगी है कि उन्हें हवाई जहाजों के साथ-साथ अनुभवी पायलटों भी काफी सस्ते में मिल जाएंगे।इसमें कोई शक नहीं कि कम भाड़ा, उच्चतम पूंजीगत लागत और पायलटों की आसमान छूती सैलरी की वजह से अधिकांश भारतीय हवाई कंपनियों की कमर टूटने जैसी स्थिति हो गई है। मसलन भारतीय कंपनियों को लंबे समय से घाटे का सामना करना पड़ रहा है।


उद्योगों से जुड़े सूत्रों का कहना है कि भारतीय कंपनियों के लिए यह अच्छा मौका है कि वे इस स्थिति यानी विदेशों कंपनियों के दिवालिया से अपने घाटे को कुछ कम करें। मसलन यहां की कंपनियां सस्ता सौदा कर विदेशी कंपनियों का अधिग्रहण करने की ओर अगर हों।


बहरहाल इस दिशा में गो एयर ने अपना कदम बढ़ा दिया है। विदेशी हवाई कंपनियों से करीब 20 एयरबस के अधिग्रहण के लिए गो एयर ने सूचीबध्द दर से 20 फीसदी कम पर सौदा करना चाह रही है। गौरतलब है कि बीते दो महीनों में अमेरिका की तीन हवाई कंपनियों- स्काईबस, अलोहा और एटीए- और साथ ही हांगकांग स्थित ओएसिस के दिवालिया के बाद उसके परिचालन पर रोक लगाना पड़ा है।


यह भी विदित है कि दिवालिया की वजह से उन चार विदेशी हवाई कंपनियों को करीब 60 हवाई जहाजों का परिचालन ठप करना पड़ा। इसके अलावा, अमेरिका की स्काईबस हवाई कंपनी ने अपने 65 एयरबस हवाई जहाज की बिक्री के लिए करीब 4.3 बिलियन डॉलर का ऑडर रखा है।


क्योंकि इस वक्त विदेशी हवाई कंपनियों की दिवालिया निकली हुई है, यह उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में बाजार में उनके हवाई जहाजों की कीमतों में और कमी आएगी। स्पाइसजेट के अध्यक्ष सिध्दार्त शर्मा ने बताया, ”अनुभवी पायलटों को खुद में शामिल करने का यह बेहतरीन मौका है। हम उम्मीद करते हैं कि 50 से 60 पायलटों को जोड़ा जाएगा।”

First Published : April 24, 2008 | 11:29 PM IST