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फैशन को मार गई रुपए की तेजी

Last Updated- December 05, 2022 | 6:58 PM IST

रुपए में आई 12 फीसदी से भी ज्यादा की मजबूती ने पिछले वित्त वर्ष यानी 2007-08 में कपड़ा व फैशन उद्योग का तेल निकाल कर रख दिया।


इसका असर तो इस साल टेक्सटाइल और फैशन इंस्टीटयूटों की प्लेसमेंट पर भी साफ तौर से देखा जा सकता है। इन संस्थानों में पिछले साल के मुकाबले इस साल पांच से सात फीसदी कम नौकरियां ऑफर की गईं। जो लोग भी चुने गए हैं, उन्हें भी रुपए की मजबूती मार गई है। दरअसल, मास्टर्स और बैचलर डिग्री होल्डरों की औसत सेलरी में चार और 11 फीसदी की गिरावट आई है।


क्या कहा, भरोसा नहीं होता? तो फिर मुल्क के टॉप फैशन इंस्टीटयूट, नैशनल इंस्टीटयूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (निफ्ट) को ही ले लीजिए। इसके आठ सेंटरों में पढ़ने वाले 1270 स्टूडेंट्स में से इस साल 1100 स्टूडेंट्स ने प्लेसमेंट के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया था। इन लोगों को 1300 नौकरियों के ऑफर किए गए। निफ्ट में इंडस्ट्री लिंकेज यूनिट के प्रमुख संजय गुप्ता का कहना है कि, ‘इस वक्त इंडस्ट्री की जो धीमी रफ्तार है, वह हम पर बहुत बुरा असर डाल रही है।


रिटेल सेक्टर में काफी तेजी आई है। इस वजह से हमें कुछ अच्छे ऑफर भी मिल गए, फिर भी इसका प्लेसमेंट की रेट में 5-7 फीसदी की गिरावट आई है।’ निफ्ट के स्टूडेंट्स को ऑफर की सेलरियां भी इसी बात की गवाही देती हैं। पिछले साल फैशन टेक्नोलॉजी में मास्टर डिग्री रखने वाले शख्स को 4.28 लाख प्रति साल की औसत सेलरी ऑफर की गई थी, जबकि इस साल यह रकम घटकर 4.13 लाख प्रति वर्ष के स्तर पर आ गई है।


वहीं, पिछले साल फैशन मैनेजमेंट में मास्टर डिग्री के स्टूडेंट को 3.42 लाख रुपए प्रति वर्ष की औसत सेलरी ऑफर की गई थी। वहीं, इस साल ऐसे स्टूडेंट को 3.05 लाख रुपए प्रति वर्ष की सेलरी ऑफर की गई है। दूसरी तरफ, फैशन टेक्नोलॉजी में बैचलर की डिग्री रखने वाले स्टूडेंट को पिछले साल औसतन 2.74 लाख रुपए ऑफर किए गए थे, जबकि इस साल ऐसे किसी शख्स को केवल 2.6 लाख रुपए ऑफर किए जा रहे हैं। 


रुपए की मजबूती का कपड़ा सेक्टर पर पड़ा रहे बुरा असर से ये स्टूडेंट्स दूसरी कैरियर की तरफ भी मुड़ रहे हैं। निफ्ट, गांधीनगर में फैशन मैनेजमेंट स्टडीज डिपार्टमेंट के प्रमुख बेनया भूषण जेना का कहना है कि,’दो साल पहले जिन स्टूडेंट्स ने फैशन टेक्नोलॉजी में एडमिशन लिया था, उसमें से कई टेक्सटाइल एक्सपोर्ट मैनेजमेंट के फील्ड में स्पेशलाइज होना चाहते थे। लेकिन गारमेंट सेक्टर में आई इस गिरावट की वजह से कई स्टूडेंट अब दूसरे सेक्टर की तरफ की तरफ जाना चाहते हैं।


अब लगभग 30 फीसदी छात्र रिटेल और मार्केटिंग की तरफ जाना चाहते हैं। 30 फीसदी स्टूडेंट्स का झुकाव मर्चेंडाइजिंग सेक्टर की तरफ हो गया है, वहीं बाकी के स्टूडेंट्स अब सप्लाई चेन मैनेजमेंट में उत्सुक हैं।’ इस साल तो मुद्रा एक्सपोर्ट, शशि एक्सपोर्ट, फेयर लेडी एक्सपोर्ट और विराज एक्सपोर्ट जैसे बड़े एक्सपोर्ट हाउसों की तरफ निफ्ट को ऑफर तो मिले, लेकिन छोटे या मझोले आकार के एक्सपोर्ट हाउस प्लेसमेंट की प्रक्रिया से दूर ही रहे।


साथ ही, देसी और अंतरराष्ट्रीय फैशन ब्रांड्स, बड़ी मर्चेंडाइजिंग कंपनियों और टॉप रिटेल कंपनियों ने भी निछले या मझोले स्तर पर ही स्टूडेंट्स को लेने में रुचि दिखाई। इस साल 200 से ज्यादा कंपनियों निफ्ट के सेंट्रलाइज्ड प्लेसमेंट में हिस्सा लिया था। इस साल सेलरी के मामले में सबसे ज्यादा फायदा फैशन कम्युनिकेशन के स्टूडेंट्स को मिला।


कपड़ा उद्योग की बेरुखी का खामियाजा अकेले निफ्ट को नहीं, बल्कि दूसरे फैशन संस्थानों को भी चुकाना पड़ रहा है। अब पर्ल एकेडमी ऑफ फैशन को ही ले लीजिए। यहां फैशन रिटेल डिपार्टमेंट के प्रमुख ए.के. शर्मा का कहना है कि,’इस सेक्टर में कारोबार अब सिमट रहा है। इसलिए ऑफर भी सिमट रहे हैं। कारोबार सिमटने की वजह से ही यहां अवसर भी कम होते जा रहे हैं। स्टूडेंट्स अब तेजी से एक्सपोर्ट हाउसेज से दूर देसी रिटेल कंपनियों की तरफ मुड़ रहे हैं।


आज की तारीख में घरेलू कारोबार और निर्यात कारोबार के बीच का अनुपात 70:30 का है। सेलरी की रेंज अब 2.5 लाख से चार लाख रुपए प्रति वर्ष के स्तर पर है।’ इस बारे में इंस्टीटयूट के ग्रुप डाइरेक्टर एकेजी नायर का कहना है कि, दो साल पहले तक इंस्टीटयूट में प्लेसमेंट के लिए ज्यादातर एक्सपोर्ट हाउस ही आया करते थे। लेकिन पिछले कुछ सालों से पूरा ट्रेंड ही बदल चुका है।


नायर के मुताबिक रिटेल कंपनियां खास तौर पर अब कैंपस प्लेसमेंट में हिस्सा लेती हैं। साथ ही, वह ज्यादा लोगों को ज्यादा सेलरी पर लेती हैं। साथ ही, एक्सिरिज इंडस्ट्री और फैशन कंसल्टेंट जैसे नए नियोक्ता भी बाजार में उतर रहे हैं।निफ्ट में तो विदेशी कंपनियां मोटा पैकेज ऑफर कर रही हैं।

First Published - April 2, 2008 | 11:32 PM IST

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