कंपनियां अब रोज नई कवायद में लगी हैं। अपने कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) को पूरा करने के लिए रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी समूह के गेमिंग पोर्टल ‘जपाक डिजिटल एंटरटेनमेंट लिमिटेड’ ने मुंबई की एक स्वयंसेवी संस्था ‘पॉपुलेशन फर्स्ट’ के साथ हाथ मिलाया है।
इस पोर्टल ने इस संस्था के साथ मिलकर कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए ‘लाडली’ नाम का एक गेम तैयार किया है। प्रश्नोत्तर शैली में बनाया गया यह गेम 10 मई 2008 को लॉन्च किया गया था। इसमें प्रतिभागियों को कन्या भ्रूण हत्या, स्त्री-पुरुष अनुपात और इससे जुड़े दूसरे विषयों से संबंधित प्रश्नों के उत्तर देने होते हैं।
‘लाडली’ को संयुक्त राष्ट्र पॉपुलेशन फंड (यूएनएफपीए) के तहत सामाजिक संदेश देने के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजे जाने के लिए बतौर एंट्री भेजा गया था और कंपनी का यह प्रयास ऐसे ही जाया नहीं गया। मुंबई में इसको इस पुरस्कार से नवाजा भी जाएगा। कंपनी का कहना है कि पहले जिस तरह म्यूजिक के जरिये संदेश दिए जाते थे अब गेमिंग भी संदेश पहुंचाने के लिहाज से एक महत्त्वपूर्ण ‘मीडिया प्लेटफॉर्म’ बन गया है। कंपनी का मानना है कि युवाओं के बीच गेमिंग अब बहुत लोकप्रिय हो चुका है और यदि उनको कोई सामाजिक संदेश देना है तो गेमिंग इसके लिए एकदम मुफीद माध्यम है।
माना जाता है कि सामाजिक संदेश बहुत बोझिल होते हैं। ऐसे में गेमिंग का रोमांच और मस्ती इन संदेशों को बोझिल नहीं बनने देता। सामाजिक संदेश देने के लिहाज से यह जपाक का दूसरा सराहनीय प्रयास है। इससे पहले जपाक ने सुरक्षित यौन संबंधों को लेकर विश्व एड्स दिवस के मौके पर 1 दिसंबर 2007 को ‘प्ले इट सेफ’ नाम का गेम लॉन्च किया था। अपनी तरह के अनूठे इन गेमों ने लोगों को लुभाने में भी कमी नहीं छोड़ी है। ‘लाडली’ को जहां 5,23,746 लोगों ने खेला, वहीं दूसरी ओर 10,33,993 लोगों ने ‘प्ले इट सेफ’ को खेला।
जपाक के मुख्य परिचालन अधिकारी रोहित शर्मा कहते हैं कि हमारा लक्षित वर्ग खासतौर से युवा ही है। उनका कहना है कि मस्ती के साथ-साथ उनको सामाजिक समस्याओं से संबंधित संदेश देना बढ़िया काम है। उनका कहना है कि जपाक सामाजिक जिम्मेदारियों को समझने वाली कंपनी है और समाज के बीच अच्छी चीजें परोसने में विश्वास करती है। वह बताते हैं कि समान विचारों वाली स्वयंसेवी संस्थाओं से हाथ मिलाने से कंपनी को कोई परहेज नहीं है।