सुस्त अर्थव्यवस्था और महामारी से बेहाल मीडिया फर्मों की घबराहट

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 5:19 AM IST

बुकमाईशो इस हफ्ते सजीव घटनाओं की स्ट्रीमिंग शुरू करने जा रहा है। सामान्य दिनों में वह फिल्मों, नाटकों एवं अन्य कार्यक्रमों के 20 करोड़ टिकटों की बिक्री करता है। लेकिन इस समय वह कमाई नहीं कर पा रहा है। बुकमाईशो ऑनलाइन नाटकों, संगीत कार्यक्रमों या कार्यशालाओं की स्ट्रीमिंग से विज्ञापन राजस्व जुटाने एवं भुगतान का एक जरिया है। अक्षय कुमार की ‘लक्ष्मी बम’ समेत सात फिल्में सीधे डिज्नी हॉटस्टार प्लेटफॉर्म पर आगामी 24 जुलाई को रिलीज होने जा रही हैं। लॉकडाउन के दौरान हॉटस्टार को काफी दर्शक गंवाने पड़े हैं जिसकी बड़ी वजह इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) का आयोजन नहीं हो पाना है। आईपीएल टूर्नामेंट नहीं होने से इसका डिजिटल एवं टीवी प्रसारण अधिकार रखने वाले डिज्नी स्टार को राजस्व क्षति हुई है। ऐसी स्थिति में फिल्मों को हॉटस्टार के प्लेटफॉर्म पर रिलीज करने का कदम हालात सुधारने की कवायद ही लग रहा है।
कोविड-19 महामारी फैलने से दुनिया भर में जारी उथल-पुथल के बीच 1.82 लाख करोड़ रुपये के आकार वाला भारतीय मीडिया एवं मनोरंजन उद्योग खुद को बचाए रखने के साथ अपनी वृद्धि के लिए कई चीजें कर रहा है। यहीं पर हमारे जेहन में बॉब आइगर का ख्याल आता है।
डिज्नी के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) पद से गत फरवरी में ही हटने वाले आइगर को एक बार फिर कोविड संकट के समय बुलाया गया है। करीब 70 अरब डॉलर वाली इस कंपनी का अधिकांश कारोबार उपभोक्ता उत्पाद, थीम पार्क, क्रूज, फिल्मों का है और इन सबमें उपभोक्ताओं की सीधी भागीदारी जरूरी होती है। लेकिन महामारी फैलने से डिज्नी को उपभोक्ता मिलने बंद हो गए। पहली तिमाही में इसके मुनाफे में करीब 1.4 अरब डॉलर की गिरावट आने का अनुमान है।
डिज्नी से लंबे समय से जुड़े रहे आइगर ने वर्ष 2005 में इसके सीईओ का पद संभाला था। उस समय यह 38 अरब डॉलर वाली कंपनी थी और इंटरनेट ने टीवी, संगीत एवं समाचार उद्योग के समक्ष चुनौतियां पेश करना बस शुरू ही किया था। एओएल और टाइम वार्नर का वर्ष 2000 में विलय हुआ तो उसका मूल्यांकन करीब 350 अरब डॉलर के हैरतअंगेज स्तर पर किया गया था। भले ही यह सौदा कारगर नहीं साबित हुआ लेकिन इसने मनोरंजन उद्योग की जड़ें हिलाकर रख दीं। आइगर इस बात को जानते थे कि कंटेंट एवं किरदारों से जुड़ी बौद्धिक संपदा के ही सहारे टीवी, उपभोक्ता उत्पाद और थीम पार्क कारोबार में वृद्धि एवं लाभप्रदता बढ़ सकेगी। इसका मतलब यह था कि डिजिटल काल में डिज्नी को मिकी माउस और उसके परिवार से कुछ अधिक की दरकार थी। फिर उन्होंने पिक्सर (टॉय स्टोरी, कार्स), मार्वल (एवेंजर्स) और रुपर्ट मर्डोक के फॉक्स ब्रांड के अधिग्रहण की दिशा में कदम बढ़ाए। आइगर ने 2019 में प्रकाशित अपनी किताब ‘द राइड ऑफ अ लाइफटाइम’ में बताया है कि विलक्षण किंतु मुश्किल मिजाज वाले स्टीव जॉब्स से पिक्सर या एकांतप्रिय आइजैक पर्लम्यूटर से मार्वल के बारे में सौदा करने में क्या दिक्कतें पेश आई थीं। 2019 में हुए फॉक्स के अधिग्रहण के असर दिखने अभी बाकी हैं लेकिन बाकी सभी अधिग्रहणों ने डिज्नी के राजस्व एवं मुनाफे को बढ़ाने में हैरतअंगेज योगदान दिया है।
अधिग्रहण या संकट से निपटने के बारे में आइगर का नजरिया एकदम सरल है- खुलापन, पारदर्शिता, स्पष्टता और लोगों के लिए सम्मान का भाव। उन्हें पिक्सर की जरूरत सिर्फ इसकी फिल्मों के लिए नहीं बल्कि इसके साथ जुड़े जॉन लैसेटर और एडविन कैटमल जैसे लोगों के लिए भी थी। इन लोगों ने ही बाद में डिज्नी के एनिमेशन कारोबार की सूरत बदली। आइगर अक्सर कहते हैं कि बदलाव से लडऩे के बजाय उसे स्वीकार करना और अपना कारोबार बढ़ाने के लिए उस मौके का इस्तेमाल करना कहीं बेहतर है। डिज्नी प्लस ब्रांड का उदय उनके निर्देश पर ही हुआ।
लॉकडाउन का प्रभाव, लडख़ड़ाती अर्थव्यवस्था और विज्ञापन राजस्वों में बढ़ोतरी न होने से भारत में एक तरह से आखिरी दौर की बाजियां खेली जाने लगी हैं। टीवी चैनलों एवं समाचारपत्रों के संस्करण बंद होने की घोषणाएं और सिंगल स्क्रीन वाले सिनेमाघरों के मुश्किल में होने के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं। परिसंपत्तियों की कीमत घटने से आगे चलकर विलय एवं अधिग्रहण भी बढ़ेंगे। कई छोटे ओटीटी प्लेटफॉर्म बड़े प्रसारकों को बेच दिए जाएंगे। चर्चाओं की मानें तो एक मल्टीप्लेक्स शृंखला भी बिकने वाली है।
इस आपाधापी में आइगर की किताब में वर्णित उस बड़े सबक को याद रखना महत्त्वपूर्ण है कि जो भी चीज आपके मूल कारोबार को बढ़ाए, उसे अपने से जोडऩे की कोशिश करो। मुझे लगता है कि तमाम मीडिया एवं मनोरंजन कंपनियां ऐसा नहीं कर रही हैं। प्रोग्रामिंग खामियों की भरपाई या दर्शक जुटाने के लिए फिल्मों को छोटे पर्दे पर रिलीज करना काफी पुरानी तरकीब है। यह साफ नहीं है कि डिज्नी की फिल्म इकाई फॉक्स स्टार स्टूडियोज को इससे क्या मिलने वाला है? बुकमाईशो पर संगीत कार्यक्रमों की स्ट्रीमिंग शुरू होने से क्या वह सजीव कार्यक्रमों की टिकट बिक्री संबंधी अपने कारोबार से हितों का टकराव नहीं पैदा करेगी?
याद रखें कि ये मूल्य-आधारित निर्णय नहीं हैं, यहां पर कोई निर्णय न तो बुरा है और न ही अच्छा। वित्तीय संकट से जूझ रहे समाचारपत्रों एवं सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों की घबराहट एवं उन्माद को तो समझा जा सकता है। लेकिन डिज्नी स्टार भारत की तीन बड़ी मीडिया फर्मों में शामिल है और बुकमाईशो को भी काफी अच्छी फंडिंग हासिल है। यह बात देश की 10 शीर्ष मीडिया कंपनियों में से अधिकांश- सोनी, टाइम्स ग्रुप, टाटा स्काई और पीवीआर सिनेमाज पर लागू होती है। हालांकि इनके कुछ कारोबारों- टीवी वितरण, समाचारपत्र एवं रेडियो पर अन्य की तुलना में अधिक खतरा मंडरा रहा है। ऐसे समय में कुल्हाड़ी के वार से बचने के साथ ही पेड़ को बढऩे का मौका देने के लिए भारतीय प्रबंधकों को वही चतुराई दिखानी पड़ेगी जिसके लिए वे मशहूर हैं।

First Published : July 3, 2020 | 11:07 PM IST